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100. सही या गलत -निर्णय आपका !
sar ji mene aap ke sabhi artical pare.meri yek samsya ko door kijiye mera medical ka thok ka weyapar he acha chal raha he par mene apne jiwan istar ko warane ke liye karj le liya ab use chukane ka rasta nahi mil raha he agar me apne weyapar se jeyada rupye nahi nikal sakta keya karna chahiye.
मेरा जवाब---
जो क़र्ज़ आपको दिए गए ब्याज से ज्यादा रिटर्न दिलाता है वो क़र्ज़ अच्छा क़र्ज़ होता है और जो क़र्ज़ आपको दिए जानेवाले ब्याज से कम रिटर्न दिलाता है वो क़र्ज़ बुरा क़र्ज़ होता है .
क़र्ज़ के दम पर अगर आपने अपने जीवनस्तर को सुधारने का प्रयास किया है तो ये एक अव्यवहारिक कदम है - यह एक बुरा क़र्ज़ है
कभी भी कोई अतिरिक्त खरीददारी या खर्च करें उसे अपनी अतिरिक्त कमाई में से करें ,अमीर लोग यही करते है .
अगर आप बुरे कर्ज के जाल में फंस चुके है तो उसे चुकाने के कुछ तरीके नीचे लिख रहा हूँ
1- पैसे को सही तरीके से मैनेज करें -- उम्मीद है मेरी पुरानी पोस्ट्स को देखते हुए आपने कमाई में से 10% अलग रखना शुरू कर दिया होगा - उसके बाद ही आप अपने बाकी के खर्चे निपटा रहे होंगे . अब निम्न तरीका अपनाये --
अपनी कमाई का -
10 % आप क़र्ज़ को चुकाने के लिए अलग रखे
10% आप दीर्धकालीन बचत के लिए रखे
10% वित्तीय स्वतंत्रता खाते में रखे
10% मनोरंजन खाते में रखे
10% शिक्षा, दान वगैरह के लिए
50% आवश्यक खाते में
इसे स्ट्रिक्टली फॉलो करें , जैसे ही पैसे घर में आते है आप अलग- अलग खाते में इन्हे डाल देवे , फिलहाल आप दीर्धकालीन बचत खाते को क़र्ज़ चुकाने के लिए इस्तेमाल कर सकते है ,जब आपका क़र्ज़ चूक जाए तो क़र्ज़ चुकाने वाले खाते को आवश्यक खाते में ट्रांसफर कर सकते है या इस से आप स्टैण्डर्ड मेन्टेन कर सकते है . इस बात को दिमाग से निकल देवे की मैंने अपना स्टैण्डर्ड मेन्टेन करना है . आपकी जिम्मेदारी अपने परिवार के हितों की सुरक्षा करना है समाज के सामने आप स्टैण्डर्ड वाले होकर भी घर में अगर परिवार को या खुद को तनाव देते है तो ये उचित नहीं है .
2- आप अच्छा क़र्ज़ लेवे और उससे बुरे क़र्ज़ को चूका देवें .
3- अपनी कमाई को बढ़ाएं .जीवन स्तर उधार के पैसे से नहीं खुद की कमाई से सुधरता है, सुधारा जाता है -अगर साल-दो साल के लिए जीवन स्तर ऊँचा कर लिया है तो ये तो कुकुरमुत्ते वाला स्तर हुआ - स्थाई नहीं - स्थायित्व लाने के लिए आपको अपनी कमाई बढ़ानी पड़ेगी - मेरी पुरानी पोस्ट बराबर पढ़े काम को बड़ा करने का तरीका उसमे दिया हुआ है .
4 - एक-एक चवन्नी की कदर करें- चार चवन्नी मिलकर एक रूपया हो जाती है. बैठ कर ढंग से समझ लेवें कि क्या खर्चे जरूरी है और क्या गैरजरूरी . अमूनन तकलीफ में लोग" पेपर-पिन" बचाओ वाली मानसिकता को फॉलो करना शुरू कर देते है जो कि मेरी निगाह में बिलकुल गलत है- थूक से कान नहीं चिपकते - जहाँ बचाया जा सकता है वहां बचाये . स्टाफ को,परिवार को बेवजह लगातार टोकते रहने से वे भी तनाव में रहेंगे और आप भी . ध्यान रखे है आप मालिक है ,परिवार के मुखिया है चौकीदार नहीं.
5- स्वयं को वर्तमान स्थिति से पृथक कर-कर सोचे ,बिलकुल शांत मन से स्थिति पर चिंतन करें .आपको स्वयं ज्ञात हो जायेगा कि कहाँ-कहाँ से सुधार हो सकता है .
आपकी संपूर्ण परिस्थिति मुझे ज्ञात नहीं है संभवतः परिस्थिति अनुसार अन्य मार्ग हो सकते है , बेहतर है अपने फाइनेंसियल प्लानर के साथ बैठे और उस से पूरी स्थिति पर बात करें .
अंत में हौसला न खोये , किसी के पास भी कोई जादू की छड़ी नहीं है जो आपको तुरत-फुरत समाधान दे देगा और स्थितियां सुधर जायेगी .हाँ, जिसके पास कुछ करने को है वो आप खुद है ,ये आपका चुनाव होगा कि आप क्या चुनते है - सिर्फ सलाह सुनते है या सलाहों में से अच्छी - बुरी छांटकर अच्छी सलाहों पर अमल भी करते है .
- सुबोध
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99. सही या गलत -निर्णय आपका !
पोस्ट 75 देखे, यहाँ पर अमीर समय का लीवरेज कैसे पैदा करते है इस बारे में बताया गया है .
पोस्ट 82 , 86 में हल्का सा इशारा है कि पैसे का लीवरेज कैसे पैदा किया जाता है ,.
बहरहाल आपको अमीर बनने के लिए महत्वपूर्ण चीज़ जो समझनी है वो लीवरेज की ताकत समझनी चाहिए,जब तक आप ये नहीं समझते और इसका उपयोग नहीं करते आप उस व्यक्ति के लिए चारा है जो लीवरेज को समझता है तथा उपयोग करता है.
अमीर लोग लिवरेज के सिद्धांत को समझते है और उसका इस्तेमाल करते है .
वे दुसरे लोगों को काम पर रखते है जो उनके लिए समय का लिवरेज पैदा करते है और वे लोग लोन लेकर या अपने वेंचर में शेयर देकर दुसरे से पैसा लेकर पैसे का लिवरेज पैदा करते है . ये समय एवं पैसे का लीवरेज आम आदमी से कई गुणा ज्यादा पैसा उनके लिए पैदा करता है.
यही उनकी अमीरी का राज है और अमीर एवं गरीब में यही सबसे बड़ा फर्क है कि एक खुद मेहनत करता है जबकि दूसरा लीवरेज का उपयोग करता है .
- सुबोध
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98. सही या गलत -निर्णय आपका !
" अ " लाख रूपये महीने कमाने वाला बंदा जिसका खर्च 98 हज़ार रूपया महीना है ,और" ब " जो 30 हज़ार रूपया महीने का कमाता है उसका खर्च 27 हज़ार है तो अमीर "अ" नहीं" ब" होता है अगर 5 साल यानि 60 महीने बाद की इनकी स्थिति समझी जाए तो "अ" 1 लाख 20 हज़ार का और "ब" 1लाख 80 हज़ार का मालिक होता है और ये तो सीधी सी गणित है .
"अ" खर्चे में, लिविंग स्टैण्डर्ड में आपको अमीर लग सकता है और "ब" गरीब लेकिन" अ" और" ब" की 5 साल बाद की बैलेंस शीट जो कहती है वो कुछ अलग ही कहानी है .छोटी सी लगनेवाली 1 हज़ार की एक्स्ट्रा बचत लम्बे समय में कितना बड़ा फर्क बनती है ये इस उदाहरण से स्पष्ट है .
ये बात अच्छे से समझ लेवें कौन कितना कमाता है, उसका लिविंग स्टैंडर्ट कैसा है अमीरी के खेल में इस से कोई फर्क नहीं पड़ता , अंत में कौन कितना जोड़ पाता है , बैलेंस शीट किसकी मजबूत है -फर्क इस से पड़ता है.
अमूनन अमीर लगने वाले डॉक्टर ,वकील, चार्टेड अकाउंटेंट जैसे लोगों की स्थिति अंदर से कुछ और हो सकती है .
- सुबोध
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97. सही या गलत -निर्णय आपका !
मेरा मानना है कि ये कहावत सही नहीं है और इसके लिए मेरा तर्क ये है कि पैसा कमाने के लिए जो काबिलियत इस्तेमाल होती है वो उस काबिलियत से बिलकुल अलग है जो पैसा खर्च करने या रोककर रखने के लिए चाहिए . इसे थोड़ा गहराई में जाकर समझते है -
पैसे के मामले में तीन तरह की मानसिकता होती है
पहली - जिन्हे तत्काल संतुष्टि चाहिए होती है - ऐसी मानसिकता के लोग किसी चीज़ की इच्छा होने पर खुद को कंट्रोल नहीं कर पाते उन्हें ये इच्छा तुरंत पूरी करनी होती है चाहे इसके लिए किसी से इन्हे उधार भी लेना पड़े तो ये ले लेते है - ये कमज़ोर व्यक्तित्व के लोग होते है ऐसी मानसिकता के लोगों की कमाई चाहे जितनी हो ये हमेशा कर्ज़े में ही डूबे रहते है क्योंकि इनका अपनी इच्छाओं पर वश नहीं होता .
दूसरी- इस मानसिकता के लोग सिर्फ जरूरत भर ही खर्च करते है बाकि पैसे इकट्ठे करकर कुछ बड़ा पाना चाहते है उन्हें विलम्ब से संतुष्टि मंज़ूर है , लेकिन किसी से क़र्ज़ लेना नहीं. ये गंभीर मानसिकता के लोग होते है जिन्हे पैसे की कीमत और कदर पता होती है -ये इतने ज्यादा संभल कर खर्च करते है और इतने ज्यादा नार्मल तरीके से रहते है कि कभी-कभी तो इनके गरीब होने का भरम होता है .. लेकिन आर्थिक रूप से ये मज़बूत श्रेणी के लोग होते है .
तीसरी- इस मानसिकता के लोग अमीर श्रेणी के होते है इनकी पैसे की आमद इतनी ज्यादा होती है कि दिल खोलकर खर्च करने के बाद भी कुछ न कुछ बच जाता है , इन लोगों ने पहले जमकर मेहनत की होती है ,अपनी इच्छाओं पर कंट्रोल किया होता है ,पैसा जोड़ा होता है पैसे से मेहनत करवाकर रेजिडुअल इनकम के श्रोत बनाये होते है और अब उन्ही आमदनी के श्रोत से आई हुई रकम को ये दिल खोलकर खर्च करते है - ध्यान रहे इनकम के श्रोत को खर्च नहीं करते .
पैसा कमाना अलग मामला है जबकि खर्च आदमी अपनी मानसिकता के अनुसार करता है -इसका मेहनत से कमाया या आराम से कमाया जैसी किसी बात से कोई ताल्लुक नहीं होता .
- सुबोध
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96. सही या गलत -निर्णय आपका !
आपकी कंडीशनिंग आपके विचारों को पैदा करती है ,आपके विचार आपकी भावनाओं को , भावनाएं कार्य और कार्य परिणामों को .
अगर आपको अपनी कंडीशनिंग बदलनी है तो पहले स्वयं में स्वीकृति पैदा करें कि " हाँ ,मुझमें ये गलत कंडीशनिंग हुई है"
कब हुई , कहाँ से हुई ,कैसे हुई ,क्यों हुई इन सब की विस्तृत डिटेल तैयार करें
जब आपको ये पता चल जाता है कि सोचने का वर्तमान तरीका आपका स्वयं का नहीं है बल्कि किसी और का है तो अब आप चुनाव कर सकते है कि आगे इसी तरीके से सोचना जारी रखा जाए या और कोई नया तरीका अपनाया जाए .
जब आप ये सब स्थिति समझ लेवे तब आप स्वयं को नए सिरे से रि -कंडिशन कर सकते है -- जो आपका खुद का सोचने का तरीका होगा ,अपने भविष्य को ध्यान में रखते हुए अपनी जरूरत के अनुसार आप अब खुद के नियम बना सकते है .
- सुबोध
पुनश्च - इस बारे में पोस्ट 91 और 92 भी देखें .
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95. सही या गलत -निर्णय आपका !
अगर आपको ये डर है कि जिस दिन ये काम सीख लेगा उस दिन मुझे छोड़कर खुद का काम शुरू कर लेगा तो ये डर फ़िज़ूल है . व्यापारी बनने के लिए जिन चीज़ों की ज़रुरत है उनमे सबसे अहम है हिम्मत - जोखिम लेने की हिम्मत . खुद की पूँजी,खुद की शौहरत ,खुद का वक्त दांव पर लगाने की हिम्मत हर एक में नहीं होती और जिस व्यक्ति में यह साहस है वो व्यक्ति आप कुछ नहीं सिखाएंगे तो कहीं और से सीख लेगा उस स्थिति में आपसे कम्पीटीशन भी करेगा और आप उसे कुछ कह भी नहीं पाएंगे ,अगर आपने उसे सिखाया है तो कम से कम आपसे कम्पीटीशन करने में हिचक तो उसे महसूस होगी ही और अगर पीठ पीछे आपसे कम्पीटीशन करता भी है तो आप उसे समझा सकते है कि व्यवसाय तो समुन्दर की तरह है जहाँ मैं खड़ा हूँ वही से पानी निकालना क्या ज़रूरी है ?
दूसरी बात कोई भी व्यवसाय बाहर की जुटाई गई सामग्री से उतना नहीं चलता जितना मालिक के उत्साह से चलता है .गौर करें व्यवसाय आपकी छाया भर है या ये समझे कि आप खुद ही व्यवसाय है तो आप वाली बात आपका टीम मेंबर कहाँ से लाएगा ?
- सुबोध
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94. सही या गलत -निर्णय आपका !
अपनी सैलरी बढ़वाने के
लिए आम तौर पर सीनियरिटी या महंगाई बढ़ने
की बात की जाती है कृपया इन दोनों ही बातों को एक छोटे व्यापारिक प्रतिष्ठान के
मालिक की नज़र से समझे, उसका
जो जवाब हो सकता है उसे भी समझे.
क्या सीनियरिटी की वजह से आप कोई अतिरिक्त उत्पादकता बना पा रहे है -
निश्चित ही नहीं . आप अब भी पहले जितना ही काम कर रहे है तो बढ़ोत्तरी किस बात की ?
महंगाई बढ़ने से क्या कंपनी को कोई अतिरिक्त आमदनी हुई है ? यदि
नहीं तो महंगाई बढ़ना आपकी समस्या है इसमें कंपनी आपकी क्या मदद कर सकती है ?
ऐसे में आपको चाहिए कि अपनी सैलरी बढ़वाने के लिए आप अपना मूल्य बढ़ाये
- अपने में कोई ऐसी अतिरिक्त क्वालिटी पैदा करे जिसकी ज़रुरत आपकी कंपनी को हो
.तत्पश्चात मालिक के सामने सैलरी बढ़ाने की
बात करे और उन्हें ये बताये कि मैं कंपनी के लिए ये अतिरिक्त कार्य करूँगा .
ध्यान रखे अपना मूल्य आप खुद बढ़ाते है और अपना मूल्य बढ़ाने के लिए आपको अपने में कुछ अतिरिक्त योग्यता
बढ़ानी पड़ती है .
मोरल- अमीर मानसिकता के लोग मालिक की मानसिकता को समझते है और बढ़ाये
गए वेतन के बदले में उतनी उत्पादकता कंपनी
को देते है .
-सुबोध
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93. सही या गलत -निर्णय आपका !
दोस्त हरेक के होते है , आपने अपने दोस्तों से क्या सीखा?
मान लीजिये आपका एक दोस्त अमीर है और दूसरा गरीब .आप गौर करें अमीर दोस्त का उठना बैठना ,बात का अंदाज़ ,उसकी बातों का
कॉन्फिडेंस ,किन सब्जेक्ट पर उसे बातें करना पसंद है उसके सपने,उसकी हताशा ,उसका उत्साह -यानी
उसकी हर बात का ,हर एक्शन का ढंग से मुआयना करें . यही मुआयना अपने
गरीब दोस्त का करें . दोनों का फर्क देखे ,दोनों की मानसिकता में से आपको अपने मतलब
का क्या लगता है ,आप ज्यादा किसे
पसंद करते है और क्यों ?
कहते है खून के रिश्तों को आप नहीं चुन सकते ये उपरवाले की देन है . लेकिन दोस्ती का रिश्ता - संसार का सबसे
खूबसूरत रिश्ता आप चुन सकते है - लिहाज़ा ये रिश्ता बहुत सोच -समझ कर चुने .ध्यान
रखें आपकी आजकी स्थिति का निर्माण आपके
गुजरे हुए कल ने किया है और आने वाले कल (भविष्य) का निर्माण आपका आज करता है तो अपने भविष्य की खूबसूरती का निर्माण करने के
लिए आज आप जो भी काम करे , बहुत सोच-समझ कर करें , जो भी दोस्त चुने
सोच समझ कर चुने. मैं सही दोस्त चुनने की बात इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि वही एक
शख्स ऐसा है जो आपकी ख़ुशी में भी आपके उतना ही साथ है जितना आपके दुःख में और आपकी
ज़िन्दगी में सही और अच्छी सलाह वही शख्स देता है .
आप अपने अमीर दोस्त से ये सीखे कि आपको क्या करना चाहिए और गरीब दोस्त से
ये कि क्या नहीं करना चाहिए - अपनी मानसिकता तो आपने स्वयं ने ही बनानी है, अच्छे-बुरे की
पहचान आपने स्वयं ने करनी है.
-सुबोध
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92. सही या गलत -निर्णय आपका !
कंडीशनिंग को समझने के लिए अमूनन जो
उदाहरण लिया जाता है उसे ही ले रहा हूँ .
जब हाथी का बच्चा छोटा होता है तो उसे मजबूत रस्सी से बांध दिया जाता है वो मासूम बच्चा खुद को रस्सी से छुटाने की बड़ी कोशिश करता है लेकिन रस्सी मजबूत होती है और वो छूट नहीं पाता, लगातार कोशिश करने और लगातार हारने के बाद धीरे-धीरे ये बात उसके दिमाग में घर कर जाती है कि रस्सी बहुत मजबूत है और मैं आज़ाद नहीं हो पाउँगा . एक दिन वो हाथी वयस्क हो जाता है अब रस्सी उसकी ताकत से कमजोर है लेकिन चूँकि ये उसके दिमाग में बैठा हुआ है कि रस्सी मजबूत है सो वो प्रयत्न ही नहीं करता - हाथी के दिमाग में जो बैठाया गया है कि तुम रस्सी के मुकाबले कमजोर हो इसे ही कंडीशनिंग कहते है कुछ लोग इसे ब्रेन वाश करना भी कहते है ..
बचपन में बहुत से लोगों के साथ पैसे को लेकर इसी तरह की कंडीशनिंग की जाती है . जैसे अपनी गरीबी की मजबूरी की वजह से या खुद की नाक़ाबिलियत को जायज़ ठहराने के लिए या अपनी विपरीत परिस्थितियों की वजह से - कारण जो भी हो माँ-बाप जब बच्चे से ये कहते है "पैसा बुराई की जड़ है " और समर्थन में कुछ उदहारण देते हो तब लगातार ऐसा सुनते-सुनते बच्चे के दिमाग में ये बात बैठ जाती है . वयस्क होने पर भी ये बात उसके दिमाग से नहीं निकलती . और क्योंकि वो पैसे को बुराई की जड़ मानता है सो जैसे ही उसके पास पैसा आता है वो उस तथाकथित बुराई की जड़ से छुटकारा पाने का प्रयास करता है और येन-केन-प्रकारेण सफल हो जाता है . वो व्यक्ति पैसे को रोक कर भी रखना चाहे तो रोक कर रख नहीं पाता क्योंकि यहाँ उसका अवचेतन मन अपनी सक्रिय भूमिका निभा रहा है .दिमाग चाहता है पैसा रोककर रखे लेकिन दिल इस बुराई की जड़ से छुटकारा चाहता है ध्यान रहे दिल ( अवचेतन मन ) और दिमाग की लड़ाई में अमूनन दिल जीतता है और मजे की बात ये है कि इस पूरी प्रक्रिया में उसको पता ही नहीं चलता कि वह किसी कंडीशनिंग का शिकार है.
