Wednesday, July 30, 2014

89. सही या गलत -निर्णय आपका !



अमीर लोग उनके साथ उठते-बैठते है जो उनकी तरह विजेता होते है जबकि गरीब लोग उनके साथ जो उनकी तरह गरीब होते है या हारे हुए - ये अपने-अपने कम्फर्ट जोन का मामला है .
            गरीब लोग अमीरों के साथ,विजेताओं के साथ असहज महसूस करते  है ,गरीबों को  लगता है कि ये अमीर लोग मुझे अस्वीकार कर देंगे ,मैं इनकी श्रेणी का नहीं हूँ  सो अपने अहम की संतुष्टि के लिए वे अमीरों में दोष  तलाशते हैं  और कोई न कोई आलोचना की वजह ढूंढ़ ही लेते हैं . और किसी न किसी बहाने वहां  से हटकर  अपने जैसी समान मानसिकता वालों को तलाश कर उनमे मिक्स-अप हो जाते हैं .
         अमीरों की प्रतिक्रिया कुछ अलग रूप लेती है वो गरीबों को एक हारा हुआ वर्ग मानता है और उनके लिए उसके मन में दया का भाव रहता है  ,उपदेश का भाव रहता है - उच्च स्तर पर जाकर  सोचे तो ये भी दोष तलाशना और आलोचना करना ही हुआ -शब्दों और व्यवहार में चाशनी  भर है .वे भी किसी न किसी बहाने वहां से हटकर अपने जैसी मानसिकता वालों में जाकर बैठते है.
          कहावत है एक जैसे पंछी साथ-साथ रहते है . कुल मिलाकर अपने-अपने कम्फर्ट जोन का मामला है.
मोरल- आपका कम्फर्ट जोन ही आपका आर्थिक भविष्य तय करता है वो कम्फर्ट जोन ही है जो अमीर को ज्यादा अमीर और गरीब को ज्यादा गरीब बनाता है .
- सुबोध 
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Tuesday, July 29, 2014

88. सही या गलत -निर्णय आपका !

बहुत से लोगों को ये समझ में ही नहीं आता कि गलतियां सीखने के लिए होती  है , वे गलतियों से बचने के लिए अनजान राहों पर चलना ही नामंज़ूर कर देते है.
        होना ये चाहिए कि आप पर्याप्त जानकारी कट्ठी करे और उसके आधार पर कार्य करें अगर आप सफल होते है तो आप ये सीखते है कि सही तरीके से सूचनाएं कहाँ से जुटाई जानी चाहिए और किस तरह से इकट्ठी की गई सूचनाओं का उपयोग करना चाहिए और अगर असफल होते है तो आप कई तरीके से बहुत कुछ सीखते है कि सुचना के श्रोत गलत थे ,कि समर्पण में कहाँ कमी थी , कि किस डिपार्टमेंट में किस तरह की कमी रह गई जिसका नतीजा असफलता रहा . हर डिपार्टमेंट की एक अलग खासियत होती है उस खासियत में कहाँ कमी रह गई कि नतीजा पूरे प्रोजेक्ट पर पड़ा और वक्त रहते मैनेजमेंट की निगाह में वो कमी क्यों नहीं आई ? इस तरह के बहुत से सवालों के माध्यम से आप बहुत कुछ सीखते है.
            
         अगर असफलता की कीमत आप पहले से ही निर्धारित कर लेते है तो जवाब मेँ आपको घातक परिणाम नहीं मिलेंगे ,प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले ही आप खुद से ये सवाल कर लेवे की अगर मेरा प्रोजेक्ट असफल हो गया तो अधिक से अधिक मेरा कितना नुकसान हो सकता है ? और मुझे अधिकतम कितना नुकसान होने के बाद  प्रोजेक्ट को बंद कर देना है . ये दो सबसे महत्वपूर्ण सवाल है जो हर नव -उद्यमी ( ENTREPRENEUR ) को कोई भी प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले खुद से पूछने चाहिए और सख्ती से इनका पालन करना चाहिए लेकिन चूँकि वे अपने विचारों को लेकर इतने ज्यादा पॉजिटिव होते है कि वे असफलता की सोचते ही नहीं . और विपरीत नतीजा मिलने पर वे नुकसान पर नुकसान सहे जाते है और प्रोजेक्ट " पैक-अप " करने की बजाय बर्बाद हो जाते है .


