तुम्हारी हार की वजह , असफलता की वजह
तुम्हारा अहंकार है कि मैं सब कुछ जानता हूँ - मैं मानता हूँ तुम बहुत कुछ
जानते हो , जवान हो , काबिल हो, नई पीढ़ी से हो, टेक्नोलॉजी कैसे काम करती
है, सिस्टम कैसे बनाये जाते है , कैसे चलाये जाते है - सब कुछ जानते हो तुम
और इस सब कुछ जानने ने तुम्हे अहंकारी बना दिया है जिसे तुम सब कुछ जानना
समझ रहे हो और जिस वजह से तुम्हे अपने ज्ञान का गुरूर है वो सब कुछ जानना
तब तुम्हारी हार की पोल खोल देता है जब तुम्हारे बैंक स्टेटमेंट देखे जाते है !!
तुम्हारा सारा ज्ञान किताबी ज्ञान है , सामाजिक ज्ञान है , लफ्फाजी ज्ञान
है - इतने वाक्पटु हो तुम , इतने कॉंफिडेंट नज़र आते हो कि किसी को भी भरमा
सकते हो , जब मार्केटिंग की बात आती है तो जितनी डिटेल में जाकर तुम चीज़ों
को बयां करते हो , तुम पर गर्व होता है , जब सेल्स की बात आती है तो जितने
कफिडेन्स से तुम क्लाइंट से बात करते हो और प्रोडक्ट सेल कर देते हो ,
आश्चर्य होता है और तुम्हारे भविष्य को सिक्योर महसूस करता हूँ लेकिन
परेशान तब हो जाता हूँ जब तुम्हारे बैंक स्टेटमेंट देखता हूँ !!
क्या है ऐसा जो तुम नहीं जानते हो जिस वजह से तुम्हे हमेशा क्रेडिट कार्ड के भरोसे अपनी ज़िन्दगी गुजारनी पड़ती है और तुम्हारे बैंक अकाउंट में हमेशा कुछ भी क्यों नहीं होता ? इस "क्या" की तलाश करना तुम्हे ज़रूरी क्यों नहीं लगता , हर तरह से काबिल होने के बाद भी- लीड जनरेट करने से लेकर सेल क्लोज करने तक ,प्रोडक्ट तैयार करवाने से लेकर डिलीवर करवाने तक ,बैक ऑफिस से फ्रंट ऑफिस मैनेज करने तक - हर चीज़ जानने के बावजूद भी तुम्हारी ज़िन्दगी संभली हुई क्यों नहीं है ?
ज़िन्दगी में ध्यान रखना इस आर्थिक युग में सफलता पैसे से नापी जाती है , तुम्हे काबिल तब माना जाता है ,जब तुम्हारे बैंक स्टेटमेंट इतने काबिल हो कि किसी तरह के लोन को सेंक्शन करने में बैंक ऑफिसर के माथे में सिलवटें न पड़े , इस युग कि ये विडंबना है कि इस युग में प्रधान पैसा है व्यक्ति गौण है ,तुम्हारा ज्ञान , तुम्हारा हुनर , तुम्हारी कमाई सब बेकार है अगर तुम्हारे बैंक स्टेटमेंट सही नहीं है और तुम्हारी ज़िन्दगी क्रेडिट कार्ड के भरोसे चलती है .
मेरे ख्याल से तुम्हारी सबसे बड़ी जो प्रॉब्लम है वो कैश फ्लो और प्रॉफिट के बीच के फर्क को ढंग से नहीं पहचान पाने की है या ज्यादा बेहतर तुम खुद जानते हो, सफलता जो बाहर से नज़र आती है वो बैंक स्टेटमेंट में नज़र क्यों नहीं आती ? बाहर से खुश नज़र आने से तुम सही मायने में खुश नहीं हो जाते,सही मायने में तुम्हे ख़ुशी तब मिलती है जब तुम अंदर से खुश होते हो और ये ध्यान रखना ज़िन्दगी की वित्तीय सफलता / खुशियां बैंक स्टेटमेंट से निर्धारित होती है जो अंदर का हिस्सा है - बाहर तो सिर्फ ताम-झाम है बाहर वालों के लिए !!!!
सुबोध- अप्रैल २९, २०१५
क्या है ऐसा जो तुम नहीं जानते हो जिस वजह से तुम्हे हमेशा क्रेडिट कार्ड के भरोसे अपनी ज़िन्दगी गुजारनी पड़ती है और तुम्हारे बैंक अकाउंट में हमेशा कुछ भी क्यों नहीं होता ? इस "क्या" की तलाश करना तुम्हे ज़रूरी क्यों नहीं लगता , हर तरह से काबिल होने के बाद भी- लीड जनरेट करने से लेकर सेल क्लोज करने तक ,प्रोडक्ट तैयार करवाने से लेकर डिलीवर करवाने तक ,बैक ऑफिस से फ्रंट ऑफिस मैनेज करने तक - हर चीज़ जानने के बावजूद भी तुम्हारी ज़िन्दगी संभली हुई क्यों नहीं है ?
ज़िन्दगी में ध्यान रखना इस आर्थिक युग में सफलता पैसे से नापी जाती है , तुम्हे काबिल तब माना जाता है ,जब तुम्हारे बैंक स्टेटमेंट इतने काबिल हो कि किसी तरह के लोन को सेंक्शन करने में बैंक ऑफिसर के माथे में सिलवटें न पड़े , इस युग कि ये विडंबना है कि इस युग में प्रधान पैसा है व्यक्ति गौण है ,तुम्हारा ज्ञान , तुम्हारा हुनर , तुम्हारी कमाई सब बेकार है अगर तुम्हारे बैंक स्टेटमेंट सही नहीं है और तुम्हारी ज़िन्दगी क्रेडिट कार्ड के भरोसे चलती है .
मेरे ख्याल से तुम्हारी सबसे बड़ी जो प्रॉब्लम है वो कैश फ्लो और प्रॉफिट के बीच के फर्क को ढंग से नहीं पहचान पाने की है या ज्यादा बेहतर तुम खुद जानते हो, सफलता जो बाहर से नज़र आती है वो बैंक स्टेटमेंट में नज़र क्यों नहीं आती ? बाहर से खुश नज़र आने से तुम सही मायने में खुश नहीं हो जाते,सही मायने में तुम्हे ख़ुशी तब मिलती है जब तुम अंदर से खुश होते हो और ये ध्यान रखना ज़िन्दगी की वित्तीय सफलता / खुशियां बैंक स्टेटमेंट से निर्धारित होती है जो अंदर का हिस्सा है - बाहर तो सिर्फ ताम-झाम है बाहर वालों के लिए !!!!
सुबोध- अप्रैल २९, २०१५
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