- सुबोध
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91. सही या गलत -निर्णय आपका !
एक सबसे बड़ी समस्या जो आती है वो ये कि आप पैसा कमाते है अच्छे से कमाते
है फिर भी रोक कर ,इकठ्ठा करकर नहीं
रख पाते . इस बात की गहराई से जांच करें कि पैसे को लेकर आपके अवचेतन मन में क्या
है ? क्या ऐसे या इनसे
मिलते जुलते वाक्य आपने सुने है या ऐसे किसी वाक्य में आप यकीन करते है -
पैसा बुराई की जड़ है .
अमीर बनने के लिए गलत काम करने पड़ते है
अमीर लालची होते है
अमीर टैक्स की चोरी करते है ,करप्शन को बढ़ावा देते है
अमीर स्वार्थी होते है
अमीर घमंडी होते है
अमीर चरित्रहीन होते है
पैसा ख़ुशी नहीं खरीद सकता
पैसा कमाने के लिए खून -पसीना एक करना पड़ता है
हर कोई अमीर नहीं बन सकता
पैसा पेड़ों पर नहीं उगता
पैसा हम जैसे लोगों के नसीब में नहीं है
पैसा हाथ का मैल है
पैसे के पीछे भागनेवाले पागल होते है
उपरवाला दो वक्त की रोटी ठीक-ठाक दे रहा है ज्यादा पैसे का क्या करना है
जिसने चोंच दी है चुग्गा भी वही देगा
मुसीबत के वक्त के लिए पैसा बचा कर रखो
रहने दो,
हम इसका खर्च नहीं
उठा सकते
अपनी इच्छाओं को कंट्रोल करना सीखो
गरीबों का ध्यान उपरवाला रखता है
स्वास्थ्य ही सर्वोत्तम धन है
कृपया इन शब्दों की गहराई में जाए . ये वे शब्द है जो आपको अमीर बनने से
रोक रहे है ,( ऐसे शब्द या तो
पैसे की बुराई कर रहे है या पैसे की अहमियत को नकार रहे है या आपका ध्यान पैसे से
हटाकर और कहीं केंद्रित करने का प्रयास कर रहे है )अगर आपके सामने आपके
बड़े-बुजुर्गों,सगे-सम्बन्धियों ने, दोस्तों ने ,मिलने-जुलने वालों ने ऐसे
शब्दों का इस्तेमाल किया है या उनके व्यवहार में ऐसा कुछ आपने होते देखा है तो कृपया चेक करें कि वे शब्द अब भी अवचेतन में
असर तो नहीं डाल रहे है - कहीं ये
कंडीशनिंग तो नहीं है .
किसी बिल्डिंग की नींव कमजोर हो ऊपर के हिस्से को चाहे जितना सुन्दर बना लेवे ,नतीजा क्या होगा आप जानते है . आप चाहे
जितना कमा लेवे लेकिन जब आपकी अतीत की
कंडीशनिंग ( आपकी ज़िन्दगी की नींव ) ही सकारात्मक
नहीं हुई है तो नतीजा तो नकारात्मक
होना ही है. -सुबोध
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90. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर यु हीं अमीर नहीं होता
सुरक्षित करने को अपना आज
दांव पर लगा देते है अपना भविष्य
हाँ, यही करते है अधिकतर लोग....
बिना ये समझे कि
ख़ूबसूरत भविष्य की
जड़ में आज की
खाद होती है ....
-.
चूजे को
कर दिया जाता है हलाल
मुर्गी बनने से पहले .
और रोते है रोना
कि ज्यादा सफ़ेद क्यों है
पड़ोसी की शर्ट .
-
इतना व्यस्त होते है
रोने में
कोसने में
कि तलाशते नहीं
वजह ...वजह....वजह.
-
छोटे लक्ष्य
छोटी वास्तविकताएं
छोटे प्रयत्न
ज़ाहिर सी बात है
छोटी ही होगी
उपलब्धियाँ...
-
अमीरी के रास्ते
जाने वाली सोच की सड़क
शुरू होती है
सवालों से
क्योंकि
विस्तार
वास्तविकता का
काबिलियत का
शुरू होता है.
सवालों से .....
क्या
क्यों
कब
कैसे
कहाँ
लेकिन
गरीब देता है
आधे -अधूरे जवाब
नतीजा
आधी- अधूरी उपलब्धिया
और दोष नसीब को ?????
अमीर लेता है
जिम्मेदारी
नहीं बनाता
बहाने ......
छोटी-छोटी बातें
पैदा करती है बड़ा फर्क .......
सुबोध- १६ मई,२०१४
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68. सही या गलत -निर्णय आपका !
67. सही या गलत -निर्णय आपका !
66. सही या गलत -निर्णय आपका !
65.सपने छोटे क्यों ?
63. सही या गलत -निर्णय आपका !
62. सही या गलत -निर्णय आपका !
61. सही या गलत -निर्णय आपका !
60. सही या गलत -निर्णय आपका !
59. सही या गलत -निर्णय आपका !
56. सही या गलत -निर्णय आपका !
55. सही या गलत -निर्णय आपका !
54. सही या गलत -निर्णय आपका !
ठहरा है मेरे कमरे में इन्द्रधनुष
52. सही या गलत -निर्णय आपका !
51. सही या गलत -निर्णय आपका !
50. सही या गलत -निर्णय आपका !
49. सही या गलत -निर्णय आपका !
48. सही या गलत -निर्णय आपका !
47. सही या गलत -निर्णय आपका !
46. सही या गलत -निर्णय आपका !
ध्यान रखे रातों -रात कोई सफल नहीं होता है . सफलता एक पेड़ है और बीज से पेड़ बनने की पूरी प्रक्रिया होती है .
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89. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर लोग उनके साथ उठते-बैठते है जो उनकी तरह विजेता होते है जबकि गरीब लोग उनके साथ जो उनकी तरह गरीब होते है या हारे हुए - ये अपने-अपनेकम्फर्ट जोन का मामला है .
गरीब लोग अमीरों के साथ,विजेताओं के साथ असहज महसूस करते है ,गरीबों को लगता है कि ये अमीर लोग मुझे अस्वीकार कर देंगे ,मैं इनकी श्रेणी का नहीं हूँ सो अपने अहम की संतुष्टि के लिए वे अमीरों में दोष तलाशते हैं और कोई न कोई आलोचना की वजह ढूंढ़ ही लेते हैं . और किसी न किसी बहाने वहां से हटकर अपने जैसी समान मानसिकता वालों को तलाश कर उनमे मिक्स-अप हो जाते हैं .
अमीरों की प्रतिक्रिया कुछ अलग रूप लेती है वो गरीबों को एक हारा हुआ वर्ग मानता है और उनके लिए उसके मन में दया का भाव रहता है ,उपदेश का भाव रहता है - उच्च स्तर पर जाकर सोचे तो ये भी दोष तलाशना और आलोचना करना ही हुआ -शब्दों और व्यवहार में चाशनी भर है .वे भी किसी न किसी बहाने वहां से हटकर अपने जैसी मानसिकता वालों में जाकर बैठते है.
कहावत है एक जैसे पंछी साथ-साथ रहते है . कुल मिलाकर अपने-अपने कम्फर्ट जोन का मामला है.
मोरल- आपका कम्फर्ट जोन ही आपका आर्थिक भविष्य तय करता है वो कम्फर्ट जोन ही है जो अमीर को ज्यादा अमीर और गरीब को ज्यादा गरीब बनाता है .
- सुबोध
अमीर लोग उनके साथ उठते-बैठते है जो उनकी तरह विजेता होते है जबकि गरीब लोग उनके साथ जो उनकी तरह गरीब होते है या हारे हुए - ये अपने-अपनेकम्फर्ट जोन का मामला है .
गरीब लोग अमीरों के साथ,विजेताओं के साथ असहज महसूस करते है ,गरीबों को लगता है कि ये अमीर लोग मुझे अस्वीकार कर देंगे ,मैं इनकी श्रेणी का नहीं हूँ सो अपने अहम की संतुष्टि के लिए वे अमीरों में दोष तलाशते हैं और कोई न कोई आलोचना की वजह ढूंढ़ ही लेते हैं . और किसी न किसी बहाने वहां से हटकर अपने जैसी समान मानसिकता वालों को तलाश कर उनमे मिक्स-अप हो जाते हैं .
अमीरों की प्रतिक्रिया कुछ अलग रूप लेती है वो गरीबों को एक हारा हुआ वर्ग मानता है और उनके लिए उसके मन में दया का भाव रहता है ,उपदेश का भाव रहता है - उच्च स्तर पर जाकर सोचे तो ये भी दोष तलाशना और आलोचना करना ही हुआ -शब्दों और व्यवहार में चाशनी भर है .वे भी किसी न किसी बहाने वहां से हटकर अपने जैसी मानसिकता वालों में जाकर बैठते है.
कहावत है एक जैसे पंछी साथ-साथ रहते है . कुल मिलाकर अपने-अपने कम्फर्ट जोन का मामला है.
मोरल- आपका कम्फर्ट जोन ही आपका आर्थिक भविष्य तय करता है वो कम्फर्ट जोन ही है जो अमीर को ज्यादा अमीर और गरीब को ज्यादा गरीब बनाता है .
मोरल- आपका कम्फर्ट जोन ही आपका आर्थिक भविष्य तय करता है वो कम्फर्ट जोन ही है जो अमीर को ज्यादा अमीर और गरीब को ज्यादा गरीब बनाता है .
- सुबोध
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88. सही या गलत -निर्णय आपका !
बहुत से लोगों को ये समझ में ही नहीं आता कि गलतियां सीखने के लिए होती है , वे गलतियों से बचने के लिए अनजान राहों पर चलना ही नामंज़ूर कर देते है.
होना ये चाहिए कि आप पर्याप्त जानकारी इकट्ठी करे और उसके आधार पर कार्य करें अगर आप सफल होते है तो आप ये सीखते है कि सही तरीके से सूचनाएं कहाँ से जुटाई जानी चाहिए और किस तरह से इकट्ठी की गई सूचनाओं का उपयोग करना चाहिए और अगर असफल होते है तो आप कई तरीके से बहुत कुछ सीखते है कि सुचना के श्रोत गलत थे ,कि समर्पण में कहाँ कमी थी , कि किस डिपार्टमेंट में किस तरह की कमी रह गई जिसका नतीजा असफलता रहा . हर डिपार्टमेंट की एक अलग खासियत होती है उस खासियत में कहाँ कमी रह गई कि नतीजा पूरे प्रोजेक्ट पर पड़ा और वक्त रहते मैनेजमेंट की निगाह में वो कमी क्यों नहीं आई ? इस तरह के बहुत से सवालों के माध्यम से आप बहुत कुछ सीखते है.
अगर असफलता की कीमत आप पहले से ही निर्धारित कर लेते है तो जवाब मेँ आपको घातक परिणाम नहीं मिलेंगे ,प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले ही आप खुद से ये सवाल कर लेवे की अगर मेरा प्रोजेक्ट असफल हो गया तो अधिक से अधिक मेरा कितना नुकसान हो सकता है ? और मुझे अधिकतम कितना नुकसान होने के बाद प्रोजेक्ट को बंद कर देना है . ये दो सबसे महत्वपूर्ण सवाल है जो हर नव -उद्यमी ( ENTREPRENEUR ) को कोई भी प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले खुद से पूछने चाहिए और सख्ती से इनका पालन करना चाहिए लेकिन चूँकि वे अपने विचारों को लेकर इतने ज्यादा पॉजिटिव होते है कि वे असफलता की सोचते ही नहीं . और विपरीत नतीजा मिलने पर वे नुकसान पर नुकसान सहे जाते है और प्रोजेक्ट " पैक-अप " करने की बजाय बर्बाद हो जाते है .
अगर आप प्रोजेक्ट को लेकर पूरी तरह संतुष्टि चाहते है तो अपनी सूचनाओ को चेक करे, प्रोजेक्ट तैयार करे ,बैंक में लोन अप्लाई करें ,एंजेल इन्वेस्टर्स से मिले .
अगर आप बैंक के और एंजेल इन्वेस्टर्स के सवालों का समाधान कर पाते है उनसे लोन के लिए हाँ करवा पाते है ( आपने लोन लेना है या नहीं ये अलग मुद्दा है बैंक और एंजेल इन्वेस्टर से मिलने का अर्थ प्रोजेक्ट की खामियों को समझना और दूर करना भर है ) तो खुद से सवाल करें कि मैं इस प्रोजेक्ट पर कितना खोने को तैयार हूँ , आपका जो भी जवाब हो उतने पैसे का इंतेज़ाम करे और प्रोजेक्ट शुरू कर दीजिये . अगर आपकी, आपके बैंकर की, एंजेल इन्वेस्टर की कैलकुलेशन सही है तो आप पैसा बनाएंगे नहीं तो मानसिक तौर पर नुकसान के लिए आप तैयार ही है ,लेकिन इस प्रोसेस में आप जो कुछ सीखेंगे उस से आप बहुत कुछ बना सकते है , जो गलतियों से बचने का प्रयास करने वाले नहीं बना पाएंगे.
- सुबोध
( one sim all recharge )
होना ये चाहिए कि आप पर्याप्त जानकारी इकट्ठी करे और उसके आधार पर कार्य करें अगर आप सफल होते है तो आप ये सीखते है कि सही तरीके से सूचनाएं कहाँ से जुटाई जानी चाहिए और किस तरह से इकट्ठी की गई सूचनाओं का उपयोग करना चाहिए और अगर असफल होते है तो आप कई तरीके से बहुत कुछ सीखते है कि सुचना के श्रोत गलत थे ,कि समर्पण में कहाँ कमी थी , कि किस डिपार्टमेंट में किस तरह की कमी रह गई जिसका नतीजा असफलता रहा . हर डिपार्टमेंट की एक अलग खासियत होती है उस खासियत में कहाँ कमी रह गई कि नतीजा पूरे प्रोजेक्ट पर पड़ा और वक्त रहते मैनेजमेंट की निगाह में वो कमी क्यों नहीं आई ? इस तरह के बहुत से सवालों के माध्यम से आप बहुत कुछ सीखते है.
अगर असफलता की कीमत आप पहले से ही निर्धारित कर लेते है तो जवाब मेँ आपको घातक परिणाम नहीं मिलेंगे ,प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले ही आप खुद से ये सवाल कर लेवे की अगर मेरा प्रोजेक्ट असफल हो गया तो अधिक से अधिक मेरा कितना नुकसान हो सकता है ? और मुझे अधिकतम कितना नुकसान होने के बाद प्रोजेक्ट को बंद कर देना है . ये दो सबसे महत्वपूर्ण सवाल है जो हर नव -उद्यमी ( ENTREPRENEUR ) को कोई भी प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले खुद से पूछने चाहिए और सख्ती से इनका पालन करना चाहिए लेकिन चूँकि वे अपने विचारों को लेकर इतने ज्यादा पॉजिटिव होते है कि वे असफलता की सोचते ही नहीं . और विपरीत नतीजा मिलने पर वे नुकसान पर नुकसान सहे जाते है और प्रोजेक्ट " पैक-अप " करने की बजाय बर्बाद हो जाते है .
अगर आप प्रोजेक्ट को लेकर पूरी तरह संतुष्टि चाहते है तो अपनी सूचनाओ को चेक करे, प्रोजेक्ट तैयार करे ,बैंक में लोन अप्लाई करें ,एंजेल इन्वेस्टर्स से मिले .
अगर आप बैंक के और एंजेल इन्वेस्टर्स के सवालों का समाधान कर पाते है उनसे लोन के लिए हाँ करवा पाते है ( आपने लोन लेना है या नहीं ये अलग मुद्दा है बैंक और एंजेल इन्वेस्टर से मिलने का अर्थ प्रोजेक्ट की खामियों को समझना और दूर करना भर है ) तो खुद से सवाल करें कि मैं इस प्रोजेक्ट पर कितना खोने को तैयार हूँ , आपका जो भी जवाब हो उतने पैसे का इंतेज़ाम करे और प्रोजेक्ट शुरू कर दीजिये . अगर आपकी, आपके बैंकर की, एंजेल इन्वेस्टर की कैलकुलेशन सही है तो आप पैसा बनाएंगे नहीं तो मानसिक तौर पर नुकसान के लिए आप तैयार ही है ,लेकिन इस प्रोसेस में आप जो कुछ सीखेंगे उस से आप बहुत कुछ बना सकते है , जो गलतियों से बचने का प्रयास करने वाले नहीं बना पाएंगे.
- सुबोध
( one sim all recharge )
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87. सही या गलत -निर्णय आपका !
आपके व्यक्तित्व मेँ लचीलापन होना चाहिए , दिमाग की खिड़कियां खुली रखिये,नए विचारों की ताज़ा हवा आत्मसात करते रहिये कोई भी जो पुराने विचारों में जम जाता है हकीकत में वो जड़ हो जाता है और सुचना युग में जड़ होना खतरनाक है क्योंकि यहाँ जो कल मार्किट में चर्चित था आज नए के आगमन के साथ पुराना हो गया है और चार दिन बाद आउट ऑफ़ डेटेड हो जायेगा लिहाजा आज के टाइम में जिनमें लचीलापन नहीं है वे अपनी प्रगति के रास्ते में रुकावट भर है . यह बात विचारों के साथ -साथ व्यवहार पर भी लागु होती है . इतनी तेजी से परिवर्तन हो रहा है कि कल के आदर्श,कल की मान्यताएं,कल की संस्कृति कल की हो गई है नए -नए उपलब्ध संसाधनों ने आज के रहन -सहन की परिभाषा और आवश्यकताएं बदल दी है , इस युग की चाप के अनुसार अपने व्यवहार में लचीलापन विकसित करें .
अमीरों की सबसे बड़ी खासियत ये होती है कि वे विचारों में और व्यवहारिकता में कहीं भी जड़ नहीं होते हमेशा नया जानना चाहते है,सुनना चाहते है और कोई भी ऐसा विचार और व्यवहार जो उनके तर्कों की कसौटी पर खरा उतरता है उसे स्वीकारने को तैयार रहते है ,वे अपने अनुभव से तो सीखते ही है दुसरे के अनुभव से भी सीखने को तैयार रहते है ,वे जानते है जड़ होना नए अवसरों से आँख मूंदना है और लचीलापन नए अवसरों का द्वार है .
-सुबोध
आपके व्यक्तित्व मेँ लचीलापन होना चाहिए , दिमाग की खिड़कियां खुली रखिये,नए विचारों की ताज़ा हवा आत्मसात करते रहिये कोई भी जो पुराने विचारों में जम जाता है हकीकत में वो जड़ हो जाता है और सुचना युग में जड़ होना खतरनाक है क्योंकि यहाँ जो कल मार्किट में चर्चित था आज नए के आगमन के साथ पुराना हो गया है और चार दिन बाद आउट ऑफ़ डेटेड हो जायेगा लिहाजा आज के टाइम में जिनमें लचीलापन नहीं है वे अपनी प्रगति के रास्ते में रुकावट भर है . यह बात विचारों के साथ -साथ व्यवहार पर भी लागु होती है . इतनी तेजी से परिवर्तन हो रहा है कि कल के आदर्श,कल की मान्यताएं,कल की संस्कृति कल की हो गई है नए -नए उपलब्ध संसाधनों ने आज के रहन -सहन की परिभाषा और आवश्यकताएं बदल दी है , इस युग की चाप के अनुसार अपने व्यवहार में लचीलापन विकसित करें .
अमीरों की सबसे बड़ी खासियत ये होती है कि वे विचारों में और व्यवहारिकता में कहीं भी जड़ नहीं होते हमेशा नया जानना चाहते है,सुनना चाहते है और कोई भी ऐसा विचार और व्यवहार जो उनके तर्कों की कसौटी पर खरा उतरता है उसे स्वीकारने को तैयार रहते है ,वे अपने अनुभव से तो सीखते ही है दुसरे के अनुभव से भी सीखने को तैयार रहते है ,वे जानते है जड़ होना नए अवसरों से आँख मूंदना है और लचीलापन नए अवसरों का द्वार है .