           
 अगर आप प्रोजेक्ट को लेकर पूरी तरह संतुष्टि चाहते है तो अपनी सूचनाओ को चेक करे, प्रोजेक्ट तैयार करे ,बैंक में लोन अप्लाई करें ,एंजेल इन्वेस्टर्स से मिले .
अगर आप बैंक के और एंजेल इन्वेस्टर्स के सवालों का समाधान कर पाते है उनसे लोन के लिए हाँ करवा पाते है ( आपने लोन लेना है या नहीं ये अलग मुद्दा है बैंक और एंजेल इन्वेस्टर से मिलने का अर्थ प्रोजेक्ट की खामियों को समझना और दूर करना भर है ) तो खुद से सवाल करें कि मैं इस प्रोजेक्ट पर कितना खोने को तैयार हूँ , आपका जो भी जवाब हो उतने पैसे का इंतेज़ाम करे और  प्रोजेक्ट शुरू कर दीजिये  . अगर आपकी, आपके बैंकर की, एंजेल इन्वेस्टर की  कैलकुलेशन सही है तो आप पैसा बनाएंगे नहीं तो मानसिक तौर पर नुकसान के लिए आप तैयार ही है ,लेकिन इस प्रोसेस में आप जो कुछ सीखेंगे उस से आप बहुत कुछ बना सकते है , जो गलतियों से बचने का प्रयास करने वाले नहीं बना पाएंगे.
- सुबोध 
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Monday, July 28, 2014

87. सही या गलत -निर्णय आपका !

आपके व्यक्तित्व मेँ लचीलापन होना चाहिए , दिमाग की खिड़कियां खुली रखिये ,नए विचारों की ताज़ा हवा आत्मसात करते रहिये कोई भी जो पुराने विचारों में जम जाता है हकीकत में वो जड़ हो जाता है और सुचना युग में जड़ होना खतरनाक है क्योंकि यहाँ जो कल मार्किट में चर्चित था आज नए के आगमन के साथ पुराना हो गया है और चार दिन बाद आउट ऑफ़ डेटेड हो जायेगा लिहाजा आज के टाइम में जिनमें लचीलापन नहीं है वे अपनी प्रगति के रास्ते में रुकावट भर है . यह बात विचारों के साथ -साथ व्यवहार पर भी लागु होती है . इतनी तेजी से परिवर्तन हो रहा है कि कल के आदर्श,कल की मान्यताएं,कल की संस्कृति कल की हो गई है नए -नए उपलब्ध संसाधनों ने आज के रहन -सहन की परिभाषा और आवश्यकताएं बदल दी है , इस युग की चाप के अनुसार अपने व्यवहार  में लचीलापन विकसित करें . 

     अमीरों की सबसे बड़ी खासियत ये होती है कि वे विचारों में और व्यवहारिकता में  कहीं भी जड़ नहीं होते हमेशा नया जानना चाहते है,सुनना चाहते है और कोई भी ऐसा विचार औरव्यवहार जो उनके तर्कों की कसौटी पर खरा उतरता है उसे स्वीकारने को तैयार रहते है ,वे अपने अनुभव से तो सीखते ही है दुसरे के अनुभव से भी सीखने को तैयार रहते है ,वे जानते है जड़ होना नए अवसरों से आँख मूंदना है और लचीलापन नए अवसरों का द्वार है .

-सुबोध
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Sunday, July 27, 2014

86. सही या गलत -निर्णय आपका !

