Thursday, November 6, 2014

गद्य


कुछ ऐसे शानदार दोस्त जिनके बारे में कल्पना तक न की थी कि ज़िन्दगी में कभी बिछुड़ जाएंगे, होली दिवाली भी याद न करे तो उनके ख्याल से ही सारी खुशियां दर्द में बदल जाती है- सब कुछ पाकर भी कुछ भी न बचा पाने का दर्द , संबंधों को अपनी आँखों के सामने मरते हुए देखने का दर्द , जानी पहचानी रूह में उतरती आवाज़ों को खो देने का दर्द !!

उफ़ ! ये दर्द ,ये खामोशी ,ये चाहत ,ये कशमकश , ये लम्हों को जीने की आग सिर्फ मेरे सीने में धड़क रही है या उस तरफ भी कोई तड़फ ज़िंदा है ?

क्या मैं मेरे गुरुर को,मेरे अहंकार को ,मेरी ईगो को ,मेरे घमंड को अपनी पूरी नकारात्मकता के साथ छोड़कर मोबाइल पर उसके नंबर डायल कर सकता हूँ?

अगर " हाँ " तो करता क्यों नहीं ?

अगर " नहीं " तो झूठे विलाप , झूठे प्रपंच और एक नकाब को क्यों ढ़ो रहा हूँ ?

हे मेरे अराध्य ! मुझे इतनी शक्ति दो कि मैं किसी और में दोष न देखुं और अपने दोष स्वीकार कर सकूँ ,सुधार सकूँ !!!!
- सुबोध , २५ अक्टूबर, २०१४





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 तुम्हारी आज की बर्बादी कल किये गए कार्यों का परिणाम है ,तुम्हारी कामचोरी ,तुम्हारे गलत निर्णय ,आधी-अधूरी सोच और सबसे बड़ा एक गलत चुनाव जो परिणाम दे सकता है वही तुम्हे मिला है ! अब तो जागो , अब तो समझो,ये मत कहो दिवाली ख़राब थी ,दिवाली ख़राब नहीं थी बल्कि कुछ और ख़राब था ; उसे समझो ,गलती स्वीकार करो ,जिम्मेदारी लो और अपनी अगली दिवाली खूबसूरत करो !
मेरी निगाह में इससे बड़ी शुभकामना तुम्हारे लिए नहीं हो सकती !!!
सुबोध- २४ अक्टूबर,२०१४






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विश्वासघात वहां होता है जहाँ विश्वास होता है ,दुश्मनो के साथ पता होता है कि वार हो सकता है तो हमारी मानसिकता जाने-अनजाने चौकन्नी रहती है लेकिन अपनों के बीच हम खुद को सेफ महसूस करते है और सुरक्षा के प्रति लापरवाह हो जाते है और यही हमारे लिए घातक होती है.
- सुबोध

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