-सुबोध
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86. सही या गलत -निर्णय आपका !
आपके पास अच्छा विचार है जिस से आपको लगता है अच्छा पैसा बनाया जा सकता है ,समस्या पैसे की है . तलाश कीजिये पैसा कहाँ मिलता है ,आपको जो-जो ऑप्शन नज़र आये नोट करते जाए . अपने विचार को कागज पर उतारे. दिमाग में विचार होना अलग है कागज पर होना वो भी इस तरह कि आप जो एक्सप्लेन करना चाहे वो प्रोजेक्ट देखनेवाले के बिलकुल समझ में आ जाये - बिलकुल ही अलग होता है . हो सकता है पहली -दूसरी- तीसरी बार में वो क्लियरिटी नहीं आये जो सामने वाले के दिमाग में बैठ जाए लेकिन प्रयास जारी रखे और तब तक जारी रखे जब तक जो बात प्रजेंटेशन में आप चाहते है वो आ न जाये .
एक-एक सवाल जो आपसे पूछे जा सकते है उनका तर्क सहित क्या उत्तर देना है आपको पता होना चाहिए , ये समझ लीजिये जो भी आप तैयारी करे युद्ध स्तर पर करें जाने इसी पर आपका आर्थिक भविष्य टिका हुआ है . ध्यान रहे विकल्प की सम्भावना आपकी काबिलियत को जंग लगा देती है .सो तैयारी पूरे मन से करे -कृपया आधी- अधूरी तैयारी के साथ मार्किट में जाकर अपनी इमेज ख़राब ना करें .
बेहतर है लोन के लिए किसी बैंक में जाए ,ख़ुदा ना खास्ता वो आप का लोन नामंज़ूर कर देते है तो उनसे जानकारी करे आपके प्रोजेक्ट में कमी क्या रह गई , कृपया कमी को समझे और उसे दुरुस्त करे फिर और किसी बैंक में जाए वो भी अगर मना करते है तो उनसे भी कमी पूछे और उसे दूर करें और ये सिलसिला तब तक अपनाते जाए जब तक आप का लोन मंजूर ना हो जाए . जब एक बार बैंक से लोन मंजूर हो जाता है तो व्यक्तिगत संपर्कों से लोन लेना इतना मुश्किल नहीं होता.
इस दरमियान आप बिलकुल ही एक नई जबान सीखेंगे जो आप को इस क्षेत्र के मास्टर्स सिखाएंगे . ध्यान रहे अमीर आसमान से नहीं टपकता इसी धरती पर आकर बनता है और इसी तरह के प्रोसेस से गुजरता है - जब वो गुजर सकता है तो आप क्यों नहीं ?
- सुबोध
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आपके पास अच्छा विचार है जिस से आपको लगता है अच्छा पैसा बनाया जा सकता है ,समस्या पैसे की है . तलाश कीजिये पैसा कहाँ मिलता है ,आपको जो-जो ऑप्शन नज़र आये नोट करते जाए . अपने विचार को कागज पर उतारे. दिमाग में विचार होना अलग है कागज पर होना वो भी इस तरह कि आप जो एक्सप्लेन करना चाहे वो प्रोजेक्ट देखनेवाले के बिलकुल समझ में आ जाये - बिलकुल ही अलग होता है . हो सकता है पहली -दूसरी- तीसरी बार में वो क्लियरिटी नहीं आये जो सामने वाले के दिमाग में बैठ जाए लेकिन प्रयास जारी रखे और तब तक जारी रखे जब तक जो बात प्रजेंटेशन में आप चाहते है वो आ न जाये .
एक-एक सवाल जो आपसे पूछे जा सकते है उनका तर्क सहित क्या उत्तर देना है आपको पता होना चाहिए , ये समझ लीजिये जो भी आप तैयारी करे युद्ध स्तर पर करें जाने इसी पर आपका आर्थिक भविष्य टिका हुआ है . ध्यान रहे विकल्प की सम्भावना आपकी काबिलियत को जंग लगा देती है .सो तैयारी पूरे मन से करे -कृपया आधी- अधूरी तैयारी के साथ मार्किट में जाकर अपनी इमेज ख़राब ना करें .
बेहतर है लोन के लिए किसी बैंक में जाए ,ख़ुदा ना खास्ता वो आप का लोन नामंज़ूर कर देते है तो उनसे जानकारी करे आपके प्रोजेक्ट में कमी क्या रह गई , कृपया कमी को समझे और उसे दुरुस्त करे फिर और किसी बैंक में जाए वो भी अगर मना करते है तो उनसे भी कमी पूछे और उसे दूर करें और ये सिलसिला तब तक अपनाते जाए जब तक आप का लोन मंजूर ना हो जाए . जब एक बार बैंक से लोन मंजूर हो जाता है तो व्यक्तिगत संपर्कों से लोन लेना इतना मुश्किल नहीं होता.
इस दरमियान आप बिलकुल ही एक नई जबान सीखेंगे जो आप को इस क्षेत्र के मास्टर्स सिखाएंगे . ध्यान रहे अमीर आसमान से नहीं टपकता इसी धरती पर आकर बनता है और इसी तरह के प्रोसेस से गुजरता है - जब वो गुजर सकता है तो आप क्यों नहीं ?
- सुबोध
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85. सही या गलत -निर्णय आपका !
कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता - कार्य करने वाले का समर्पण ,कार्य का आकार -प्रकार ,कार्य की विस्तृत रूप-रेखा उसे छोटा या बड़ा बनाती है - एक अकेला जुलाहा वस्त्र बुनता है तो वो जुलाहा है लेकिन ऐसे ही हज़ारों जुलाहे मिल में जाकर वस्त्र बुनते है तो वहां वो कारीगर हो जाते है और मिल इंडस्ट्री हो जाती है. ये आप पर है कि अपने कार्य में आप अकेले रहना चाहते है या उसे बड़ा बनाना चाहते है .
अगर आपका दिमाग छोटा होगा तो पैतृक संपत्ति में मिला हुआ बड़ा कार्य भी आप छोटा कर लेंगे कि काम में बहुत टेंशन है ,एम्प्लोयी को मैनेज करना टेढ़ी खीर है ,जिसको उधार दो पैसा लेकर भाग जाता है , माल बेचते वक्त भी भिखारी है और पेमेंट मंगाते वक्त भी .ऐसे बड़े काम का क्या फायदा वगैरह -वगैरह आपके तर्क होंगे और बने बनाये बड़े नेटवर्क को काट-पीट कर आप अपने कम्फर्ट जोन में आप आ जायेंगे.
अगर आपका दिमाग बड़ा होगा तो आप एक बड़ा नेटवर्क बनाएंगे . एम्प्लाइज का, कारीगरों का,माल बनाने वाले ,बेचनेवालों का ,खरीदारों का , आढ़तियों का , दलालों का , इंडस्ट्री या व्यवसाय में लगने वाली हर छोटी- बड़ी ज़रुरत की लिस्ट बनाकर उस पर कार्यवाही करेंगे , व्यवसाय को बड़ा बनाने के लिए आप अपने "ईगो " को छोटा करकर हर छोटा -बड़ा काम करेंगे -न भूख़ की परवाह, न प्यास की सुध ,न समय की चिंता , न भाग-दौड़ का तनाव , न थकान की फ़िक्र , यानी आप "आप" न होंगे सिर्फ एक उद्देश्य रह जायेंगे कि किसी भी तरह सोच साकार हो.
कहने का मतलब कार्य कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता वो "आप" है जो उसे छोटा या बड़ा बनाते है .
- सुबोध
कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता - कार्य करने वाले का समर्पण ,कार्य का आकार -प्रकार ,कार्य की विस्तृत रूप-रेखा उसे छोटा या बड़ा बनाती है - एक अकेला जुलाहा वस्त्र बुनता है तो वो जुलाहा है लेकिन ऐसे ही हज़ारों जुलाहे मिल में जाकर वस्त्र बुनते है तो वहां वो कारीगर हो जाते है और मिल इंडस्ट्री हो जाती है. ये आप पर है कि अपने कार्य में आप अकेले रहना चाहते है या उसे बड़ा बनाना चाहते है .
अगर आपका दिमाग छोटा होगा तो पैतृक संपत्ति में मिला हुआ बड़ा कार्य भी आप छोटा कर लेंगे कि काम में बहुत टेंशन है ,एम्प्लोयी को मैनेज करना टेढ़ी खीर है ,जिसको उधार दो पैसा लेकर भाग जाता है , माल बेचते वक्त भी भिखारी है और पेमेंट मंगाते वक्त भी .ऐसे बड़े काम का क्या फायदा वगैरह -वगैरह आपके तर्क होंगे और बने बनाये बड़े नेटवर्क को काट-पीट कर आप अपने कम्फर्ट जोन में आप आ जायेंगे.
अगर आपका दिमाग बड़ा होगा तो आप एक बड़ा नेटवर्क बनाएंगे . एम्प्लाइज का, कारीगरों का,माल बनाने वाले ,बेचनेवालों का ,खरीदारों का , आढ़तियों का , दलालों का , इंडस्ट्री या व्यवसाय में लगने वाली हर छोटी- बड़ी ज़रुरत की लिस्ट बनाकर उस पर कार्यवाही करेंगे , व्यवसाय को बड़ा बनाने के लिए आप अपने "ईगो " को छोटा करकर हर छोटा -बड़ा काम करेंगे -न भूख़ की परवाह, न प्यास की सुध ,न समय की चिंता , न भाग-दौड़ का तनाव , न थकान की फ़िक्र , यानी आप "आप" न होंगे सिर्फ एक उद्देश्य रह जायेंगे कि किसी भी तरह सोच साकार हो.
कहने का मतलब कार्य कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता वो "आप" है जो उसे छोटा या बड़ा बनाते है .
- सुबोध
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84. सही या गलत -निर्णय आपका !
कार्य कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता ,कार्य करने वाले की मानसिकता छोटी या बड़ी होती है .ध्यान रखे कल की नाई की दूकान आज सैलून हो जाती है ,कल की दरजी की दुकान आज बूटीक शॉप हो जाती है - ढेरों उदहारण है.
समाज की निगाहों में कल का छोटा काम,ओछा काम आज क्रिएटिव होकर इंडस्ट्री बन गया है .आप प्रत्येक कार्य में श्रेष्टता ही देखें , इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस तरह के व्यवसाय में है या आपके जिम्मे किस तरह का कार्य है-समाज उसे ओछी निगाह से देखता है या नहीं इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता ,आपकी ज़िन्दगी में फर्क डालने वाले आप खुद है दूसरा कोई नहीं . अपने काम से प्रेम करे उसे सम्मान दे और अपना श्रेष्ट दे - अमीर यही करते है और वो जानते है कि छोटे से बड़ा बनने के लिए कर्ता को दिल और दिमाग से छोटानहीं बड़ा होना चाहिए .
-सुबोध
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समाज की निगाहों में कल का छोटा काम,ओछा काम आज क्रिएटिव होकर इंडस्ट्री बन गया है .आप प्रत्येक कार्य में श्रेष्टता ही देखें , इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस तरह के व्यवसाय में है या आपके जिम्मे किस तरह का कार्य है-समाज उसे ओछी निगाह से देखता है या नहीं इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता ,आपकी ज़िन्दगी में फर्क डालने वाले आप खुद है दूसरा कोई नहीं . अपने काम से प्रेम करे उसे सम्मान दे और अपना श्रेष्ट दे - अमीर यही करते है और वो जानते है कि छोटे से बड़ा बनने के लिए कर्ता को दिल और दिमाग से छोटानहीं बड़ा होना चाहिए .
-सुबोध
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83. सही या गलत -निर्णय आपका !
जो भी कदम आप उठाये पूरी तरह तैयारी करकर ही उठाये . उठाये गए कदम पर अडिग रहे , जब काम शुरू करेंगे तो बहुत से तथाकथित शुभचिंतक आपकी भलाई के लिएबहुत सी सलाहें देंगे -लेकिन आप सिर्फ अपनी सोची गयी रणनीति पर कार्य करें ,आप का दिमाग खुला होना चाहिए - उनकी राय में वाकई में दम है तो स्वीकार कीजिये लेकिन सिर्फ उन्हें ओब्लाइज़ करने के लिए अपनी पूर्व नीति में किसी तरह का बदलाव न करें.
कदम उठाने से पहले दो बार सोच लेवे क्योंकि एक बार उठाया हुआ कदम वापिस लेना आसान नहीं होता , वापिस लिया हुआ कदम पैसे केअलावा,मेहनत,समय ,आत्मविश्वास और मार्किट में आपकी इज्जत को भी नुकसान पहुँचाता है .
संसार में हर व्यक्ति ने कभी न कभी कोई न कोई गलती की है सो गलतियों या असफलता से न घबराएं अगर आपका लिया गया निर्णय या रणनीतिगलत भी होती है तो साफ़ मन से अपनी असफलता स्वीकार करें ,अपनी असफलता की जिम्मेदारी ले , अगर आप जिम्मेदारी नहीं लेंगे कोई बहाना बनाएंगे या अपनी असफलता का ठीकरा किसी और के माथे फोड़ेंगे तो ये निश्चित है आपका अगला प्रोजेक्ट भी असफल ही होगा क्योंकि आपने अपने व्यक्तित्व में उचित सुधार नहीं किया है .अच्छे लीडर और अमीर लोग हमेशा अपनी असफलता,अपनी गलतियों को स्वीकार करते है क्योंकि उन्हें पता है कि सुधार हमेशा जिम्मेदारी से पैदा होता है.
सुबोध
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जो भी कदम आप उठाये पूरी तरह तैयारी करकर ही उठाये . उठाये गए कदम पर अडिग रहे , जब काम शुरू करेंगे तो बहुत से तथाकथित शुभचिंतक आपकी भलाई के लिएबहुत सी सलाहें देंगे -लेकिन आप सिर्फ अपनी सोची गयी रणनीति पर कार्य करें ,आप का दिमाग खुला होना चाहिए - उनकी राय में वाकई में दम है तो स्वीकार कीजिये लेकिन सिर्फ उन्हें ओब्लाइज़ करने के लिए अपनी पूर्व नीति में किसी तरह का बदलाव न करें.
कदम उठाने से पहले दो बार सोच लेवे क्योंकि एक बार उठाया हुआ कदम वापिस लेना आसान नहीं होता , वापिस लिया हुआ कदम पैसे केअलावा,मेहनत,समय ,आत्मविश्वास और मार्किट में आपकी इज्जत को भी नुकसान पहुँचाता है .
संसार में हर व्यक्ति ने कभी न कभी कोई न कोई गलती की है सो गलतियों या असफलता से न घबराएं अगर आपका लिया गया निर्णय या रणनीतिगलत भी होती है तो साफ़ मन से अपनी असफलता स्वीकार करें ,अपनी असफलता की जिम्मेदारी ले , अगर आप जिम्मेदारी नहीं लेंगे कोई बहाना बनाएंगे या अपनी असफलता का ठीकरा किसी और के माथे फोड़ेंगे तो ये निश्चित है आपका अगला प्रोजेक्ट भी असफल ही होगा क्योंकि आपने अपने व्यक्तित्व में उचित सुधार नहीं किया है .अच्छे लीडर और अमीर लोग हमेशा अपनी असफलता,अपनी गलतियों को स्वीकार करते है क्योंकि उन्हें पता है कि सुधार हमेशा जिम्मेदारी से पैदा होता है.
कदम उठाने से पहले दो बार सोच लेवे क्योंकि एक बार उठाया हुआ कदम वापिस लेना आसान नहीं होता , वापिस लिया हुआ कदम पैसे केअलावा,मेहनत,समय ,आत्मविश्वास और मार्किट में आपकी इज्जत को भी नुकसान पहुँचाता है .
संसार में हर व्यक्ति ने कभी न कभी कोई न कोई गलती की है सो गलतियों या असफलता से न घबराएं अगर आपका लिया गया निर्णय या रणनीतिगलत भी होती है तो साफ़ मन से अपनी असफलता स्वीकार करें ,अपनी असफलता की जिम्मेदारी ले , अगर आप जिम्मेदारी नहीं लेंगे कोई बहाना बनाएंगे या अपनी असफलता का ठीकरा किसी और के माथे फोड़ेंगे तो ये निश्चित है आपका अगला प्रोजेक्ट भी असफल ही होगा क्योंकि आपने अपने व्यक्तित्व में उचित सुधार नहीं किया है .अच्छे लीडर और अमीर लोग हमेशा अपनी असफलता,अपनी गलतियों को स्वीकार करते है क्योंकि उन्हें पता है कि सुधार हमेशा जिम्मेदारी से पैदा होता है.
सुबोध
( one sim all recharge )
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82. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीरों की हिम्मत जुआरियों वाली हिम्मत नहीं होती चूँकि ये अंकों में बड़े साफ़-सुथरे होते है इसलिए एककेलकुलेटेड रिस्क लेते है ,जहाँ हारने की सम्भावना न के बराबर होती है ,रिस्क एंड रिवॉर्ड रेश्यो इनके फेवर में होता है ,और अगर चीज़ें इनके अनुमान के मुताबिक नहीं होती तो इनमें इतनी काबिलियत होती है कि परिस्थितियों के अनुसार खुद को बदल कर कार्य कर सके या चीज़ों से अपने अनुसार कार्य करवा सके . इसके वाबजूद भी अगर इनका कोई प्रोजेक्ट फ़ैल हो जाता है तो ये चूँकि अपने किसी प्रोजेक्ट में अपना सब कुछ न झोंक कर 30 -40 % तक ही डालते है या फिर ये एक सिस्टम के तहत मार्किट से पूँजी उगाहते है सो ये पूरी तरह बर्बाद नहीं होते . जबकि गरीब आदमी अपनी पूंजी के साथ-साथ बीबी के गहने ,बच्चों की बचत ,रिश्तेदारों-दोस्तों तक की पूँजी अपने प्रोजेक्ट में डाल देता है - उसकी असफलता की कल्पना ही दर्दनाक होती है .उसे दो मोर्चों पर लड़ना होता है पहला प्रोजेक्ट की सफलता दूसरा पूँजी की सुरक्षा जबकि अमीर सिर्फ प्रोजेक्टकी सफलता पर ही ध्यान केंद्रित करता है.
-सुबोध
अमीरों की हिम्मत जुआरियों वाली हिम्मत नहीं होती चूँकि ये अंकों में बड़े साफ़-सुथरे होते है इसलिए एककेलकुलेटेड रिस्क लेते है ,जहाँ हारने की सम्भावना न के बराबर होती है ,रिस्क एंड रिवॉर्ड रेश्यो इनके फेवर में होता है ,और अगर चीज़ें इनके अनुमान के मुताबिक नहीं होती तो इनमें इतनी काबिलियत होती है कि परिस्थितियों के अनुसार खुद को बदल कर कार्य कर सके या चीज़ों से अपने अनुसार कार्य करवा सके . इसके वाबजूद भी अगर इनका कोई प्रोजेक्ट फ़ैल हो जाता है तो ये चूँकि अपने किसी प्रोजेक्ट में अपना सब कुछ न झोंक कर 30 -40 % तक ही डालते है या फिर ये एक सिस्टम के तहत मार्किट से पूँजी उगाहते है सो ये पूरी तरह बर्बाद नहीं होते . जबकि गरीब आदमी अपनी पूंजी के साथ-साथ बीबी के गहने ,बच्चों की बचत ,रिश्तेदारों-दोस्तों तक की पूँजी अपने प्रोजेक्ट में डाल देता है - उसकी असफलता की कल्पना ही दर्दनाक होती है .उसे दो मोर्चों पर लड़ना होता है पहला प्रोजेक्ट की सफलता दूसरा पूँजी की सुरक्षा जबकि अमीर सिर्फ प्रोजेक्टकी सफलता पर ही ध्यान केंद्रित करता है.
-सुबोध
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81. सही या गलत -निर्णय आपका !