आपके पास अच्छा विचार है जिस से आपको लगता है अच्छा पैसा बनाया जा सकता है ,समस्या पैसे की है . तलाश कीजिये पैसा कहाँ मिलता है ,आपको जो-जो ऑप्शन नज़र आये नोट करते जाए . अपने विचार को कागज पर उतारे. दिमाग में विचार होना अलग है कागज पर होना वो भी इस तरह कि आप जो एक्सप्लेन करना चाहे वो प्रोजेक्ट देखनेवाले के बिलकुल समझ  में आ जाये - बिलकुल ही अलग होता है . हो सकता है पहली -दूसरी- तीसरी बार में वो क्लियरिटी नहीं आये जो सामने वाले  के दिमाग में बैठ जाए लेकिन प्रयास जारी रखे और तब तक जारी रखे जब तक जो बात प्रजेंटेशन  में आप चाहते है वो आ न जाये .

  एक-एक सवाल जो आपसे पूछे जा सकते है उनका तर्क सहित क्या उत्तर देना है आपको पता होना चाहिए , ये समझ लीजिये जो भी आप तैयारी करे युद्ध स्तर पर करें जाने इसी पर आपका आर्थिक भविष्य टिका हुआ है . ध्यान रहे विकल्प की सम्भावना आपकी काबिलियत को जंग लगा देती है .सो तैयारी पूरे मन से करे -कृपया आधी- अधूरी तैयारी के साथ मार्किट में जाकर अपनी इमेज ख़राब ना करें .
                          बेहतर है लोन के लिए किसी बैंक में जाए ,ख़ुदा ना खास्ता वो आप का लोन नामंज़ूर कर देते है तो उनसे जानकारी करे आपके प्रोजेक्ट में कमी क्या रह गई , कृपया कमी को समझे और उसे दुरुस्त करे फिर और किसी बैंक में जाए वो भी अगर मना करते है तो उनसे भी कमी पूछे और उसे दूर करें और ये सिलसिला तब तक अपनाते जाए जब तक आप का लोन मंजूर ना हो जाए . जब एक बार बैंक से लोन मंजूर हो जाता है तो व्यक्तिगत संपर्कों से लोन लेना इतना मुश्किल नहीं होता.
 इस दरमियान आप बिलकुल ही एक नई जबान सीखेंगे जो आप को इस क्षेत्र के मास्टर्स सिखाएंगे . ध्यान रहे अमीर आसमान से नहीं टपकता इसी धरती पर आकर बनता है और इसी तरह के प्रोसेस से गुजरता है - जब वो गुजर सकता है तो आप क्यों नहीं ?  
- सुबोध
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Saturday, July 26, 2014

85. सही या गलत -निर्णय आपका !


कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता - कार्य करने वाले का समर्पण ,कार्य का आकार  -प्रकार ,कार्य की विस्तृत रूप-रेखा उसे छोटा या बड़ा बनाती है - एक अकेला जुलाहा वस्त्र बुनता है तो वो जुलाहा है लेकिन ऐसे ही हज़ारों जुलाहे मिल में जाकर वस्त्र बुनते है तो वहां वो कारीगर हो जाते है और मिल  इंडस्ट्री हो जाती है. ये आप पर है कि अपने कार्य में आप अकेले रहना चाहते है या उसे बड़ा बनाना चाहते है . 
            अगर आपका दिमाग छोटा होगा तो पैतृक संपत्ति में मिला हुआ बड़ा कार्य भी आप छोटा कर लेंगे कि काम  में बहुत टेंशन है ,एम्प्लोयी को मैनेज करना टेढ़ी खीर है ,जिसको उधार दो पैसा लेकर भाग जाता है , माल बेचते वक्त भी भिखारी है और पेमेंट मंगाते वक्त भी .ऐसे बड़े काम का क्या फायदा वगैरह -वगैरह आपके तर्क होंगे और बने बनाये बड़े नेटवर्क को काट-पीट कर आप  अपने कम्फर्ट जोन में आप आ जायेंगे.
अगर आपका दिमाग बड़ा होगा तो आप एक बड़ा नेटवर्क बनाएंगे . एम्प्लाइज का , कारीगरों का,माल बनाने वाले ,बेचनेवालों का ,खरीदारों का , आढ़तियों का , दलालों का , इंडस्ट्री या व्यवसाय में लगने वाली हर छोटी- बड़ी ज़रुरत की लिस्ट बनाकर उस पर कार्यवाही करेंगे , व्यवसाय को बड़ा बनाने के लिए आप अपने "ईगो " को छोटा करकर हर छोटा -बड़ा काम करेंगे -न भूख़ की परवाह, न प्यास की सुध  ,न समय की चिंता , न भाग-दौड़ का तनाव , न थकान की फ़िक्र ,  यानी आप "आप" न होंगे सिर्फ एक उद्देश्य रह जायेंगे कि किसी भी तरह सोच साकार हो.
कहने का मतलब कार्य कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता वो "आप" है जो उसे छोटा या बड़ा बनाते है .
- सुबोध
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Friday, July 25, 2014

