Saturday, January 31, 2015

कुछ टुकड़ों में

मेरी जेब की खनखनाहट क्यों कर चुभती है तुम्हे ,
जिंदादिली के एवज़ में चंद सिक्के मिले है मुझे .

सुबोध- १४ जनवरी, २०१४


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सारे तीज-त्योंहार तुम्हारे थे ,
तुमने मनाये थे ,
मैं अपने घर से दूर था इतना
कि सिर्फ ख्याल मेरे पास थे

सुबोध- १४ जनवरी, २०१४


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तुम्हारा सुकून तुम्हारे साथ था
और मेरी उलझने मेरे साथ
तुम दस्तरखान पर बैठे थे
और मैं रिज़क कमा रहा था

सुबोध- १४ जनवरी, २०१४
 

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