जो लोग जोखिम लेते है ,गलतियां करते है और उन गलतियों से सीखते है वे उन लोगों से हमेशा बेहतर होते है जो लोग जोखिम से,नुकसान से डर कर गलतियां ही नहीं करते . क्योंकि इसमानसिकता के लोग हिम्मती होते है और एक कहावत बड़ी लोकप्रिय है " समझदार पीछे छूट जाते है और हिम्मती आगे निकल जाते है ." ये गलतियों से इतना ज्यादा सीख लेते है कि आगे से उन गलतियों का इन्हे पहले से ही अंदाजा हो जाता है और इसका नतीजा ये होता है कि धीरे-धीरे इनके काम में निपुणता आने लगती है और अगले किसी प्रोजेक्ट में ये इतनी बड़ी सफलता हासिल करते है कि पिछली सारी असफलताओं की भरपाई हो जाती है और इन्हे ईनाम में वो कुछ मिलता है जिसके बारे में किनारे पर खड़े हुए लोग सिर्फ सोच सकते है .
-सुबोध
( one sim all recharge )
जो लोग जोखिम लेते है ,गलतियां करते है और उन गलतियों से सीखते है वे उन लोगों से हमेशा बेहतर होते है जो लोग जोखिम से,नुकसान से डर कर गलतियां ही नहीं करते . क्योंकि इसमानसिकता के लोग हिम्मती होते है और एक कहावत बड़ी लोकप्रिय है " समझदार पीछे छूट जाते है और हिम्मती आगे निकल जाते है ." ये गलतियों से इतना ज्यादा सीख लेते है कि आगे से उन गलतियों का इन्हे पहले से ही अंदाजा हो जाता है और इसका नतीजा ये होता है कि धीरे-धीरे इनके काम में निपुणता आने लगती है और अगले किसी प्रोजेक्ट में ये इतनी बड़ी सफलता हासिल करते है कि पिछली सारी असफलताओं की भरपाई हो जाती है और इन्हे ईनाम में वो कुछ मिलता है जिसके बारे में किनारे पर खड़े हुए लोग सिर्फ सोच सकते है .
-सुबोध
( one sim all recharge )
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80. सही या गलत -निर्णय आपका !
अकादमिक एजुकेशन सिस्टम में गलतियों का नतीजा पनिशमेंट होता है और वहां उन्हें गलतिया न करने का प्रशिक्षण दिया जाता है . जब ये कहा जाता है कि "गलतियां ही सबसे अच्छी टीचर होती है " ये उन्हें समझ में नहीं आता लिहाजा अपनी अकादमिक एजुकेशन पूरी करने के बाद भी वो लोग भावनात्मक रूप से जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं होते और नतीजे में वो कोई ठीक-ठाक नौकरी पकड़ लेते है और अपनी वर्तमान नौकरी को अपनी वित्तीय सुरक्षा का जरिया मानते हुए ज़िन्दगी गुजारने लगते है ,बिना इस बात को समझे कि नौकरी वित्त के क्षेत्र में एक दीर्धकालीन समस्या का अल्पकालीन समाधान है .वे लोग अपनी वर्तमान नौकरी में ही वित्तीय सुरक्षा और वित्तीय स्वतंत्रता देखते,समझते है जबकि नौकरी,वित्तीय सुरक्षा और वित्तीय स्वतंत्रता तीनो अलग-अलग स्थितियां होती है .
अमीर मानसिकता के लोग इस बात को समझते है इसलिए वे लोग नौकरी की सुरक्षा ( वक्त-वक्त पर अपने c .v. में ऐसा कुछ जोड़ते रहना जिससे उनकी मार्किट में डिमांड बनी रहे ) के साथ ही अन्य कमाई के तरीके से खुद को वित्तीय रूप से सुरक्षित करने की कोशिश करते रहते है.
पोस्ट 59 भी देखें .
- सुबोध
( one sim all recharge )
अकादमिक एजुकेशन सिस्टम में गलतियों का नतीजा पनिशमेंट होता है और वहां उन्हें गलतिया न करने का प्रशिक्षण दिया जाता है . जब ये कहा जाता है कि "गलतियां ही सबसे अच्छी टीचर होती है " ये उन्हें समझ में नहीं आता लिहाजा अपनी अकादमिक एजुकेशन पूरी करने के बाद भी वो लोग भावनात्मक रूप से जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं होते और नतीजे में वो कोई ठीक-ठाक नौकरी पकड़ लेते है और अपनी वर्तमान नौकरी को अपनी वित्तीय सुरक्षा का जरिया मानते हुए ज़िन्दगी गुजारने लगते है ,बिना इस बात को समझे कि नौकरी वित्त के क्षेत्र में एक दीर्धकालीन समस्या का अल्पकालीन समाधान है .वे लोग अपनी वर्तमान नौकरी में ही वित्तीय सुरक्षा और वित्तीय स्वतंत्रता देखते,समझते है जबकि नौकरी,वित्तीय सुरक्षा और वित्तीय स्वतंत्रता तीनो अलग-अलग स्थितियां होती है .
अमीर मानसिकता के लोग इस बात को समझते है इसलिए वे लोग नौकरी की सुरक्षा ( वक्त-वक्त पर अपने c .v. में ऐसा कुछ जोड़ते रहना जिससे उनकी मार्किट में डिमांड बनी रहे ) के साथ ही अन्य कमाई के तरीके से खुद को वित्तीय रूप से सुरक्षित करने की कोशिश करते रहते है.
पोस्ट 59 भी देखें .
अमीर मानसिकता के लोग इस बात को समझते है इसलिए वे लोग नौकरी की सुरक्षा ( वक्त-वक्त पर अपने c .v. में ऐसा कुछ जोड़ते रहना जिससे उनकी मार्किट में डिमांड बनी रहे ) के साथ ही अन्य कमाई के तरीके से खुद को वित्तीय रूप से सुरक्षित करने की कोशिश करते रहते है.
पोस्ट 59 भी देखें .
- सुबोध
( one sim all recharge )
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79. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर बनने के लिए जो तीन महत्वपूर्ण कदम होते है आइये उन्हें समझे -
1 बनना
2 करना
3 पाना
जब आप अपने लक्ष्य (3 पाना ) निर्धारित कर लेते है तो आपको समझ में आने लगता है कि लक्ष्य हासिल करने के लिए आपने क्या - क्या करना(2 .करना ) है , आपकी टू डू लिस्ट बन जाती है और आप उसी के अनुसार कार्य करने लगते है . आप देखते है,समझते है कि इस कार्य को अमीर कैसे करते है जैसे-जैसे वो करते है आप करने का प्रयास करते है लेकिन आपको सफलता नहीं मिलती आप पूरी तरह खुद को री -चेक करते है कि गलती कहाँ से हो रही है,ज़रूरी सुधार करते है फिर भी सफलता नहीं मिलती अब आप परेशान है और असफलता को स्वीकार कर पूरी उम्र के लिए अमीर बनने का विचार त्याग देते है .
एक स्टडी के मुताबिक जो नए प्रोजेक्ट आते है उनमे से 90 % प्रोजेक्ट आने वाले 5 साल में बंद हो जाते है , इतनी बड़ी संख्या में प्रोजेक्ट फ़ैल होने का सही मायने में अर्थ क्या है ? इस बारे में सोचिये समझिए कि गलती कहाँ हो रही है .
आपके द्वारा जो गलती हो रही है वो होने (1 .बनना ) में है . आप ने अमीरों के लक्ष्य बनाये,उनकी तरह काम किया लेकिन वैसे हुए नहीं - मानसिकता में आपके अंदर अभी भी छोटा डरा हुआ मुर्गा बैठा है जिसे हमेशा आशंका रहती है कि अब आसमान गिरने वाला है . यही सोच ,यही मानसिकता आपकी असफलता का कारण है . आपको पाने के लिए करने के साथ-साथ बनना भी पड़ेगा .वो मानसिकता भी खुद में विकसित करनी पड़ेगी जो अमीरों में होती है . उस छोटे डरे हुए मुर्गे को अपनी ज़िन्दगी से दूर भागना होगा जिसे हमेशा आसमान गिरने की आशंका रहती है .
इस सन्दर्भ में पोस्ट 41 और 42 भी देखे.
-सुबोध
( one sim all recharge )
अमीर बनने के लिए जो तीन महत्वपूर्ण कदम होते है आइये उन्हें समझे -
1 बनना
2 करना
3 पाना
जब आप अपने लक्ष्य (3 पाना ) निर्धारित कर लेते है तो आपको समझ में आने लगता है कि लक्ष्य हासिल करने के लिए आपने क्या - क्या करना(2 .करना ) है , आपकी टू डू लिस्ट बन जाती है और आप उसी के अनुसार कार्य करने लगते है . आप देखते है,समझते है कि इस कार्य को अमीर कैसे करते है जैसे-जैसे वो करते है आप करने का प्रयास करते है लेकिन आपको सफलता नहीं मिलती आप पूरी तरह खुद को री -चेक करते है कि गलती कहाँ से हो रही है,ज़रूरी सुधार करते है फिर भी सफलता नहीं मिलती अब आप परेशान है और असफलता को स्वीकार कर पूरी उम्र के लिए अमीर बनने का विचार त्याग देते है .
एक स्टडी के मुताबिक जो नए प्रोजेक्ट आते है उनमे से 90 % प्रोजेक्ट आने वाले 5 साल में बंद हो जाते है , इतनी बड़ी संख्या में प्रोजेक्ट फ़ैल होने का सही मायने में अर्थ क्या है ? इस बारे में सोचिये समझिए कि गलती कहाँ हो रही है .
आपके द्वारा जो गलती हो रही है वो होने (1 .बनना ) में है . आप ने अमीरों के लक्ष्य बनाये,उनकी तरह काम किया लेकिन वैसे हुए नहीं - मानसिकता में आपके अंदर अभी भी छोटा डरा हुआ मुर्गा बैठा है जिसे हमेशा आशंका रहती है कि अब आसमान गिरने वाला है . यही सोच ,यही मानसिकता आपकी असफलता का कारण है . आपको पाने के लिए करने के साथ-साथ बनना भी पड़ेगा .वो मानसिकता भी खुद में विकसित करनी पड़ेगी जो अमीरों में होती है . उस छोटे डरे हुए मुर्गे को अपनी ज़िन्दगी से दूर भागना होगा जिसे हमेशा आसमान गिरने की आशंका रहती है .
इस सन्दर्भ में पोस्ट 41 और 42 भी देखे.
-सुबोध
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78.सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर और गरीब के बीच जो इकलौता फर्क होता है वो उसके चुनाव का है. ज़िन्दगी हर लम्हे चुनाव का विकल्प देती है , वो क्या चुनता है इसी से उसका अमीर या गरीब बनना तय होता है . तनख्वाह मिलने पर अमीर मानसिकता का आदमी पहले 10 % या 20 % जो भी उसने निश्चित कर रखा है ,खुद को देगा ( जहाँ उसने इन्वेस्ट करना है,सेव करना है ) उसके बाद अपने बिल चुकाएगा ,अपने खर्चे पूरे करेगा और फिर अगर कुछ बचता है तो अपनी इच्छाएं पूरी करेगाजबकि गरीब मानसिकता का आदमी पहले अपने बिल चुकाएगा, अपने खर्चे पूरे करेगा, इच्छाएं पूरी करेगा फिर अगर कुछ बच गया तो कहीं इन्वेस्ट करेगा या सेव करेगा.
इसी तरह से खाली समय में अमीर मानसिकता का आदमी अगर टी.व्ही . देख रहा है तो कोई बिज़नेस चैनल देखता है जबकि गरीब मानसिकता का आदमी कोई पिक्चर या सीरियल देखता है . न्यूज़ पेपर पढ़ने में भी आप फर्क महसूस कर सकते है अमीर मानसिकता का आदमी इकॉनमी या किसी व्यवसाय के बारे में पढ़ेगा जबकि गरीब मानसिकता का आदमी हत्या,लूट,चोरी,बलात्कार जैसी ख़बरें पढ़ेगा . ये साधारण सी नज़र आनेवाली बातें लम्बे समय में ज़िन्दगी पर बहुत बड़ा फर्क डालती है . आपका चुनाव ही आपका भविष्य तय करता है . इसलिए जो कुछ भी आप चुने पूरी तरह सोच-समझ कर चुने .
- सुबोध
( one sim all recharge )
अमीर और गरीब के बीच जो इकलौता फर्क होता है वो उसके चुनाव का है. ज़िन्दगी हर लम्हे चुनाव का विकल्प देती है , वो क्या चुनता है इसी से उसका अमीर या गरीब बनना तय होता है . तनख्वाह मिलने पर अमीर मानसिकता का आदमी पहले 10 % या 20 % जो भी उसने निश्चित कर रखा है ,खुद को देगा ( जहाँ उसने इन्वेस्ट करना है,सेव करना है ) उसके बाद अपने बिल चुकाएगा ,अपने खर्चे पूरे करेगा और फिर अगर कुछ बचता है तो अपनी इच्छाएं पूरी करेगाजबकि गरीब मानसिकता का आदमी पहले अपने बिल चुकाएगा, अपने खर्चे पूरे करेगा, इच्छाएं पूरी करेगा फिर अगर कुछ बच गया तो कहीं इन्वेस्ट करेगा या सेव करेगा.
इसी तरह से खाली समय में अमीर मानसिकता का आदमी अगर टी.व्ही . देख रहा है तो कोई बिज़नेस चैनल देखता है जबकि गरीब मानसिकता का आदमी कोई पिक्चर या सीरियल देखता है . न्यूज़ पेपर पढ़ने में भी आप फर्क महसूस कर सकते है अमीर मानसिकता का आदमी इकॉनमी या किसी व्यवसाय के बारे में पढ़ेगा जबकि गरीब मानसिकता का आदमी हत्या,लूट,चोरी,बलात्कार जैसी ख़बरें पढ़ेगा . ये साधारण सी नज़र आनेवाली बातें लम्बे समय में ज़िन्दगी पर बहुत बड़ा फर्क डालती है . आपका चुनाव ही आपका भविष्य तय करता है . इसलिए जो कुछ भी आप चुने पूरी तरह सोच-समझ कर चुने .
- सुबोध
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77.सही या गलत -निर्णय आपका !
आपकी ज़िन्दगी आपके चुनावों का परिणाम है .आप जो चुनते है वैसे ही बनते है, ज़िन्दगी आपके सामने हर लम्हे चुनने का अवसर देती है ये आप पर है ,आपकी भविष्यदृष्टि पर है कि आप क्या चुनते है .
सुबह 6 बजे आप नींद से जागते है ,ये आप का चुनाव है कि आप आज बिस्तर छोड़ेंगे या नहीं ,आप बिस्तर छोड़ने का चुनाव करते है .यहाँ फिर चुनाव है कि आप घूमने जायेंगे (स्पोर्ट्स शू पहनेंगे या स्लीपर, टी-शर्ट -बरमूडा में जायेंगे या कुर्ते पजामे में ,कौन से पार्क में जायेंगे,सिर्फ टहलेंगे या जॉगिंग करेंगे वगैरह-वगैरह) या न्यूज़ पेपर पढ़ेंगे (ढेरों ऑप्शन) या टी.व्ही . देखेंगे (ढेरों ऑप्शन पिक्चर देखेंगे ,गाने सुनेंगे ,न्यूज़ देखेंगे - और इनमे भी ढेरों ऑप्शन ) कहने का मतलब ज़िन्दगी बार-बार हर पल तरह-तरह के चुनाव का मौका आपको देती है,यह आप पर है कि आप क्या चुनते है , अपनी ज़िन्दगी को क्या आकार देते है.
अगर आपके पास उचित शिक्षा है ,सोचने समझने की क्षमता है प्रॉपर मोटिवेशन है तो आप उस व्यक्ति से कुछ अलग चुनेंगे जिनमे ये गुण नहीं है.आपका दिमाग ही आपकी शक्ति है -जो आपको सही और गलत की पहचान कराकर आपसे सही का चुनाव करवाता है. अपने शरीर के साथ -साथ उसे भी खुराक दीजिये . 90 % लोग शरीर को खुराक देने का चुनाव करते है दिमाग को नहीं -इसीलिए इतनी ज्यादा गरीबी है - गरीबी की वजह न सरकार है, न समाज है, न परिवार है बल्कि इसकी वजह गरीब आदमी का खुद का चुना हुआ एक गलत चुनाव है.
-सुबोध
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आपकी ज़िन्दगी आपके चुनावों का परिणाम है .आप जो चुनते है वैसे ही बनते है, ज़िन्दगी आपके सामने हर लम्हे चुनने का अवसर देती है ये आप पर है ,आपकी भविष्यदृष्टि पर है कि आप क्या चुनते है .
सुबह 6 बजे आप नींद से जागते है ,ये आप का चुनाव है कि आप आज बिस्तर छोड़ेंगे या नहीं ,आप बिस्तर छोड़ने का चुनाव करते है .यहाँ फिर चुनाव है कि आप घूमने जायेंगे (स्पोर्ट्स शू पहनेंगे या स्लीपर, टी-शर्ट -बरमूडा में जायेंगे या कुर्ते पजामे में ,कौन से पार्क में जायेंगे,सिर्फ टहलेंगे या जॉगिंग करेंगे वगैरह-वगैरह) या न्यूज़ पेपर पढ़ेंगे (ढेरों ऑप्शन) या टी.व्ही . देखेंगे (ढेरों ऑप्शन पिक्चर देखेंगे ,गाने सुनेंगे ,न्यूज़ देखेंगे - और इनमे भी ढेरों ऑप्शन ) कहने का मतलब ज़िन्दगी बार-बार हर पल तरह-तरह के चुनाव का मौका आपको देती है,यह आप पर है कि आप क्या चुनते है , अपनी ज़िन्दगी को क्या आकार देते है.
अगर आपके पास उचित शिक्षा है ,सोचने समझने की क्षमता है प्रॉपर मोटिवेशन है तो आप उस व्यक्ति से कुछ अलग चुनेंगे जिनमे ये गुण नहीं है.आपका दिमाग ही आपकी शक्ति है -जो आपको सही और गलत की पहचान कराकर आपसे सही का चुनाव करवाता है. अपने शरीर के साथ -साथ उसे भी खुराक दीजिये . 90 % लोग शरीर को खुराक देने का चुनाव करते है दिमाग को नहीं -इसीलिए इतनी ज्यादा गरीबी है - गरीबी की वजह न सरकार है, न समाज है, न परिवार है बल्कि इसकी वजह गरीब आदमी का खुद का चुना हुआ एक गलत चुनाव है.
-सुबोध
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76. सही या गलत -निर्णय आपका !
गरीब असफलता के डर से सिस्टम बनाने का रिस्क न लेकर किसी और के सिस्टम के लिए काम करने का चुनाव करता है यानि किसी और को अमीर बनाने का चुनाव करता है .गरीब का डर अमीर के लिए रिवॉर्ड होता है. गरीब अपनी अधूरी समझ की वजह से यह समझता है कि अमीर का सिस्टम उसका शोषण करता है जबकि हकीकत में गरीब खुद अपना शोषण करता है. अपनी तथाकथित सुरक्षा के लिए वह कम मजदूरी पर भी कार्य करता रहता है ज्यादा हताश होने पर वो अपना जॉब बदलता है ,बॉस बदलता है लेकिन खुद के सोचने के तरीके को नहीं बदलता है .उसने सिर्फ पैसे के लिए,सिस्टम के लिए काम करना सीखा हुआ है और अधूरी शिक्षा की कीमत वो अपनी पूरी जिंदगी चुकाता रहता है काश उसने पैसे से अपने लिए काम करवाना सीखा होता या असफलता के डर को मैनेज करना सीखा होता , सिस्टम के लिए काम करना सीखने की बजाय सिस्टम बनाना सीखा होता .
-सुबोध
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75. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर लोग दूसरों का समय खरीदते है .
अगर उसके बनाये हुए सिस्टम में 500 एम्प्लोयी है तो वो 1 लाख घंटे समय प्रति माह खरीद रहा है .(एक एम्प्लोयी 8 घंटे कार्य करता है महीने में एवरेज 25 दिन पकडे गए है यानि कुल 200 घंटे कार्य किया है )
इसी उदाहरण को अलग तरीके से समझे - अगर एक घंटे की एम्प्लोयी की उत्पादकता 300 रुपये है तो उसको 100 रुपये दिए जाते है (एक एम्प्लोयी 8 घंटे कार्य करता है महीने में 25 दिन पकडे गए है यानि कुल 200 घंटे कार्य किया है और 100 रुपये घंटे के हिसाब से उसे 20,000 रुपये महीने के मिलते है ) यानि 200 रुपये प्रति घंटे पर बचे अब अगर उसके सिस्टम में 1 लाख घंटे कार्य हो रहा है तो उसे 2 करोड़ रुपये बच जाते है- यह एक साधारण सा उदाहरण है और लेबर से मैनेजर तक की एक एवरेज कॉस्ट पकड़ी गई है.अलग-अलग बिज़नेस सिस्टम में अलग-अलग मार्जिन रेश्यो होते है.