84. सही या गलत -निर्णय आपका !


कार्य कोई भी छोटा या बड़ा नहीं होता ,कार्य करने वाले की मानसिकता छोटी या बड़ी होती है .ध्यान रखे कल की  नाई की दूकान आज सैलून हो जाती है ,कल की दरजी की दुकान आज बूटीक शॉप  हो जाती है - ढेरों उदहारण है.
 समाज  की निगाहों में कल का  छोटा काम,ओछा काम आज क्रिएटिव होकर इंडस्ट्री बन गया है .आप प्रत्येक कार्य में श्रेष्टता ही देखें , इस से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस तरह के व्यवसाय में है या आपके जिम्मे किस तरह का कार्य है-समाज उसे ओछी निगाह से देखता है या नहीं इससे भी कोई फर्क नहीं पड़ता ,आपकी ज़िन्दगी में फर्क डालने वाले आप खुद है दूसरा कोई नहीं . अपने काम से प्रेम करे उसे सम्मान दे और अपना श्रेष्ट दे - अमीर यही करते है और वो जानते है कि छोटे से बड़ा बनने के लिए कर्ता को दिल और दिमाग से  छोटा नहीं बड़ा   होना चाहिए .
-सुबोध 
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Thursday, July 24, 2014

83. सही या गलत -निर्णय आपका !


जो भी कदम आप उठाये पूरी तरह तैयारी करकर ही उठाये . उठाये गए कदम पर अडिग रहे , जब काम शुरू करेंगे तो बहुत से तथाकथित शुभचिंतक आपकी भलाई के लिए बहुत सी सलाहें देंगे -लेकिन आप सिर्फ अपनी सोची गयी रणनीति पर कार्य करें ,आप का दिमाग खुला होना चाहिए - उनकी राय में वाकई में  दम है तो स्वीकार कीजिये लेकिन सिर्फ उन्हें ओब्लाइज़ करने के लिए अपनी पूर्व नीति में किसी तरह का बदलाव न करें.
     
कदम उठाने से पहले दो बार सोच लेवे क्योंकि एक बार उठाया हुआ कदम वापिस लेना आसान नहीं होता , वापिस लिया हुआ कदम पैसे के अलावा,मेहनत,समय ,आत्मविश्वास और मार्किट में आपकी इज्जत को भी नुकसान पहुँचाता है .
              
