Thursday, April 30, 2015

हाँ मैं मेट्रो में रहता हूँ
मैं हँसता हूँ
क्या फर्क है शहर की खड्डों वाली
और गाँव की टूटी सड़क में ?
क्या शहर के लिए अलग सप्लाई है अनाज की
गाँव की अलग ?
कहाँ है फर्क
पीने के पानी में
दूध शहर में भी नकली और गाँव में भी
बिजली विभाग की मेहरबानियाँ शहर और गाँव में फर्क नहीं करती
प्रदुषण ?
सूरज की रौशनी ?
बेरोज़गारी ?
गन्दगी ?
शोरगुल ,टी.व्ही ?
फैशन ?
सपने ?
बाइक, गाड़ी ?
दहेज़ ?
औरत ?
या मर्द की मानसिकता ?
हीरे क्या शहर में ही पैदा होते है ?
हुनरमंद लोग क्या शहर में ही होते है ?
भ्रूण हत्या क्या गांवों में ही होती है ?
तकलीफ गांव में
और
आराम क्या सिर्फ शहर में होता है ?
ढेरों सवाल
और जवाब
सोचता हूँ
और सोचता रहता हूँ
क्योंकि
मेरे जवाब और आपके जवाब में फर्क है
मेरे जवाब मेरी मानसिकता है
और आपके जवाब आपकी
मेरे जवाब मेरे अनुभूत सच है
और आपके जवाब आपके सच
क्या आपको नहीं लगता
फर्क गांव और शहर से ज्यादा
पैसे का है
जड़ों का है
किस्से- कहानियों का है
अधूरेपन और पूरेपन का है !!!

सुबोध- अप्रैल २७,२०१५

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