इनकम का सिंपल सा फार्मूला एक एम्प्लोयी के लिए जो होता है वो ये है कि टाइम मल्टीप्लाई बाई रेट यानि कितने घंटे काम किया और किस रेट में काम किया जबकि सिस्टम के मालिक के लिए ये फार्मूला बदल जाता है कि नेट मार्जिन आन टाइम मल्टीप्लाई बाई क्वांटिटी ऑफ़ टाइम यानी प्रति घंटे नेट मार्जिन क्या है और कितने घंटे काम हुआ है .
ये कुछ बोझिल उदाहरण है लेकिन अगर अमीर बनना है तो इन्हे समझे और बराबर समझे कि सिस्टम बनाने में एक बिजनेसमैन ने एक टाइम जमकर मेहनत की ,सिस्टम जब तैयार हो गया तो खुद साइड में हट गया , और रेजिड्यूअल इनकम लेने लगा .ऐसे ही कई सिस्टम से उसे इनकम आती है .
पुनश्च: - अगर आपने मेरी पूर्व की पोस्ट्स नहीं पढ़ी है तो आपको ये पोस्ट समझने में दिक्कत आ सकती है , मेरा आपसे दुबारा आग्रह है कि मेरे पेज पर जाकर मेरी पूरी पोस्ट पढ़ने के बाद ही कोई कमेंट करें . माफ़ करें मेरा ये मानना है कि स्थिति से पूरी तरह वाकिफ हुए बिना कमेंट करना बेवकूफी होती है - मेरे ख्याल से आप भी यही सोचते है.
सुबोध
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74 . सही या गलत -निर्णय आपका !
किसी दुसरे के लिए काम करने का अर्थ ये होता है कि आप और आप जैसे सैंकड़ों लोग किसी के बनाये हुए सिस्टम के लिए काम कर रहे है . आप लोगों के किये हुए उपयोगी कार्य की वजह से सिस्टम बनाने वाला सिस्टम का मालिक आप को जो दे रहा है उस से ज्यादा उपार्जित करेगा . वो सिस्टम बनाते वक्त आपके लिए क्या छोड़ता है और अपने लिए कितना रखता है यह अलग विषय है . शुरुआत में सिस्टम बनाने वाले को इंफ्रास्ट्रक्चर में अतिरिक्त लागत की वजह से फायदा नहीं होता लेकिन बाद में जब वो कॉस्ट कवर हो जाती है तो बेहतरीन फायदा होता है यानि शुरुआत में रिस्क लेकर वो जो सिस्टम बनाता है उस सिस्टम की बदौलत वो सिस्टम के लिए काम करने वालों से ज्यादा कमाता है और यहीं सिस्टम बनाने वाले की अमीरी का राज है .
-सुबोध
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73. सही या गलत -निर्णय आपका !
जब कोई व्यक्ति आपको यह कहता है कि तुम यह नहीं कर पाओगे तो आप जान ले हकीकत में वो शख्स खुद के विषय में कह रहा है कि मैं यह नहीं कर सकता.आप उसकी बात का कतई यकीन नहीं करें,अपने प्रयत्न जारी रखे . हर व्यक्ति की अपनी निजी क्षमताएं ,निजी आकांक्षाएं ,निजी सपने होते है जो उसकी चाहत को सम्बल देते है,साकार रूप देते है और वैसे भी आप इस पूरे विश्व में सबसे अनोखे है.आप की ताकत आप के अंदर है किसी दूसरे की सोच में नहीं. अमीर व्यक्ति किसी दूसरे के हाथों की , सोच की कठपुतली नहीं होते ; उन्हें खुद की क्षमता पर यकीन होता है और जिन्हे अपनी क्षमता पर यकीन होता है वे वही होते है जो वे होना चाहते है .
-सुबोध
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72. सही या गलत -निर्णय आपका !
शारीरिक रूप से मेहनत करने वालों को कम भुगतान मिलता है ये बात अतीत में भी सच थी और आज भी सच है .सच्चाई ये है कि कड़ी मेहनत करनेवाले अमीर नहीं बनते . अगर आप अमीर बनना चाहते है तो आपको कुछ अलग करने की ज़रुरत है - भीड़ जो कर रही है और करने के बदले जो पा रही है उस से आप वाकिफ है- आफ्टरऑल आप भी अब तक उस भीड़ का हिस्सा रहे है .आप को संसार का सबसे कठिन काम "सोचना" करना पड़ेगा- भीड़ के पीछे-पीछे चलने की बजाय सोचे कि मैं इन सबसे अलग किस तरह हूँ, जो कि इनसे अलग कुछ पाना चाहता हूँ. अपने उस गुण की तलाश कीजिये जो आपको अमीरों की श्रेणी में ला खड़ा करता है -सबसे अलग हट कर सोचने का गुण .इतना ध्यान रखें सिस्टम के लिए काम करने वाले गरीब होते है जबकि सिस्टम बनाने वाले अमीर होते है.
-सुबोध
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71. सही या गलत -निर्णय आपका !
सुचना क्रांति युग में कड़ी मेहनत का अर्थ वो नहीं है जो कृषि युग और औद्योगिक युग में था. सुचना क्रांति युग में कड़ी मेहनत का अर्थ जानकारी हासिल करना,सीखना और तत्काल अमल में लाना है,क्योंकि कल ये बासी अख़बार हो जानी है और कम्पटीशन के दौर में कल इसमें मार्जिन भी नहीं बचेगा. कोई कितनी जल्दी सूचनाएं इकट्ठी करकर कार्यरूप में परिणित कर सकता है इसी पर उसका अमीर बनना निर्भर है ." knowledge is power " का सही अर्थ सिर्फ ज्ञान हासिल करना नहीं है, ये अधूरी जानकारी है - ज्ञान में कोई शक्ति नहीं होती- उसे कार्यरूप में परिणित करना ही शक्ति है. अमीर मानसिकता वाला व्यक्ति इस बात को जानता है सो वो अमीर बनता है, गरीब मानसिकता वाला व्यक्ति इस बात को नहीं जानता इसलिए वो विद्वान बनता है- जीता-जागता इनसाइक्लोपीडिया .
- सुबोध
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70. सही या गलत -निर्णय आपका !
असफलता ज़िन्दगी में हर एक को मिलती है ये उनकी मानसिकता पर निर्भर है कि वो अपनी असफलता पर कैसी प्रतिक्रिया करते है .गरीब मानसिकता के लोग एक बार की असफलता से इतने ज्यादा बौखला जाते है कि असफलता का सामना करना सीखने के बजाय अपनी पूरी ज़िन्दगी आधे पेट और अधनंगे रहकर गुजार देते है जबकि अमीर मानसिकता के लोग असफलता की राख से फीनिक्स की तरह दुबारा ज़िंदा होते है,और नई ऊचाईयां हासिल करते है .
यहाँ समस्या असफलता नहीं है बल्कि अज्ञान है - असफलता को मैनेज करने का अज्ञान. असफलता से पैदा होने वाली टूटन,निराशा,हताशा,आलोचना आदि नकारात्मक भावों को मैनेज करने का अज्ञान .ध्यान रखे खतरनाक वो नहीं होता जिसे आप जानते है बल्कि वो होता है जिसे आप नहीं जानते .
- सुबोध
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69. सही या गलत -निर्णय आपका !
जिसमे जितनी कम वित्तीय बुद्धि होती है उसे पैसा बनाने के लिए उतने ही ज्यादा पैसे की जरूरत होती है,और जिसकी वित्तीय बुद्धि जितनी ज्यादा होती है उसे पैसा बनाने के लिए उसी अनुपात में कम पैसे की जरूरत होती है.
-सुबोध
गरीब असफलता के डर से सिस्टम बनाने का रिस्क न लेकर किसी और के सिस्टम के लिए काम करने का चुनाव करता है यानि किसी और को अमीर बनाने का चुनाव करता है .गरीब का डर अमीर के लिए रिवॉर्ड होता है. गरीब अपनी अधूरी समझ की वजह से यह समझता है कि अमीर का सिस्टम उसका शोषण करता है जबकि हकीकत में गरीब खुद अपना शोषण करता है. अपनी तथाकथित सुरक्षा के लिए वह कम मजदूरी पर भी कार्य करता रहता है ज्यादा हताश होने पर वो अपना जॉब बदलता है ,बॉस बदलता है लेकिन खुद के सोचने के तरीके को नहीं बदलता है .उसने सिर्फ पैसे के लिए,सिस्टम के लिए काम करना सीखा हुआ है और अधूरी शिक्षा की कीमत वो अपनी पूरी जिंदगी चुकाता रहता है काश उसने पैसे से अपने लिए काम करवाना सीखा होता या असफलता के डर को मैनेज करना सीखा होता , सिस्टम के लिए काम करना सीखने की बजाय सिस्टम बनाना सीखा होता .
-सुबोध
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75. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर लोग दूसरों का समय खरीदते है .
अगर उसके बनाये हुए सिस्टम में 500 एम्प्लोयी है तो वो 1 लाख घंटे समय प्रति माह खरीद रहा है .(एक एम्प्लोयी 8 घंटे कार्य करता है महीने में एवरेज 25 दिन पकडे गए है यानि कुल 200 घंटे कार्य किया है )
इसी उदाहरण को अलग तरीके से समझे - अगर एक घंटे की एम्प्लोयी की उत्पादकता 300 रुपये है तो उसको 100 रुपये दिए जाते है (एक एम्प्लोयी 8 घंटे कार्य करता है महीने में 25 दिन पकडे गए है यानि कुल 200 घंटे कार्य किया है और 100 रुपये घंटे के हिसाब से उसे 20,000 रुपये महीने के मिलते है ) यानि 200 रुपये प्रति घंटे पर बचे अब अगर उसके सिस्टम में 1 लाख घंटे कार्य हो रहा है तो उसे 2 करोड़ रुपये बच जाते है- यह एक साधारण सा उदाहरण है और लेबर से मैनेजर तक की एक एवरेज कॉस्ट पकड़ी गई है.अलग-अलग बिज़नेस सिस्टम में अलग-अलग मार्जिन रेश्यो होते है.
इनकम का सिंपल सा फार्मूला एक एम्प्लोयी के लिए जो होता है वो ये है कि टाइम मल्टीप्लाई बाई रेट यानि कितने घंटे काम किया और किस रेट में काम किया जबकि सिस्टम के मालिक के लिए ये फार्मूला बदल जाता है कि नेट मार्जिन आन टाइम मल्टीप्लाई बाई क्वांटिटी ऑफ़ टाइम यानी प्रति घंटे नेट मार्जिन क्या है और कितने घंटे काम हुआ है .
ये कुछ बोझिल उदाहरण है लेकिन अगर अमीर बनना है तो इन्हे समझे और बराबर समझे कि सिस्टम बनाने में एक बिजनेसमैन ने एक टाइम जमकर मेहनत की ,सिस्टम जब तैयार हो गया तो खुद साइड में हट गया , और रेजिड्यूअल इनकम लेने लगा .ऐसे ही कई सिस्टम से उसे इनकम आती है .
पुनश्च: - अगर आपने मेरी पूर्व की पोस्ट्स नहीं पढ़ी है तो आपको ये पोस्ट समझने में दिक्कत आ सकती है , मेरा आपसे दुबारा आग्रह है कि मेरे पेज पर जाकर मेरी पूरी पोस्ट पढ़ने के बाद ही कोई कमेंट करें . माफ़ करें मेरा ये मानना है कि स्थिति से पूरी तरह वाकिफ हुए बिना कमेंट करना बेवकूफी होती है - मेरे ख्याल से आप भी यही सोचते है.
सुबोध
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74 . सही या गलत -निर्णय आपका !
किसी दुसरे के लिए काम करने का अर्थ ये होता है कि आप और आप जैसे सैंकड़ों लोग किसी के बनाये हुए सिस्टम के लिए काम कर रहे है . आप लोगों के किये हुए उपयोगी कार्य की वजह से सिस्टम बनाने वाला सिस्टम का मालिक आप को जो दे रहा है उस से ज्यादा उपार्जित करेगा . वो सिस्टम बनाते वक्त आपके लिए क्या छोड़ता है और अपने लिए कितना रखता है यह अलग विषय है . शुरुआत में सिस्टम बनाने वाले को इंफ्रास्ट्रक्चर में अतिरिक्त लागत की वजह से फायदा नहीं होता लेकिन बाद में जब वो कॉस्ट कवर हो जाती है तो बेहतरीन फायदा होता है यानि शुरुआत में रिस्क लेकर वो जो सिस्टम बनाता है उस सिस्टम की बदौलत वो सिस्टम के लिए काम करने वालों से ज्यादा कमाता है और यहीं सिस्टम बनाने वाले की अमीरी का राज है .
-सुबोध
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73. सही या गलत -निर्णय आपका !
जब कोई व्यक्ति आपको यह कहता है कि तुम यह नहीं कर पाओगे तो आप जान ले हकीकत में वो शख्स खुद के विषय में कह रहा है कि मैं यह नहीं कर सकता.आप उसकी बात का कतई यकीन नहीं करें,अपने प्रयत्न जारी रखे . हर व्यक्ति की अपनी निजी क्षमताएं ,निजी आकांक्षाएं ,निजी सपने होते है जो उसकी चाहत को सम्बल देते है,साकार रूप देते है और वैसे भी आप इस पूरे विश्व में सबसे अनोखे है.आप की ताकत आप के अंदर है किसी दूसरे की सोच में नहीं. अमीर व्यक्ति किसी दूसरे के हाथों की , सोच की कठपुतली नहीं होते ; उन्हें खुद की क्षमता पर यकीन होता है और जिन्हे अपनी क्षमता पर यकीन होता है वे वही होते है जो वे होना चाहते है .
-सुबोधhttp://saralservices.com
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72. सही या गलत -निर्णय आपका !
शारीरिक रूप से मेहनत करने वालों को कम भुगतान मिलता है ये बात अतीत में भी सच थी और आज भी सच है .सच्चाई ये है कि कड़ी मेहनत करनेवाले अमीर नहीं बनते . अगर आप अमीर बनना चाहते है तो आपको कुछ अलग करने की ज़रुरत है - भीड़ जो कर रही है और करने के बदले जो पा रही है उस से आप वाकिफ है- आफ्टरऑल आप भी अब तक उस भीड़ का हिस्सा रहे है .आप को संसार का सबसे कठिन काम "सोचना" करना पड़ेगा- भीड़ के पीछे-पीछे चलने की बजाय सोचे कि मैं इन सबसे अलग किस तरह हूँ, जो कि इनसे अलग कुछ पाना चाहता हूँ. अपने उस गुण की तलाश कीजिये जो आपको अमीरों की श्रेणी में ला खड़ा करता है -सबसे अलग हट कर सोचने का गुण .इतना ध्यान रखें सिस्टम के लिए काम करने वाले गरीब होते है जबकि सिस्टम बनाने वाले अमीर होते है.
-सुबोध
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71. सही या गलत -निर्णय आपका !
सुचना क्रांति युग में कड़ी मेहनत का अर्थ वो नहीं है जो कृषि युग और औद्योगिक युग में था. सुचना क्रांति युग में कड़ी मेहनत का अर्थ जानकारी हासिल करना,सीखना और तत्काल अमल में लाना है,क्योंकि कल ये बासी अख़बार हो जानी है और कम्पटीशन के दौर में कल इसमें मार्जिन भी नहीं बचेगा. कोई कितनी जल्दी सूचनाएं इकट्ठी करकर कार्यरूप में परिणित कर सकता है इसी पर उसका अमीर बनना निर्भर है ." knowledge is power " का सही अर्थ सिर्फ ज्ञान हासिल करना नहीं है, ये अधूरी जानकारी है - ज्ञान में कोई शक्ति नहीं होती- उसे कार्यरूप में परिणित करना ही शक्ति है. अमीर मानसिकता वाला व्यक्ति इस बात को जानता है सो वो अमीर बनता है, गरीब मानसिकता वाला व्यक्ति इस बात को नहीं जानता इसलिए वो विद्वान बनता है- जीता-जागता इनसाइक्लोपीडिया .
- सुबोध
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70. सही या गलत -निर्णय आपका !
असफलता ज़िन्दगी में हर एक को मिलती है ये उनकी मानसिकता पर निर्भर है कि वो अपनी असफलता पर कैसी प्रतिक्रिया करते है .गरीब मानसिकता के लोग एक बार की असफलता से इतने ज्यादा बौखला जाते है कि असफलता का सामना करना सीखने के बजाय अपनी पूरी ज़िन्दगी आधे पेट और अधनंगे रहकर गुजार देते है जबकि अमीर मानसिकता के लोग असफलता की राख से फीनिक्स की तरह दुबारा ज़िंदा होते है,और नई ऊचाईयां हासिल करते है .
यहाँ समस्या असफलता नहीं है बल्कि अज्ञान है - असफलता को मैनेज करने का अज्ञान. असफलता से पैदा होने वाली टूटन,निराशा,हताशा,आलोचना आदि नकारात्मक भावों को मैनेज करने का अज्ञान .ध्यान रखे खतरनाक वो नहीं होता जिसे आप जानते है बल्कि वो होता है जिसे आप नहीं जानते .
- सुबोध
जिसमे जितनी कम वित्तीय बुद्धि होती है उसे पैसा बनाने के लिए उतने ही ज्यादा पैसे की जरूरत होती है,और जिसकी वित्तीय बुद्धि जितनी ज्यादा होती है उसे पैसा बनाने के लिए उसी अनुपात में कम पैसे की जरूरत होती है.
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68. सही या गलत -निर्णय आपका !
गरीब वो बनता है जो उसे ज़िन्दगी बनाती है जबकि अमीर अपनी ज़िन्दगी खुद बनाता है .सिर्फ एक शब्द दोनों की पूरी ज़िन्दगी बदल देता है और वो शब्द है ज़िम्मेदारी .गरीब अपनी ज़िन्दगी बनाने की जिम्मेदारी दूसरों पर छोड़ता है उन दूसरों पर जिन्हे उसकी खासियतों , कमजोरियों का पूरी तरह इल्म नहीं होता. वे लोग अपनी खासियतों , कमजोरियों और सपनों को मद्देनज़र रख कर प्लानिंग करते है और गरीब मानसिकता ग्रस्त व्यक्ति सिर्फ कठपुतली की तरह (डेमो पीस) उनकी प्लानिंग पर काम करता है यानि मस्तिष्क किसी और का , शरीर किसी और का - नतीजा एक प्रॉपर कॉम्बिनेशन के अभाव में असफलता. (कितने बच्चे डॉक्टर ,वकील,सी.ए., आई .ए.अस . वगैरह नहीं बन पाते क्योंकि मस्तिष्क/सपना उनका नहीं किसी मोटिवेटर का होता है वो तो सिर्फ बलि के बकरे होते है ! त्याग की प्रतिमूर्ति होते है !! ) जबकि अमीर अपनी ज़िन्दगी बनाने की ज़िम्मेदारी खुद लेता है- अपनी कमजोरियों और खासियतों को पूरी तरह समझते हुए . ध्यान रखें आप आज जो कुछ भी है उसकी वजह आप है सिर्फ आप और कल जो कुछ भी होंगे उसकी वजह भी आप ही होंगे.
-सुबोध
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67. सही या गलत -निर्णय आपका !