संसार में हर व्यक्ति ने कभी न कभी कोई न कोई गलती की है  सो गलतियों या असफलता से न घबराएं अगर आपका लिया गया निर्णय या रणनीति गलत भी होती है तो साफ़ मन से अपनी असफलता स्वीकार करें ,अपनी असफलता की जिम्मेदारी ले , अगर आप जिम्मेदारी नहीं लेंगे कोई बहाना बनाएंगे या अपनी असफलता का ठीकरा किसी और के माथे फोड़ेंगे तो ये निश्चित है आपका अगला प्रोजेक्ट भी असफल ही होगा क्योंकि आपने अपने व्यक्तित्व में उचित सुधार नहीं किया है  .अच्छे लीडर और अमीर लोग हमेशा अपनी असफलता, अपनी गलतियों को स्वीकार करते है क्योंकि उन्हें पता है कि सुधार हमेशा जिम्मेदारी से पैदा होता है.
सुबोध 
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कुछ टुकड़ों में

ज़िन्दगी में जब तुमको कोई रास्ता दिखाई न दे ,
कोई मंज़िल दिखाई न दे ,
कोई अपना दिखाई न दे ,
तब मेरे पास आना .
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और मेरी गोद में लेटना
तुम्हारा मन बिलकुल शांत हो जायेगा
माँ की गोद ऐसी ही होती है.


-सुबोध - २३ जुलाई , २०१४



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वो मासूम बच्चा पाँच साला जानता है अहमियत पैसे की
कि सिक्कों में कुछ नहीं मिलता नोट मांगता है भीख में.
- सुबोध
१९ जुलाई,२०१४

Wednesday, July 23, 2014

82. सही या गलत -निर्णय आपका !

अमीरों की हिम्मत जुआरियों  वाली हिम्मत नहीं होती चूँकि ये अंकों में बड़े साफ़-सुथरे होते है इसलिए एक केलकुलेटेड  रिस्क लेते है ,जहाँ हारने की सम्भावना न के बराबर होती है ,रिस्क एंड रिवॉर्ड रेश्यो इनके फेवर  में होता है ,और अगर चीज़ें इनके अनुमान के मुताबिक नहीं होती तो इनमें इतनी काबिलियत होती है कि परिस्थितियों  के अपने अनुसार खुद को बदल कर कार्य कर सके या चीज़ों से अपने अनुसार कार्य करवा सके . इसके वाबजूद भी अगर इनका कोई प्रोजेक्ट फ़ैल हो जाता है तो ये चूँकि अपने किसी प्रोजेक्ट में अपना सब कुछ न झोंक कर  30 -40 % तक ही डालते है  या फिर ये एक सिस्टम के तहत मार्किट से पूँजी उगाहते है सो ये पूरी तरह बर्बाद नहीं होते . जबकि गरीब आदमी अपनी पूंजी के साथ-साथ बीबी  के गहने ,बच्चों की बचत ,रिश्तेदारों-दोस्तों तक की पूँजी अपने प्रोजेक्ट में डाल देता है - उसकी असफलता की कल्पना ही दर्दनाक होती है .उसे दो मोर्चों पर लड़ना होता है पहला प्रोजेक्ट की सफलता दूसरा पूँजी की सुरक्षा जबकि अमीर सिर्फ प्रोजेक्ट की सफलता पर ही ध्यान केंद्रित करता है.
-सुबोध 
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81. सही या गलत -निर्णय आपका !

जो लोग जोखिम लेते है ,गलतियां करते है और उन गलतियों से सीखते है वे उन लोगों से हमेशा बेहतर होते है जो लोग जोखिम से,नुकसान से डर कर गलतियां ही नहीं करते . क्योंकि इस मानसिकता के लोग हिम्मती होते है और  एक कहावत बड़ी लोकप्रिय है " समझदार पीछे छूट जाते है और हिम्मती आगे निकल जाते है ." ये गलतियों से इतना ज्यादा सीख लेते है कि आगे से उन गलतियों का इन्हे पहले से ही अंदाजा हो जाता है और इसका नतीजा ये होता है कि धीरे-धीरे इनके काम में निपुणता आने लगती है और अगले किसी प्रोजेक्ट में ये इतनी बड़ी सफलता हासिल करते है कि पिछली सारी असफलताओं की भरपाई हो जाती है और इन्हे ईनाम में वो कुछ मिलता है जिसके बारे में किनारे पर खड़े हुए लोग सिर्फ सोच सकते है .

