अमीर लोग उनके साथ उठते-बैठते है जो उनकी तरह विजेता होते है जबकि गरीब
लोग उनके साथ जो उनकी तरह गरीब होते है या हारे हुए - ये अपने-अपने कम्फर्ट जोन का
मामला है .
गरीब लोग अमीरों के साथ,विजेताओं के साथ असहज महसूस करते
है ,गरीबों को लगता है कि ये अमीर लोग मुझे अस्वीकार कर देंगे
,मैं इनकी श्रेणी का
नहीं हूँ सो अपने अहम की संतुष्टि के लिए वे अमीरों में दोष तलाशते हैं और कोई न कोई
आलोचना की वजह ढूंढ़ ही लेते हैं . और किसी न किसी बहाने वहां से हटकर
अपने जैसी समान मानसिकता वालों को तलाश कर उनमे मिक्स-अप हो जाते हैं .
अमीरों की प्रतिक्रिया कुछ अलग रूप लेती है वो गरीबों को एक हारा हुआ
वर्ग मानता है और उनके लिए उसके मन में दया का भाव रहता है ,उपदेश का भाव रहता है - उच्च स्तर पर जाकर सोचे तो ये भी दोष तलाशना और आलोचना करना ही
हुआ -शब्दों और व्यवहार में चाशनी भर है
.वे भी किसी न किसी बहाने वहां से हटकर अपने जैसी मानसिकता वालों में जाकर बैठते
है.
कहावत है एक जैसे पंछी साथ-साथ
रहते है . कुल मिलाकर अपने-अपने कम्फर्ट
जोन का मामला है.
मोरल- आपका कम्फर्ट जोन ही आपका आर्थिक भविष्य तय करता है वो कम्फर्ट जोन ही है जो अमीर को ज्यादा अमीर और गरीब को ज्यादा गरीब बनाता है .
मोरल- आपका कम्फर्ट जोन ही आपका आर्थिक भविष्य तय करता है वो कम्फर्ट जोन ही है जो अमीर को ज्यादा अमीर और गरीब को ज्यादा गरीब बनाता है .
- सुबोध
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