बीज को अगर संदूक में रखा जायेगा तो या तो सड़ जायेगा या गल जायेगा .अगर वही बीज उचित मिटटी, खाद,हवा,पानी,धूप के संपर्क में आएगा तो अंकुरित होगा,पौधा बनेगा पेड़ बनेगा और फल देगा. यह आप पर है कि आप बीज का क्या करते है . यह इंसान की खुशनसीबी है कि ऊपरवाले ने हर इंसान को बीज दिए है .मेरा बीज से तात्पर्य विचार से है .अपने विचारों में भविष्य की संभावनाएं तलाशिये - उनमें सुधार कीजिये और उन्हें जमीन पर उतारिये- ध्यान रखें विचार पर किसी भी जात का, धर्म का ,शिक्षा का,उम्र का,रंग का,वर्ग का आधिपत्य नहीं होता .अमीर मानसिकता और गरीब मानसिकता में फर्क यही होता है कि अमीर मानसिकता विचार को कार्यरूप में परिणित करती है जबकि गरीब मानसिकता "बराबर प्लान कर रहा हूँ ","विचार में सुधार कर कर रहा हूँ ","संभावनाएं पूरी तरह खंगाल रहा हूँ" ,"इस बारे में पूरी स्टडी कर रहा हूँ","तैयारी कर रहा हूँ" कहता रहता है .यहाँ तक कि उस विचार की उपयोगिता ही ख़त्म हो जाती है .
-सुबोध
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66. सही या गलत -निर्णय आपका !
वो गरीब होता है जिसे सारे सवालों के जवाब आते है यानि उसे लगता है कि उसे सब कुछ पता है और वो नया जानना,सीखना छोड़ देता है.यह ज्ञान के प्रति एक तरह का दुराग्रह होता है जो उन्हें ब्रह्माण्ड का केंद्रबिंदु बना देता है-इस भावना के साथ कि मुझसे ज्यादा इस विषय में कोई नहीं जानता , में सर्वज्ञ हूँ- घमंड की पराकाष्टा तक . अमीर वो होता है जो हमेशा सवालों के नए जवाब ढूंढता रहता है और खुद को अपडेट करता रहता है .वो जानता है कि किसी भी सवाल के कई उत्तर होते है और कोई भी उत्तर आखिरी उत्तर नहीं होता है ,उत्तर हमेशा परिस्थितियों के अनुसार बदलते रहते है यानी वो हमेशा सीखता रहता है और बढ़ता रहता है .अमीर बनने के लिए व्यक्तित्व में हठधर्मिता की नहीं विनम्रता की जरूरत होती है .
-सुबोध
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65.सपने छोटे क्यों ?
छोटी सोच वाले
छोटे सपने देखते है
और सिर्फ देखते है.......
-
बड़े सपने देखने पर
शुभचिंतक हो जाते है दहशतज़दा
वे ढूंढते है
बड़ी समस्याओं के लिए
छोटे-छोटे समाधान.
-
नहीं समझ पाते
कि सपने
देखने से नहीं
बल्कि पूरे होते है
सुव्यवस्थित प्रयास से ,
नहीं समझ पाते
कि वे इस किनारे पर है
दुसरे पर उनके सपने
और बीच में समस्याओं की नदी .
-
उन्हें सिर्फ बनाना है एक पुल
इस किनारे से उस किनारे तक
उन्हें पुल बनाने का
जुटाना है सामान
पैदा करनी है काबिलियत
उसके बाद
सपने उनके होंगे.
हाँ, जो भी देखे होंगे,
चाहे बड़े हो या छोटे.
तो छोटे क्यों ?
सुबोध- १४ मई,२०१४
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64. सही या गलत -निर्णय आपका !
जब भी आपके हाथ में पैसे आते है,आप उस पैसे के साथ क्या करते है ये निर्णय ही आपको अमीर या गरीब बनाता है .अमीर बिलम्ब से संतुष्टि पाने में यकीन करता है अगर उसे बड़ी ख़ुशी की सम्भावना नज़र आये तोऐसी स्थिति में वो उस पैसे को खर्च करने की बजाय कही इन्वेस्ट करता है और अगर तत्काल उसे ऐसी कोई सम्भावना नज़र न आये तो उस पैसे को सेव करता है ,सम्भाल कर रखता है. जबकि गरीब को तत्काल संतुष्टि चाहिए होती है,अपनी छोटी-छोटी खुशियों से उसे इतना प्यार होता है कि उन्हें पूरा करने के लिए वो अपनी बड़ी खुशियों को दांव पर लगा देता है. आपके पास हमेशा विकल्प होते है ,सही चुनाव ही आपको अमीर या गरीब बनाता है .
- सुबोध
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63. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर बनने के लिए आपके पास एक ठोस कारण होना चाहिए जो आपमें इतनी आग पैदा कर सके कि आप मंज़िल पा सके . मंज़िल दूर नहीं है सिर्फ एक बेहतरीन प्लानिंग करकर शुरुआत भर करनी है, बाकि सब अपने आप होता जायेगा - आपका कारण,आपका सपना आपसे करवा लेगा . अगर आपके पास ऐसा कोई कारण नहीं है जो आपको अमीर बनने की प्रेरणा दे सके तो आपको इतना बता दूँ अमीर बनने में बहुत-बहुत ज्यादा मेहनत होती है , मंज़िल तक ले जाने वाली सड़क बहुत उबड़-खाबड़ है उसमें ढेरों गड्ढे है और सफलता की सम्भावना भी न के बराबर है. तो बेहतर है पहले एक कारण, एक सपना पैदा कीजिये जो आपको पागल कर सके ,जो आपके होश उड़ा सके , तब इस खेल में शामिल होइए.
-सुबोध
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62. सही या गलत -निर्णय आपका !
गरीबों को छत के हर कोने में छेद नज़र आते है वे बहुत अच्छे शिकायती होते है ,आलोचक होते है ,उन्हें हर जगह कमी नज़र आती है सिवाय उस जगह के जहाँ उन्हें कमी नज़र आनी चाहिए . ध्यान रखें गरीबी एक मानसिकता है और दोषदर्शिता गरीब मानसिकता की पहचान है.अमीर दोषदर्शी नहीं होते,वे आगे बढ़कर जिम्मेदारी स्वीकारते है . वे जानते है कि सुधार तभी संभव है जब गलती की जिम्मेदारी ली जाती है .जबकि गरीब मानसिकता के लोग अपनी गलती को जायज़ ठहराने के लिए बहस करते है या बहाने बनाते है.
- सुबोध
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61. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर पैसे के लिए काम नहीं करते वे संपत्तियां बनाने के लिए काम करते है ,जिनसे उन्हें कैशफ्लो मिलता है . वे पूरी ज़िन्दगी अपने खर्चे के लिए कमाते रहने की बजाय ऐसी संपत्तियां खरीदते है जिनसे उन्हें ज़िन्दगी के खर्चे चलाने के लिए पैसे मिलते रहे.जबकि गरीब लोग संपत्ति बनाने के लिए मेहनत करने की बजाय ज़िन्दगी के खर्चे चलाने के लिए मेहनत करते है यानि गरीब लोग खुद मेहनत करते है जबकि अमीरों के लिए उनकी संपत्ति मेहनत करती है .
- सुबोध
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60. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर पैसे से मोहब्बत करते है, वे पैसा कैसे कमाया जाता है, बचाया जाता और बढ़ाया जाता है ये सीखने और समझने के लिए वक्त देते है , मेहनत करते है यानि फाइनेंसियल एजुकेशन सीखते है जो तीसरी तरह की शिक्षा पद्धति है .जबकि आम आदमी अमूनन पहली- अकादमिक एजुकेशन(साधारण पढाई-लिखाई) और दूसरी प्रोफेशनल एजुकेशन (व्यावसायिक शिक्षा - जैसे फर्नीचर बनाना, टाइपिंग सीखना वगैरह ) ही सीखता है वो फाइनेंसियल एजुकेशन के नाम पर पुराने ज़माने के कुंद पड़े हथियारों के बारे में जानकारी करता है -जैसे बैंक अफ/डी , आर/डी , सेविंग आदि . और मुद्रा स्फीति की बढ़ती दर के ज़माने में अधूरी जानकारी की वजह से वो अपनी पूँजी को फांसी का फंदा पहनाता रहता है. अमीर बनना है तो फाइनेंसियल एजुकेशन सीखें .
सुबोध-
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59. सही या गलत -निर्णय आपका !
इनकम लेने के चार तरीके होते है-
१- एम्प्लोयी- नौकरी करना
२- सेल्फ एम्प्लोयी- कोई ऐसा काम करना जिसमे आप किसी दूसरे के यहाँ नौकरी करने की बजाय खुद के लिए काम करते है अपने लिए आप सहायक भी रखते है और खुद भी काम करते है जिसमे आपको खुद को इन्वॉल्व होना पड़े वो बिज़नेस नहीं सेल्फ एम्प्लॉयमेंट है .
३- बिज़नेस - बिज़नेस में आप अलग अलग डिपार्टमेंट बनाते है उनके लिए समुचित स्टाफ रखते है , स्टाफ को मैनेज करने के लिए मैनेजर रखते है और मैनेजर्स को मैनेज करने के लिए जनरल मैनेजर , यानि बिजनेसमैन खुद साइड में हो जाता है ,सारे काम उसके लोग करते है.
४- इन्वेस्टमेंट- इसमें पैसा काम करता है , अमीर लोग इन्वेस्टमेंट करकर छोड़ देते है ,जिससे उनको इनकम होती रहती है ,जैसे प्रॉपर्टी में पैसा लगा दिया ,भाड़ा आ रहा है - प्रॉपर्टी का दाम बढ़ रहा है या शेयर मार्किट में कोई स्टेक लेकर छोड़ दिया - जिससे डिविडेंड आ रहा है- शेयर के प्राइस बढ़ रहे है वगैरह ...
कोई भी व्यक्ति इनमें से एक,दो,तीन या चारों तरीके से इनकम ले सकता है ,यह उसकी काबिलियत और क्षमता पर निर्भर है
सुबोध
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गलतियाँ पूर्ण बनाती है
इंसान होगा तो
कर्म करेगा ,
भेजा है
कर्म करने के लिए
ख़ुदा ने उसे.
और गलतियाँ होती है
कर्म करने वालों से
न कि मुर्दों से .
-
देखते है
आधी-अधूरी सोच वाले
किसने , कितनी गलतियाँ की
और पीटते है माथा
कोसने की शक्ल में
-
लेकिन ख़ुदा
ये देखता है
कि बजाय बहाने बनाने के
किसने स्वीकारी जिम्मेदारी.....
और वो ये देखता है
कि किसने , कितना सीखा
अपनी गलतियों से .
क्योंकि वो जानता है
मैंने इंसान को
पूर्ण बनाकर नहीं भेजा है
बल्कि भेजा है पूर्ण बनने के लिए..
सुबोध १२ मई,२०१४
गलतियाँ पूर्ण बनाती है
इंसान होगा तो
कर्म करेगा ,
भेजा है
कर्म करने के लिए
ख़ुदा ने उसे.
और गलतियाँ होती है
कर्म करने वालों से
न कि मुर्दों से .
-
देखते है
आधी-अधूरी सोच वाले
किसने , कितनी गलतियाँ की
और पीटते है माथा
कोसने की शक्ल में
-
लेकिन ख़ुदा
ये देखता है
कि बजाय बहाने बनाने के
किसने स्वीकारी जिम्मेदारी.....
और वो ये देखता है
कि किसने , कितना सीखा
अपनी गलतियों से .
क्योंकि वो जानता है
मैंने इंसान को
पूर्ण बनाकर नहीं भेजा है
बल्कि भेजा है पूर्ण बनने के लिए..
सुबोध १२ मई,२०१४
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57. सही या गलत -निर्णय आपका !
विचारों की गहराई में जाकर ये बात समझे कि अमीर की अमीरी पैसे में नहीं खाली समय में होती है .वे जिस पर चाहे उस पर समय खर्च कर सकते है क्योंकि उनकी अधिकतर आमदनी रेजिड्यूअल होती है . और समय का खालीपन ही उन्हें नयासोचने ,समझने और करने की छूट देता है ,जिससे नए आय के स्त्रोत बनते है जिसे आधी तस्वीर देखने वाले लोग कहते है कि पैसे से पैसा बनता है जबकि ये उपलब्धि सिर्फ पैसे की नहीं खाली समय की भी होती है .जबकि आम आदमी रोज़ी-रोटी कमाने में ही उलझा रहता है क्योंकि उसकी सारी कमाई लीनियर होती है. अमीर बनने के लिए रेजिड्यूअल आमदनी के स्त्रोत बनाये.
-सुबोध
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56. सही या गलत -निर्णय आपका !
आमदनी दो तरह की होती है .एक वो कमाई होती है जिसके लिए आप एक बार बहुत-बहुत-बहुत जमकर मेहनत करते है और फिर उससे नियमित तौर पर महीनों ,सालों तक पैसा पाते रहते हैं , ऐसी कमाई को रेजिड्यूअल इनकम (लगातार मिलने वाली) कहते है जैसे आपने कोई बुक लिखी हो , कोई आविष्कार किया हो ,कोई बिज़नेस बनाया हो. दूसरी आमदनी लीनियर इनकम (एक बार मिलने वाली ) होती है जिसे कमाने के लिए आपको हर बार मेहनत करनी होती हैं , जैसे आप नौकरी कर रहे हो , या वकील हो ,डॉक्टर हो .ज़ाहिर सी बात है दोनों इनकम ग्रुप की अपनी-अपनी कमियाँ और खासियतें है . अमीरों की अधिकतर कमाई रेजिड्यूअल होती है .
सुबोध
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55. सही या गलत -निर्णय आपका !
आप जिस भी क्षेत्र में है उस क्षेत्र में जो कुछ भी नए बदलाव हो रहे है उन बदलावों की जानकारी रखें और खुद को उन बदलावों के अनुसार तैयार करें , दुनिया में इतने ज्यादा बदलाव हो रहे है कि अगर आप उनके अनुसार नहीं बदले तो अमीर बनना तो बहुत दूर की बात है , जल्द ही आपको अपने स्तर को कायम रख पाना मुश्किल हो जायेगा . अमीर लोगों की सबसे बड़ी खासियत यही होती है कि विभिन्न माध्यमों से वे अपने क्षेत्र की तकरीबन पूरी जानकारी रखते है और वक्त ज़रुरत बदलाव करते रहते है. वे खुद को अपडेट रखने के लिए हमेशा वक्त निकालते है क्योंकि उन्हें पता है मैंने आज जो खाली समय कमाया है ये अपडेटेशन की ही देन है.
सुबोध
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54. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर बनने के लिए बदलाव लाएं . अब तक आपने जो किया है ,उसको दोहराने से अब तक जो मिला है उससे अलग परिणाम नहीं आएगा. अगर आपको कुछ अलग परिणाम चाहिए तो आपको कार्य भी अलग करने होंगें . आप दुनिया को तब तक नहीं बदल सकते जब तक आप के पास ऐसा कुछ नहीं है जिसके बिना उसका काम नहीं चले ( मोनोपोली टाइप कोई प्रोडक्ट,सर्विसेज ) . अगर आपके पास ऐसा कुछ नहीं है तो बेहतर है दुनिया की ज़रूरतों के अनुसार स्थितियों में बदलाव लाएं . अपनी नौकरी, अपने ग्राहक, अपने डीलर, अपने सहयोगियों, अपने कर्मचारियों को बदलना समस्या का समाधान नहीं है क्योंकि समस्या उनमें नहीं कहीं "और" है उस "और" की तलाश कीजिये और उसे बदलिये .
सुबोध
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ठहरा है मेरे कमरे में इन्द्रधनुष
मैंने लाने के लिए इन्द्रधनुष
पैदा की थी खुद में काबिलियत
कि मौजूद न रहे कोई वजह
इन्द्रधनुष न आने की.
सारे डर असफल होने के
छोड़ आया था उस कब्रगाह में
जहाँ दफन है अतीत मेरा
असफलता का .
और सफलता सिर्फ निर्भर थी
इस काबिलियत पर
कि असफलता के भय को
किस तरह करूँ प्रबंधित
मेरे कमरे में
इन्द्रधनुष लाया है
सुरमई उजाला
ईनाम के तौर पर
क्योंकि मेरी कोशिश का स्तर
उच्च था इतना
कि संभव ही नहीं था
असफल होना.
मैं क्यों डरूँ
इन्द्रधनुष और सुरमई उजाले के
मेरे कमरे में होने से ?
जानता हूँ मैं
इनकी वजह से
सौंपें जायेंगे मुझे कुछ
उत्तरदायित्व
जो हमेशा सौंपें जाते है
क्षमतावान को .
सुबोध ११ मई , २०१४
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52. सही या गलत -निर्णय आपका !
"बेईमान अमीर और ईमानदार गरीब " मुहावरा उन असफल लोगों द्वारा गढ़ा गया है जो अपनी गरीबी पर ईमानदारी का मुलम्मा चढ़ा कर खुद को संतुष्टि देना चाहते है . वास्तव में यह चरित्र का प्रश्न है, जो अमीर और गरीब दोनों का ही ईमानदार हो सकता है और बेईमान भी . असफल लोगों ने ,हारे हुए लोगों ने खुद को तसल्ली देने के लिए बहुत से ना- समझी भरे बयान गरीबी के समर्थन में और अमीरी के विरोध में गढ़ रखें है ( लोमड़ी के लिए अंगूर खट्टे होते है ) कृपया उनके बहकावे में ना आये . वे खुद अमीरी के मैदान से बाहर हो चुके है और आपको हारता हुआ नहीं देखना चाहते है -आपके तथाकथित शुभचिंतक जो है !! . कृपया अपने सुव्यवस्थित प्रयास जारी रखे .हक़ीक़त में अमीरी अर्थ के क्षेत्र में सफलता का नाम है ,ठीक वैसे ही जैसे ग्रेजुएट होना शिक्षा के क्षेत्र में ,नेता बन जाना राजनीति के क्षेत्र में , मठाधीश बन जाना धर्म के क्षेत्र में सफलता का नाम है .
- सुबोध
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51. सही या गलत -निर्णय आपका !
बचपन से हमें गलतियों से बचने और एक सुरक्षित खेल खेलने को प्रोत्साहित किया जाता है यानि हमें भेड़ बनाने की कोशिश की जाती है . जबकि हमें नई चुनौतियों को स्वीकार करने और अपनी गलतियों से सीखने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए .
दूसरों द्वारा की गई गलतियाँ एक रेफेरेंस बुक से अधिक नहीं होती क्योंकि जिन परिस्तिथियों में गलतियाँ की गई वो अलग थी ,गलती करने वाले की क्षमता,सोच,कार्य-पद्धिति ,तकनीक अलग थी.हम अमूनन अपने द्वारा की गई गलतियों से सीखते है ,गलतियाँ करने और उन गलतियों से सीखने के दौरान जो अनुभव होता है उस अनुभव का कोई जोड़ नहीं होता. अगर आप गलतिया नहीं कर रहे है तो आप निश्चित ही उस कम्फर्ट जोन में है जो तालाब के मेंढक का होता है.
अमीर बनने के लिए चुनौतियां स्वीकार कीजिये ,गलतियों को उपलब्धियों का हिस्सा मानिये."बनाना,बिगाड़ना,फिर से बनाना " प्रोसेस को आत्मसात कीजिये . भेड़ मत बनिये .
सुबोध -
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50. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर बनने के लिए ज़रूरी है कि आपको अपनी इच्छाओं पर काबू करना आना चाहिए . वे इच्छाएं ही होती है जो आपकी पूरी प्लानिंग को तहस-नहस कर देती है . इच्छाओं को काबू करने का मूल मंत्र ये है कि तत्काल कभी कोई चीज़ नहीं ख़रीदे ,कम से कम एक हफ्ते बाद ख़रीदे ,कृपया मेरा यकीन कीजिये 80 से 90 % तक आपको उस खरीददारी की ज़रुरत ही नहीं रहेगी. मैं ये नहीं कह रहा हूँ कि आप अपनी इच्छाओं को मार दे - बल्कि ये कह रहा हूँ कि इच्छाओं और ज़रुरत में फर्क करना जाने. ज़रूरतें पूरी करें - इच्छाएं नहीं -क्योंकि इच्छाएं अनंत होती है ,जिनको तो अरबपति और खरबपति भी पूरी नहीं कर पाते .चूँकि वे इस बात को जानते है इसलिए उनको इच्छाओं को कंट्रोल करना भी आता है . आप शुरू से ही खुद में यह गुण विकसित करें और इस तरीके से जो भी पैसे बचे उस पैसे से मेहनत करवाएं ,जिससे कमाई का अतिरिक्त स्रोत तैयार हो .
