Thursday, October 29, 2015

43 . ज़िंदगी – एक नज़रिया

महत्त्वपूर्ण कहना नहीं , दिखना नहीं , बल्कि करना होता है और करने से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण होना होता है .
कहा बहुत कुछ जाता है लेकिन किया नहीं जाता , दिखता बहुत कुछ है कि ये किया जा रहा है लेकिन होता नहीं है ,रिजल्ट जो कहा जाता है वो नहीं आता है .
जब करना शुरू करते है तो करने के दरम्यान गलतियां करते हुए और उन गलतियों से सीखते हुए हम सफल होना शुरू कर देते है ,सफलता की शेप में ढलना शुरू कर देते है और उसे ही होना कहते है .
एक बार जब आप "हो" जाते है तो सफलता आप से दूर नहीं रहती .अपनी हार के बावजूद भी सफलता का फार्मूला आपके पास होने की वजह से आप सफल हो ही जाते है.
कहना नहीं, दिखना नहीं बल्कि करना शुरू करे ;सफलता की शुरुवात करने से होती है .
असफलता के डर को त्याग दे क्योंकि असफलता ही सफलता की कुँजी है .
सुबोध-अक्टूबर ३०, २०१५

Tuesday, October 27, 2015

42 . ज़िंदगी – एक नज़रिया


विकास या पतन हमेशा व्यक्तिगत होता है.
.इसके लिए किसी व्यक्ति,परिवार ,समाज,माहौल,संस्कार या परंपरा को दोष देना अपनी जिम्मेदारी से बचना भर है,जिम्मेदारी नकारना है.
एक शराबी बाप के दो बेटों में से एक शहर का गरीब मशहूर शराबी बनता है और दूसरा धनवान मशहूर उद्योगपति बनता है जबकि ज़िन्दगी की शुरुआत में दोनों के लिए ही एक समान सब कुछ था .
शराबी से पूछा गया तुम ऐसे क्यों हो ?
उसका जवाब था - मैंने अपने पिता को देखा कि वे शराब पीते है और किसी भी प्रकार के तनाव से मुक्त होकर मस्त हो जाते है .इसलिए मैं उनके जैसा बन गया.
दूसरे भाई से जब यही सवाल पूछा गया तो उसका जवाब था मैंने अपने शराबी पिता को देखा है कि किस तरह वे शराब पीकर अपनी जिम्मेदारी से मुँह चुराते थे, पलायन का रास्ता अपनाते थे और जिस दिन वे शराब पीकर आते थे उस दिन मेरी माँ को परेशान होते हुए और रोते हुए देखा है तभी मैंने सोच लिया था मुझे अपने पिता जैसा नहीं बनना है .
ये आप पर है कि आप किस घटना पर क्या सोचते है क्या रियेक्ट करते है इसके लिए किसी दुसरे को दोष देना गलत है .
अगर आप अच्छे है तो अपनी वजह से है,बुरे है तो अपनी वजह से है ,अमीर है तो अपनी वजह से है ,गरीब है तो अपनी वजह से है यानी जो कुछ भी जैसे भी आप है वो सिर्फ और सिर्फ अपनी वजह से है .
सुबोध-२८ अक्टूबर ,२०१५