-सुबोध 
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Monday, July 21, 2014

80. सही या गलत -निर्णय आपका !





अकादमिक एजुकेशन सिस्टम में गलतियों का नतीजा पनिशमेंट होता है और वहां उन्हें गलतिया न करने का प्रशिक्षण दिया जाता है . जब ये कहा जाता है कि "गलतियां ही सबसे अच्छी टीचर होती है " ये उन्हें समझ में नहीं आता लिहाजा अपनी अकादमिक एजुकेशन पूरी करने के बाद भी वो लोग भावनात्मक रूप से जोखिम लेने के लिए तैयार नहीं होते और नतीजे में वो कोई ठीक-ठाक नौकरी पकड़ लेते है और अपनी वर्तमान नौकरी को अपनी वित्तीय सुरक्षा का जरिया मानते हुए ज़िन्दगी गुजारने लगते है ,बिना इस बात को समझे  कि नौकरी वित्त के क्षेत्र में एक दीर्धकालीन समस्या का अल्पकालीन समाधान है .वे लोग अपनी वर्तमान नौकरी में ही वित्तीय सुरक्षा और वित्तीय स्वतंत्रता देखते,समझते है जबकि नौकरी,वित्तीय सुरक्षा और वित्तीय स्वतंत्रता तीनो अलग-अलग स्थितियां होती है .
- सुबोध
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Sunday, July 20, 2014

79. सही या गलत -निर्णय आपका !

अमीर बनने के लिए जो तीन महत्वपूर्ण कदम होते है आइये उन्हें समझे -
1  बनना
2  करना
3  पाना
जब आप अपने लक्ष्य  (3  पाना ) निर्धारित कर लेते है तो आपको समझ में आने लगता है कि लक्ष्य हासिल  करने के लिए आपने क्या - क्या करना(2 . करना ) है , आपकी टू डू लिस्ट  बन जाती है और आप उसी के अनुसार कार्य करने लगते है . आप देखते है,समझते है कि इस कार्य को अमीर कैसे करते है जैसे-जैसे वो करते है आप करने का प्रयास करते है लेकिन आपको सफलता नहीं मिलती आप पूरी तरह खुद को री -चेक करते है कि गलती कहाँ से हो रही है,ज़रूरी सुधार करते है फिर भी सफलता नहीं मिलती अब आप परेशान है और असफलता को स्वीकार कर पूरी उम्र के लिए अमीर बनने का विचार त्याग देते है .
एक स्टडी के मुताबिक जो नए  प्रोजेक्ट आते है उनमे से 90 % प्रोजेक्ट आने  वाले 5  साल में बंद हो जाते है , इतनी बड़ी संख्या में प्रोजेक्ट फ़ैल होने का सही मायने में अर्थ क्या है ? इस बारे में सोचिये समझिए कि गलती कहाँ हो रही है .
आपके द्वारा  जो गलती हो रही है वो होने (1 .बनना ) में है . आप ने अमीरों के लक्ष्य बनाये,उनकी तरह काम किया लेकिन वैसे हुए नहीं - मानसिकता में आपके अंदर अभी भी छोटा डरा हुआ मुर्गा बैठा है जिसे हमेशा आशंका रहती है कि अब आसमान गिरने वाला है . यही सोच ,यही मानसिकता आपकी असफलता का कारण है . आपको पाने के लिए करने के साथ-साथ बनना भी पड़ेगा .वो मानसिकता भी खुद में विकसित करनी पड़ेगी जो अमीरों में होती है . उस छोटे डरे हुए मुर्गे को अपनी ज़िन्दगी से दूर भागना होगा जिसे हमेशा आसमान गिरने की आशंका रहती है .
इस सन्दर्भ में पोस्ट 41  और 42  भी देखे.
-सुबोध
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