सुबोध -
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49. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर बनने के लिए ज़रूरी है कि आप श्रेष्ठता को लक्ष्य बनाये - जिस भी व्यवसाय में हो . कार्य कोई छोटा या बड़ा नहीं होता है .विचार छोटे या बड़े होते है, प्रयत्न छोटे या बड़े होते है. यह आप पर निर्भर है कि आप उस कार्य में अपनी कितनी ऊर्जा लगाकर उसे किस मुकाम तक पहुँचाते है .चाय बेचने वाले बच्चे ने एक ख़ूबसूरत खुली आँखों वाला सपना देखा ,ऊर्जावान सोच रखी, बेहतरीन कोशिशें की,श्रेष्ठता को अपना मूल मंत्र बनाया और नतीजा आपके सामने है वो आज भारत का प्रधान मंत्री है . लिहाजा आप जहाँ भी हो जैसे भी हो अपना श्रेष्ठ दीजिये.---
सुबोध -
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48. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर बनने के लिए आपको "बेचना " आना चाहिए. अपनी योग्यताएं बेचना , वस्तुएं बेचना,विचार बेचना ,सपने बेचना,हर वो चीज़ जो बिक सकती है, चाहे वो पानी हो, मिटटी हो ,हवा हो,आपको तर्क सहित बेचना आना चाहिए . आप बिना कुछ बेचे पैसे नहीं बना सकते .बेचना ही मुख्य कला है , जो आपको अमीरी तक ले जा सकती है .हर अमीर यह सच्चाई जानता है जबकि गरीब इसको हेय दृष्टि से देखता है .आप बेचने के लिए जो काबिलियत चाहिए -खुद में पैदा करे , अपनी मार्केटिंग करें,पैसा आप तक चलकर आएगा.
सुबोध -
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47. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीरी के लिए हार्ड वर्क नहीं स्मार्ट वर्क करना चाहिए . हार्ड वर्क का अर्थ बिना किसी समुचित योजना के मेहनत करना है ,जबकि स्मार्ट वर्क का अर्थ एक उचित योजना के साथ कार्य करना है .चूँकि हार्ड वर्क में कार्य योजना बिखरी हुई होती है सो परिणाम अपेक्षा अनुरूप नहीं आते है जबकि स्मार्ट वर्क में योजना स्पष्ट एवं केंद्रित होती है सो परिणाम अपेक्षा के अनुसार आते है .दूसरा जो फर्क होता है पुराने और नए तौर -तरीकों के इस्तेमाल का होता है जैसे आपको 50 क्लाइंट्स को ईमेल भेजना है तो हार्ड वर्क में आप इन्हे अलग-अलग भेजेंगे जबकि स्मार्ट वर्क में आप C.C. करकर एक साथ ही 50 ईमेल भेज देंगे . जो भी नई टेक्नोलॉजी का सर्वोत्तम प्रयोग करता है वह स्मार्ट वर्क की श्रेणी में आता है.
सुबोध -
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46. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर पहले से तैयारी करते रहते है,अवसर आता है , अवसर पहचानते है , अंदर घुस जाते है . गरीब मौज-मज़ा करता रहता है, अवसर आता है उसे समस्या लगता है ,जब दूसरे लोग पैसा बनाने लगते है तो उसका दिमाग खुलता है वो अंदर घुसने की तैयारी करता है और मज़े की बात ये कि तब तक अमीर पैसा बनाकर बाहर निकल रहा होता है. यानि जब तक उस व्यवसाय में सुनहरा समय होता है अमीर तब तक ही उस व्यवसाय में रहता है जब छोटी सोच वाले लोग ( जो बहुत ज्यादा सुरक्षित खेल खेलते है )उस व्यवसाय में घुसते है अमीर उस व्यवसाय से बाहर निकल जाता है इसकी मुख्या वजह ये होती है कि छोटी सोच वाले लोग इतना कम्पटीशन पैदा कर देते है कि मुनाफे के नाम पर कुछ खास नहीं बचता है .अगर आपको अमीर बनना है तो भेड़ मत बनिये /छोटी सोच वाले मत बनिये.पहले से तैयारी रखिये.
सुबोध -
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45 . सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर बरसों तक कड़ी मेहनत करते है ,अपनी ज़रूरते सीमित करते है, पाई-पाई बचाते है ,बचाये गए पैसे का निवेश करने के लिए रात रात भर जाग कर नई रणनीतियाँ तैयार करते है और उनकी मेहनत रंग लाती है,सफलता ऊँचे सुर में बोलने लगती है और लोग कहते है देखो इसे कहते है किस्मत !!!!!
ध्यान रखे रातों -रात कोई सफल नहीं होता है . सफलता एक पेड़ है और बीज से पेड़ बनने की पूरी प्रक्रिया होती है .
लिहाजा अब आगे से किसी अमीर की आलोचना करे या उसकी अमीरी को किस्मत का खेल माने तो उसकी नींव को जानने का भी प्रयास करें फिर शायद आप अपना विचार बदल लेवे. - उसकी अमीरी के लिए उसे इज़्ज़त देवे न कि आलोचना करे ,अगर अमीर बनना इतना आसान होता तो कोई गरीब क्यों होता ?
सुबोध -
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44. सही या गलत -निर्णय आपका !
मेरे पास अमूनन कमेंट आते है कि आदमी को मन से अमीर होना चाहिए .पैसा प्रेम जितना महत्त्वपूर्ण नहीं है ,सबसे बड़ी दौलत दोस्ती होती है ,परिवार का प्यार ही सच्ची अमीरी है वगैरह...
मेरे अनुसार यह तुलना ही बेमानी है यह तुलना बिलकुल वैसी ही है कि आपसे पूछा जाये आपके लिए हाथ महत्वपूर्ण है या पैर ?
आपके लिए यकीनन दोनों ही महत्वपूर्ण है .
पैसा उन क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण है जिनमें ये काम करता है ,और उन क्षेत्रों में बहुत महत्वहीन है जिनमें ये काम नहीं करता .हो सकता है आपकी अन्य भावनाओ से दुनिया चलती हो लेकिन उनसे आप किसी हॉस्पिटल का बिल नहीं चुका सकते,स्कूल की फीस नहीं भर सकते,रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी नहीं कर सकते.
अब भी आपको यकीन नहीं है तो अपनी इन भावनाओं की हकीकत समझने के लिए इनमे से किसी से एक बड़ी रकम उधार लीजिये और फिर उसे भूल जाइये ,जल्द ही आप को यकीन हो जायेगा कि पैसे के क्षेत्र में पैसा कितना महत्वपूर्ण है .
सुबोध -
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43.
मत बेचो खुद को सस्ते में
मत बेचो खुद को
पूरी करने
सिर्फ अपनी दैनिक ज़रूरतें
निकलो सुविधा के खोल से बाहर
और वो तलाश करो
जो संभव है पाना
तुम्हारे लिए.
नियम है ज़िन्दगी का
इस से पाने का
जो तुम
प्रयास करोगे
देगी ये तुम्हे उतना ;
तुम पर है ये
क़ि तुम इस से
क्या लेते हो.
शर्त ये है क़ि
मज़दूरी तुम्हे नहीं
तुम्हारी काबिलियत को
दी जाती है.
सुबोध अप्रैल ३०,२०१४
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-------
42.
आपकी वास्तविकता
बनाने के दौरान
आप सीखते है बर्बाद करना
और बर्बाद करने के दौरान
सबक सीखते है आप
अपनी गलतियों से
और बन जाते है इतने समझदार
कि दोहराव न हो गलतियों का .
और फिर बनाते है
बर्बाद हुए को नए सिरे से.
-
यह पूरा क्रिया-चक्र
बनाना
बर्बाद करना
और फिर से बनाना
बनाता है आपको संपूर्ण .
इस दौरान
जो बनते है आप
वही होती है
आपकी सच्ची वास्तविकता .
-
उसके बाद आने वाली
असफलताएँ
विचलित नहीं करती आपको
बल्कि
उत्साहित करती है
चुनौती की तरह .
क्योंकि आप जानते है
नए सिरे से बनाने की
पूरी प्रकिया को .
-
बनाते-बनाते आप
वह बन जाते है
जहाँ
सफलता
और
असफलता
महत्व नहीं रखती
क्योंकि
पहुँच जाते है आप
उस शिखर पर
जो आपकी
वास्तविकता है .
सुबोध अप्रैल ३०,२०१४
http://saralservices.com/
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41.
महत्वपूर्ण नहीं है बनना
महत्वपूर्ण नहीं है बनना
महत्वपूर्ण है करते करते बनना
फ़ासला
कोशिश करने
और होने के
दरमियाँ का
आपको सिखाता है बनना
जिसमे सीखते है आप
बनने वाली चीज़ों को सम्हालना.
बिना फ़ासला तय किये
पाई हुई दौलत
सम्हाली नहीं जा सकती
क्योंकि आप सिर्फ पैसे वाले बने है .
वो हुनर
जो सिखाता है सम्हालना
वो सीखा जाता है
उस वक़्त के दरमियान
फ़ासला तय करते - करते .
इसलिए
महत्वपूर्ण नहीं है बनना
महत्वपूर्ण है करते करते बनना.
सुबोध - अप्रैल ३०, २०१४
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गुरुमंत्र - सफलता का
सफलता
मिलती है
गुजरकर असफलताओं से.
जिनमे माद्दा नहीं
असफल होने का
वे डरपोक
क्या चखेंगे
स्वाद सफलता का ?
चाहिए सफलता के लिए
सबसे ज्यादा
असफल होने की हिम्मत ,
लेकर सबक
असफलता से
बैठने की नहीं
दुबारा कोशिश करने की हिम्मत ,
हर असफलता के साथ
एक नया पाठ पढ़ने की हिम्मत
तब तक
जब तक
असफल न हो जाये
असफलता.
सुबोध अगस्त २००५
http://saralservices.com/
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मंज़िल
मैं
थक गया हूँ
चलते-चलते,
बस..ये आखिरी मोड़
और आगे नहीं .
सोचता हूँ,
शायद जहाँ ये सड़क
ख़त्म होती है
और शुरू होता है
नया मोड़
वहीँ तक और चलना है मुझे .
बरसों चला हूँ
पसीने से लथपथ
थकान से चूर
गुजरा हूँ
अँधेरे रास्तों से
कई दफा सना हूँ
कीचड से
लेकिन
रूक नहीं पाया हूँ
हताशा के बाद भी
क्योंकि एक आशा
रूकने नहीं देती मुझे
शायद यही मोड़
आखिरी मोड़ हो
"जहाँ मुझे होना है."
एक सवाल
कचोटता है मुझे
क्या वो जगह
" जहाँ मुझे होना है."
आने के बाद भी
खुद को रोक पाऊंगा मैं ?
सुबोध -
http://saralservices.com/
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38. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर बनने का
पुराना तरीका है
ज्यादा मेहनत से
ज्यादा कमाई
आज का युग
ख़ारिज करता है
कई पुरानी धारणाओं की तरह
इसे भी .
आज का
अमीर बनने का
तरीका
न्यूनतम मेहनत के साथ
बेहतर कीमत पर
अधिकतम लोगों के लिए करना है
जैसे 40 -40 स्टूडेंट्स की
10 क्लासेज लेने वाला प्रोफेसर
1 सेटेलाइट क्लास देकर
700 स्टूडेंट्स को एक साथ पढ़ाता है
और ढेरों गुना ज्यादा कमाता है ,
पुराने तरीके से पढ़ाने वाले प्रोफेसर से ........
सुबोध- १८ मई, २०१४
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37. सही या गलत -निर्णय आपका !
यह बात अच्छे से समझ लेवे कि अपनी अमीरी या गरीबी के लिए आप और सिर्फ आप ही जिम्मेदार है ,अमीर होने के लिए अलग काबिलियत चाहिए और गरीब होने के लिए अलग .
ये आप पर है कि आप क्या चुनते है .हाँ ,ज़िन्दगी का वादा है अमीर से भी और गरीब से भी कि मैं चुनौतीपूर्ण हूँ और रहूंगी .
तो जब दोनों ही स्थितियों में चुनौतियों का सामना करना है तो क्यों न अमीरी का चुनाव किया जाये.
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36. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर बनने के लिए ज़रूरी है कि अपने निर्णय स्वयं ले,निर्णय लेने से पहले सलाह-मशविरा चाहे जितने लोगो से करें लेकिन निर्णय दूसरों के भरोसे नहीं छोड़े.
दुसरे आपके लिए उतना कुछ नहीं कर पाएंगे जितना आप खुद के लिए कर पाएंगे क्योंकि आपकी अंदरुनी ताकत ,कमजोरी आप से बेहतर और कोई नहीं जान सकता . अगर आप स्वयं निर्णय लेंगे तो आप जिम्मेदारी महसूस करेंगे ,असफलता के लिए बहाने नहीं बनाएंगे. येन-केन-प्रकारेण सफल होना चाहेंगे .
सुबोध -
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35. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर बनने के लिए ज़रूरी है कि आप अध्ययन और प्रशिक्षण के कष्टकारी समय से बचने का प्रयास न करे .जब तक आप को पूरी शिक्षा नहीं मिलेगी पहली बात ये कि आप अमीर नहीं बन पाएंगे और दूसरी बात अगर किसी और की मेहरबानियों से आप अमीर बन भी गए तो उस अमीरी को बरकरार नहीं रख पायेगे .आप अध्ययन और प्रशिक्षण के दौरान ही "बनाना, बिगाड़ना , फिर से बनाना" सीखते है जो कि आपकी अमीरी को स्थायित्व प्रदान करता है यह सीखने की प्रक्रिया ताउम्र चलती है ..
सुबोध -
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हारते वो हैं, जो मैदान छोड़ते हैं.
जब तक तुम मैदान में हो,
गिर रहे हो चाहे बार-बार,
हो गए हो थकान से चूर,
लेकिन न टेके हो घुटने ,
न किया हो समर्पण,
न मांगी हो जीत की भीख;
विश्वास करो , हारे नहीं हो तुम ..
क्योंकि हारते वो हैं ,जो मैदान छोड़ते हैं.
करो मेरा विश्वास
कि जिसने निर्माण किया है तुम्हारा,
नहीं है वो कोई सनकी- पागल
कि दौरा पड़ा अचानक ,
और उसने बना दिया तुम्हें.
बड़ी लगन से,बड़ी मेहनत से, बड़ी विद्वता से
निर्माण किया है उसने तुम्हारा,
एक अनोखे काम के लिए
और वो सिर्फ तुम्हीं कर सकते हो -
"हमेशा विजेता बनो"
सो मत मानो हार , मत छोड़ो मैदान
क्योंकि हारते वो हैं ,जो मैदान छोड़ते हैं.
उसने दिए है तुम्हें,
हार से बचने के लिए ढेरों हथियार ,
उठाओ उन्हें, करो उनका इस्तेमाल,
वरना पड़े -पड़े सड़ जायेंगें वे शस्त्रागार में.
उसने दिया है तुम्हें--
विचार का हथियार,
भावना का हथियार,
चुनाव का हथियार,
कर्म का हथियार,
और भी ढेरों हथियार,
जो अलग करते है तुम्हें जानवरों से,
बनाते हैं तुम्हें इंसान,
और तुम हो कि उसके सारे वरदान ठुकरा कर,
बनने चले हो इंसान से जानवर.
मत करो उसके वरदानों का अपमान,
मत मानो हार,मत छोडो मैदान
क्योंकि हारते वो हैं , जो मैदान छोड़ते हैं.
सुबोध
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33. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर बनना पार्क में टहलना जितना आसान नहीं है, अमीर बनने के लिए आपको कड़ी मेहनत सुव्यवस्थित प्लानिंग के साथ करनी पड़ती है और अपने आरामदेह क्षेत्र ( कम्फर्ट जोन ) त्याग करने पड़ते है ,जैसे आपके वीकेंड्स की प्लानिंग,आपके पसंदीदा शौक,दोस्तों के साथ गप्पबाज़ी वगैरह ....
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32. सही या गलत -निर्णय आपका !
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31. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीरों को हासिल सुख -सुविधा को छोड़कर क्या आप वो सब कुछ करने को तैयार है जो वे करते है तब तक जब तक आप अमीर नहीं बन जाते ?
क्या आप उनकी तरह सोचने को तैयार है ?
नए सिरे से सीखने को तैयार है ?
वीकेंड्स का मौज-मज़ा छोड़कर 18 घंटे सप्ताह के सातों दिन काम करने को तैयार है ?
अपने पसंदीदा टीवी शो,अपने पसंदीदा मैच, यार-दोस्त ,रिश्तेदारों से मिलना,गप्पबाज़ी करना क्या आप तब तक छोड़ सकते है जब तक अपना लक्ष्य न पा लेवे .
अगर आपके मन में जरा सी भी हिचक है तो आप अमीरी के प्रति समर्पित नहीं है बल्कि आप अमीरी के प्रयास के नाम पर अपने रिश्तेदारों को,अपने परिचितों को और अपने ज़मीर को धोखा दे रहे है.
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30. सही या गलत -निर्णय आपका !
अगर आपको अमीर बनना है तो जीवन में अपनी प्राथमिकता स्पष्ट करें , आपको पता होना चाहिए कि अमीर बनने के लिए क्या महत्वपूर्ण है ,उन्हें क्रमानुसार किसी कागज पर लिख लेवे और कार्य शुरू करें ,हर दिन अपने पिछले कार्य का मुल्यांकन करें ,जहाँ सुधार की ज़रुरत लगे अपनी योजना को दुरुस्त करें , और इसे तब तक अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लेवे जब तक आप अमीर न बन जाए.
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29. सही या गलत -निर्णय आपका !
अगर आपको अमीर बनना है तो आपको पता होना चाहिए संपत्ति और दायित्व का फर्क . संपत्ति वो होती है जो आपके लिए कुछ कमाई करती है और दायित्व वो होता है जो आपकी जेब से पैसा निकलवाता है . जब इसे बराबर समझ लेवे तो कोशिश ये करे कि आप संपत्तियां इकट्ठी करें न कि दायित्व .
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28. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर बनने के लिए यह ज़रूरी है कि नकारात्मक भावो से स्वयं को दूर रखें ,हमेशा हर कार्य ,विचार,व्यक्ति,स्थिति के प्रति सकारात्मक रहें.अमीर / सफल व्यक्ति में ऐसा कुछ है जो आपमें नहीं है ,उस "क्यों" की तलाश सकारात्मक होकर ही हो सकती है.हो सकता है उसमे आपसे ज्यादा जोखिम लेने की क्षमता हो.चुनौती,मेहनत,व्यवहारिकता वगैरह किसी भी मामले में वह आपसे बेहतर हो सकता है. उसकी खूबियों को समझिये और खुद में विकसित कीजिये. आज नहीं तो कल आपके गुणों का मुल्यांकन होगा ...
सुबोध -
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27. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर बनने के लिए ज़रूरी है आप स्वयं को लगातार जाँचते रहे कि आप सही दिशा में जा रहे है.हमेशा 5Q का( क्या ,क्यों,कहाँ,कैसे,कब) सामना करते रहे जो कि आपको अपने लक्ष्य से भटकने नहीं देंगे.आपको जागरूक,रचनात्मक और स्वप्नद्रष्टा रखेंगे.
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26. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर बनने के लिए एक अच्छे विचार को टटोलें . अगर उस विचार में दम है तो उस पर डटे रहिये वही विचार आपको अमीर बनवा देगा.बशर्ते आप तर्क सहित उस विचार को सही ठहरा सके और आपको उसे सही तरीके से लोगों तक पहुँचाना आता हो .अगर आपके विचार में दम है तो पैसे लगाने वाले आपको मिल जायेंगे . समस्या पैसे की उतनी नहीं होती जितनी एक अच्छे और नए विचार की . सोचना जारी रखे आपकी अमीरी का रास्ता आपकी बेहतर और नई सोच में है.
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25.
भाग्य खैरात नहीं देता
मैंने
पढ़ा
सोचा
समझा
अवसर देखा
सीखा
किया
और तुमने
पढ़ा
सोचा
समझा
कठिनाईयाँ देखी
और छोड़ दिया.
अब तुम कहते हो
मुझे सफलता भाग्य से खैरात में मिली है.
क्या तुम नहीं जानते
मैंने चूमे है ढेरों मेंढक
पाने को राजकुमार
और तुम छुप गए कछुए के खोल में
बचाने को अपने होठों की खूबसूरती.
मेरे दोस्त !
सफलता भाग्य से मिलती है
लेकिन भाग्य खैरात नहीं देता
क्योंकि
सफलता और भाग्य दोनों
सतत प्रयासों का परिणाम है
जहाँ सिर्फ पड़ाव होते है
मंज़िल नहीं ...
सुबोध
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24. सही या गलत -निर्णय आपका !
एक रूपया बचाने का सीधा सा मतलब यह होता है कि एक रुपये की अतिरिक्त कमाई की है .यह साधारण सा तरीका कमाना ,बचाना और बचे हुए से अतिरिक्त आमदनी का स्रोत बनाना सिखाता है जो कि अमीर बनने में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
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23. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर बनने के लिए निहायत ज़रूरी है कि आपकी पैसा सम्हालने की नींव मज़बूत हो (अमूनन लोगों को पैसा कमाना आता है ,सम्हालना नहीं आता है )अगर आपने पैसा सम्हालना नहीं सीखा है तो आपके अमीर बनने की सम्भावना नहीं है.अमीरी की भव्य इमारत कमजोर नींव पर नहीं टिकी रह सकती .
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22. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर बनने के लिए आपको ऐसी मानसिकता अपनानी होगी जिसके अनुसार आपको असफल नहीं होना है , आपको विकल्परहित होना है . अगर आपके पास विकल्प है तो आप समर्पित नहीं हो पाते है और अमीर होने के लिए समर्पण निहायत ज़रूरी है .
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21. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीरी की ओर जो पहला कदम है उस कदम का है नाम शुरुआत करना . सही समय पर सही योजना के साथ की गई शुरुआत आपको शुन्य से शिखर पर पहुंचा सकती है .सबसे बड़ी हिचक शुरुआत करने को लेकर रहती है ,सब कुछ शुरू से ही बेहतरीन हो यह संभव नहीं है ,आप बस शुरू करें- एक ठीक-ठाक योजना के साथ .नए रास्ते चलते-चलते मिलते जायेंगे और तब आप बेहतर से बेहतरीन होते जायेंगे.
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20. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर अपनी ज़रुरत के आधार पर चीज़ें खरीदता है जबकि गरीब ,मध्यमवर्गीय अपनी इच्छाओं के आधार पर .जहाँ आधार इच्छाएं होती है ,जो कि अनंत होती है वहां पैसा जोड़ना मुमकिन नहीं होता ,जबकि अमीरी की पहली सीढ़ी पैसा जोड़ना है .अपनी इच्छाओं को ज़रूरतों पर हावी न होने दे आपके लिए अमीरी के दरवाज़े खुलने शुरू हो जाएंगे.
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19. सही या गलत -निर्णय आपका !
गरीब और मध्यमवर्गीय लोग ऐशोआराम की चीज़ें सबसे पहले खरीदते है .वे ऐसा करके अमीर बनने का दिखावा करते है जो कि क़र्ज़ की अमीरी होती है.अमीर लोग पहले कमाते है फिर ऐसी चीज़ें खरीदने के बारे में सोचते है.
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18. सही या गलत -निर्णय आपका !
गरीब वो व्यक्ति है जिसके पास सपना नहीं है , अमीर बनने का सपना .जिनके पास ऐसे सपने पूरे करने की कोई योजना नहीं होती वो भी गरीब ही है. जिनके पास सपने है,योजना है लेकिन हौंसला नहीं है वो भी गरीब ही होता है.अमीर बनने के लिए एकाग्रता,साहस,ज्ञान,विशेषज्ञता ,संपूर्ण प्रयास ,कभी हार न मानने का नजरिया और अमीरों वाली मानसिकता की ज़रुरत होती है.
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17. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीर बनना उतना मुश्किल नहीं है जितना ये सोचना कि मैं अमीर बन सकता हूँ क्योंकि आप जब भी ऐसा सोचते हो अपनी संघर्ष क्षमता को मुश्किलों के मुकाबले कम आंकते हो और यही वो वजह होती है कि आप उस रास्ते से पीछे हट जाते हो जो अमीरी तक ले जाता है.
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16. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीरी हमेशा तूफानों से गुजरकर ही मिलती है जिसे बरकरार रखने के लिए हमेशा तूफानों का सामना करते रहना पड़ता है .
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15. सही या गलत -निर्णय आपका !
राय लेते वक्त सावधान रहे कि राय किस से ले रहे है .ज्यादातर लोग अमीर नहीं है सो अगर आप उनसे राय ले रहे है तो वे कुछ अपने साथ गुजरे हादसात और कुछ सुनी -सुनायी बातों के आधार पर आपको अमीर न बनने की राय देंगे .
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14. सही या गलत -निर्णय आपका !
पैसे बनाने के मौके हमेशा मौजूद रहते है . जो ये कहते है कि अब पहले जैसे मौके नहीं है वे अक्सर हारे हुए लोग होते है .
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13. सही या गलत -निर्णय आपका !
तुम्हारी गरीबी की सबसे बड़ी वजह ये है कि अमीर बनने के नियमों का तुम समुचित पालन नहीं कर रहे हो,और जब तक तुम उन नियमों का पालन नहीं करोगे तुम गरीब ही रहोगे.
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12. सही या गलत -निर्णय आपका !
उन लोगों से पैसे के बारे में बात करना सिरदर्द के अलावा कुछ भी नहीं है जिन्हे पैसे की कोई वास्तविक समझ ही नहीं है. जो पैसे के लिए बुराई की जड़,हाथ का मैल,पाप की कमाई जैसे विशेषणों का इस्तेमाल करे तो आप चौकन्ने हो जाये ,आपके सामने एक ऐसा शख्स है जिसे पैसे की बुनियादी समझ नहीं है.
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11. सही या गलत -निर्णय आपका !
"पैसा हाथ का मैल है"यह शब्द कोई भी अमीर इस्तेमाल नहीं करता क्योंकि उसे पता है यह हाथ का मैल नहीं है बल्कि उसकी जी-तोड़ मेहनत का नतीजा है, इस तरह के शब्द या तो गरीब इस्तेमाल करते है या जिन्होंने खुद पैसा नहीं कमाया होता है वे इस्तेमाल करते है .
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10. सही या गलत -निर्णय आपका !
अगर पैसा आपके लिए महत्वपूर्ण है तो आप पैसे को पा सकते है ,अगर पैसा आप के लिए महत्वपूर्ण नहीं है तो आप गरीब है और गरीब ही रहेंगे . जो आपके लिए महत्व नहीं रखती ऐसी कोई भी चीज़/वस्तु/सम्बन्ध आपके पास नहीं रहते यकीन न हो तो अपने किसी प्रियजन को कहकर देखिये कि मेरे लिए तुम्हारा कोई महत्व नहीं है .
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9. सही या गलत -निर्णय आपका !
अमीरी का राज अपनी समस्या से ज्यादा बड़े होना है और गरीबी का राज अपनी समस्या से ज्यादा छोटे होना है .
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8. सही या गलत -निर्णय आपका !
पैसा आसमान से नहीं बरसता और नौकरी की गारंटी नहीं ,नौकरी लग गई तो छंटनी में आपका नम्बर नहीं आएगा ये ज़रूरी नहीं ,जितनी जल्दी इसे समझ ले उतना ही अच्छा है.
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7. सही या गलत -निर्णय आपका !
महत्वपूर्ण ये नहीं है कि आप कितना कमा रहे है बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि आप कितना बचा रहे है और उस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि बचे हुए पैसों से आप कितना अतिरिक्त पैसा अर्जित कर पा रहे है .
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6. सही या गलत -निर्णय आपका !
पैसा बनाना महत्वपूर्ण है लेकिन पैसा सम्हालना उससे ज्यादा महत्वपूर्ण है और उससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण सम्हाले हुए पैसे को दिन दूना रात चौगुना बढ़ते देखना है .और तीनों ही स्तिथियों में अलग-अलग काबिलियत की जरूरत होती है .
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5. सही या गलत -निर्णय आपका !
जो काबिलियत पैसा बनाने में चाहिए पैसा सम्हालने में उससे अलग काबिलियत की ज़रुरत होती है .
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4. सही या गलत -निर्णय आपका !
ज्यादातर लोगों के पास न पैसे बनाने की क्षमता होती है और न सम्हालने की .
कुछ लोगों के पास पैसे बनाने की क्षमता होती है लेकिन उन्हें पैसे सम्हालने नहीं आते .
बहुत कम लोगों को पैसा बनाना भी आता है और सम्हालना भी .
आप किस वर्ग में है ?
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3. सही या गलत -निर्णय आपका !
पैसा किसी भी व्यक्ति से रंग,शिक्षा,जाति,धर्म,आर्थिक हैसियत के आधार पर कोई पक्षपात नहीं करता .
यह सबको खुली चुनौती देता है कि आओ मुझे हासिल करो ......
अगर कोई कहता है 'मुझे दौलत चाहिए' तो उसे अपनी काबिलियत साबित करनी होगी और अगर कोई कहता है 'मुझे दौलत नहीं चाहिए' तो ज़ाहिर सी बात है ये उसको मिलेगी.भी नहीं .
पुरानी कहावत है काबिल आदमी इसे हासिल करता है और नाकाबिल बहाने बनाता है .
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2. सही या गलत -निर्णय आपका !
पैसे का बहाव बरकरार रखने या पैसे का रिसाव रोकने के लिए सवालों का सामना कीजिये
सबसे अच्छे दोस्त वो सवाल होते है जो आपको मुश्किलों में डालते है
क्या
क्यों
कब
कैसे
कहाँ
……. ?
…….?
सवाल जो भी हो उत्तरों में ईमानदार रहिये ,आपकी समस्या के समाधान के रास्ते आपको नज़र आने लगेंगे.
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1. सही या गलत -निर्णय आपका !
कहते है पैसा चलायमान होता है .
सवाल ये है कि ये आपके पास चलकर आ रहा है या आपके पास से चलकर जा रहा है.
चुनौती ये है कि अगर चलकर आ रहा है तो इस आवक को बरक़रार कैसे रखा जाये और अगर आपके पास से चलकर जा रहा है तो इसे कैसे रोका जाये .
इस संसार में पाने वाले भी बहुत है और खोने वाले भी .
आप किस वर्ग में आते है ?
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44. सही या गलत -निर्णय आपका !
मेरे पास अमूनन कमेंट आते है कि आदमी को मन से अमीर होना चाहिए .पैसा प्रेम जितना महत्त्वपूर्ण नहीं है ,सबसे बड़ी दौलत दोस्ती होती है ,परिवार का प्यार ही सच्ची अमीरी है वगैरह...
मेरे अनुसार यह तुलना ही बेमानी है यह तुलना बिलकुल वैसी ही है कि आपसे पूछा जाये आपके लिए हाथ महत्वपूर्ण है या पैर ?
आपके लिए यकीनन दोनों ही महत्वपूर्ण है .
पैसा उन क्षेत्रों में बहुत महत्वपूर्ण है जिनमें ये काम करता है ,और उन क्षेत्रों में बहुत महत्वहीन है जिनमें ये काम नहीं करता .हो सकता है आपकी अन्य भावनाओ से दुनिया चलती हो लेकिन उनसे आप किसी हॉस्पिटल का बिल नहीं चुका सकते,स्कूल की फीस नहीं भर सकते,रोज़मर्रा की ज़रूरतें पूरी नहीं कर सकते.
अब भी आपको यकीन नहीं है तो अपनी इन भावनाओं की हकीकत समझने के लिए इनमे से किसी से एक बड़ी रकम उधार लीजिये और फिर उसे भूल जाइये ,जल्द ही आप को यकीन हो जायेगा कि पैसे के क्षेत्र में पैसा कितना महत्वपूर्ण है .
सुबोध -
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43.
मत बेचो खुद को सस्ते में
मत बेचो खुद को
पूरी करने
सिर्फ अपनी दैनिक ज़रूरतें
निकलो सुविधा के खोल से बाहर
और वो तलाश करो
जो संभव है पाना
तुम्हारे लिए.
नियम है ज़िन्दगी का
इस से पाने का
जो तुम
प्रयास करोगे
देगी ये तुम्हे उतना ;
तुम पर है ये
क़ि तुम इस से
क्या लेते हो.
शर्त ये है क़ि
मज़दूरी तुम्हे नहीं
तुम्हारी काबिलियत को
दी जाती है.
सुबोध अप्रैल ३०,२०१४
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42.
आपकी वास्तविकता
बनाने के दौरान
आप सीखते है बर्बाद करना
और बर्बाद करने के दौरान
सबक सीखते है आप
अपनी गलतियों से
और बन जाते है इतने समझदार
कि दोहराव न हो गलतियों का .
और फिर बनाते है
बर्बाद हुए को नए सिरे से.
-
यह पूरा क्रिया-चक्र
बनाना
बर्बाद करना
और फिर से बनाना
बनाता है आपको संपूर्ण .
इस दौरान
जो बनते है आप
वही होती है
आपकी सच्ची वास्तविकता .
-
उसके बाद आने वाली
असफलताएँ
विचलित नहीं करती आपको
बल्कि
उत्साहित करती है
चुनौती की तरह .
क्योंकि आप जानते है
नए सिरे से बनाने की
पूरी प्रकिया को .
-
बनाते-बनाते आप
वह बन जाते है
जहाँ
सफलता
और
असफलता
महत्व नहीं रखती
क्योंकि
पहुँच जाते है आप
उस शिखर पर
जो आपकी
वास्तविकता है .
सुबोध अप्रैल ३०,२०१४
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41.
महत्वपूर्ण नहीं है बनना
महत्वपूर्ण नहीं है बनना
महत्वपूर्ण है करते करते बनना
फ़ासला
कोशिश करने
और होने के
दरमियाँ का
आपको सिखाता है बनना
जिसमे सीखते है आप
बनने वाली चीज़ों को सम्हालना.
बिना फ़ासला तय किये
पाई हुई दौलत
सम्हाली नहीं जा सकती
क्योंकि आप सिर्फ पैसे वाले बने है .
वो हुनर
जो सिखाता है सम्हालना
वो सीखा जाता है
उस वक़्त के दरमियान
फ़ासला तय करते - करते .
इसलिए
महत्वपूर्ण नहीं है बनना
महत्वपूर्ण है करते करते बनना.
सुबोध - अप्रैल ३०, २०१४
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गुरुमंत्र - सफलता का
सफलता
मिलती है
गुजरकर असफलताओं से.
जिनमे माद्दा नहीं
असफल होने का
वे डरपोक
क्या चखेंगे
स्वाद सफलता का ?
चाहिए सफलता के लिए
सबसे ज्यादा
असफल होने की हिम्मत ,
लेकर सबक
असफलता से
बैठने की नहीं
दुबारा कोशिश करने की हिम्मत ,
हर असफलता के साथ
एक नया पाठ पढ़ने की हिम्मत
तब तक
जब तक
असफल न हो जाये
असफलता.
सुबोध अगस्त २००५
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मंज़िल
मैं
थक गया हूँ
चलते-चलते,
बस..ये आखिरी मोड़
और आगे नहीं .
सोचता हूँ,
शायद जहाँ ये सड़क
ख़त्म होती है
और शुरू होता है
नया मोड़
वहीँ तक और चलना है मुझे .
बरसों चला हूँ
पसीने से लथपथ
थकान से चूर
गुजरा हूँ
अँधेरे रास्तों से
कई दफा सना हूँ
कीचड से
लेकिन
रूक नहीं पाया हूँ
हताशा के बाद भी
क्योंकि एक आशा
रूकने नहीं देती मुझे
शायद यही मोड़
आखिरी मोड़ हो
"जहाँ मुझे होना है."
एक सवाल
कचोटता है मुझे
क्या वो जगह
" जहाँ मुझे होना है."
आने के बाद भी
खुद को रोक पाऊंगा मैं ?
सुबोध -
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अमीर बनने का
पुराना तरीका है
ज्यादा मेहनत से
ज्यादा कमाई
आज का युग
ख़ारिज करता है
कई पुरानी धारणाओं की तरह
इसे भी .
आज का
अमीर बनने का
तरीका
न्यूनतम मेहनत के साथ
बेहतर कीमत पर
अधिकतम लोगों के लिए करना है
जैसे 40 -40 स्टूडेंट्स की
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यह बात अच्छे से समझ लेवे कि अपनी अमीरी या गरीबी के लिए आप और सिर्फ आप ही जिम्मेदार है ,अमीर होने के लिए अलग काबिलियत चाहिए और गरीब होने के लिए अलग .
ये आप पर है कि आप क्या चुनते है .हाँ ,ज़िन्दगी का वादा है अमीर से भी और गरीब से भी कि मैं चुनौतीपूर्ण हूँ और रहूंगी .
तो जब दोनों ही स्थितियों में चुनौतियों का सामना करना है तो क्यों न अमीरी का चुनाव किया जाये.
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अमीर बनने के लिए ज़रूरी है कि अपने निर्णय स्वयं ले,निर्णय लेने से पहले सलाह-मशविरा चाहे जितने लोगो से करें लेकिन निर्णय दूसरों के भरोसे नहीं छोड़े.
दुसरे आपके लिए उतना कुछ नहीं कर पाएंगे जितना आप खुद के लिए कर पाएंगे क्योंकि आपकी अंदरुनी ताकत ,कमजोरी आप से बेहतर और कोई नहीं जान सकता . अगर आप स्वयं निर्णय लेंगे तो आप जिम्मेदारी महसूस करेंगे ,असफलता के लिए बहाने नहीं बनाएंगे. येन-केन-प्रकारेण सफल होना चाहेंगे .
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अमीर बनने के लिए ज़रूरी है कि आप अध्ययन और प्रशिक्षण के कष्टकारी समय से बचने का प्रयास न करे .जब तक आप को पूरी शिक्षा नहीं मिलेगी पहली बात ये कि आप अमीर नहीं बन पाएंगे और दूसरी बात अगर किसी और की मेहरबानियों से आप अमीर बन भी गए तो उस अमीरी को बरकरार नहीं रख पायेगे .आप अध्ययन और प्रशिक्षण के दौरान ही "बनाना, बिगाड़ना , फिर से बनाना" सीखते है जो कि आपकी अमीरी को स्थायित्व प्रदान करता है यह सीखने की प्रक्रिया ताउम्र चलती है ..
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जब तक तुम मैदान में हो,
गिर रहे हो चाहे बार-बार,
हो गए हो थकान से चूर,
लेकिन न टेके हो घुटने ,
न किया हो समर्पण,
न मांगी हो जीत की भीख;
विश्वास करो , हारे नहीं हो तुम ..
क्योंकि हारते वो हैं ,जो मैदान छोड़ते हैं.
करो मेरा विश्वास
कि जिसने निर्माण किया है तुम्हारा,
नहीं है वो कोई सनकी- पागल
कि दौरा पड़ा अचानक ,
और उसने बना दिया तुम्हें.
बड़ी लगन से,बड़ी मेहनत से, बड़ी विद्वता से
निर्माण किया है उसने तुम्हारा,
एक अनोखे काम के लिए
और वो सिर्फ तुम्हीं कर सकते हो -
"हमेशा विजेता बनो"
सो मत मानो हार , मत छोड़ो मैदान
क्योंकि हारते वो हैं ,जो मैदान छोड़ते हैं.
उसने दिए है तुम्हें,
हार से बचने के लिए ढेरों हथियार ,
उठाओ उन्हें, करो उनका इस्तेमाल,
वरना पड़े -पड़े सड़ जायेंगें वे शस्त्रागार में.
उसने दिया है तुम्हें--
विचार का हथियार,
भावना का हथियार,
चुनाव का हथियार,
कर्म का हथियार,
और भी ढेरों हथियार,
जो अलग करते है तुम्हें जानवरों से,
बनाते हैं तुम्हें इंसान,
और तुम हो कि उसके सारे वरदान ठुकरा कर,
बनने चले हो इंसान से जानवर.
मत करो उसके वरदानों का अपमान,
मत मानो हार,मत छोडो मैदान
क्योंकि हारते वो हैं , जो मैदान छोड़ते हैं.
सुबोध
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