Monday, July 7, 2014

उफ़ ये फेसबुक ...

क्या बेवकूफी है एडिक्टेड होना भी
लिखता हूँ बेहतरीन और कचरे से कचरा भी
मरा जा रहा हूँ कि कोई तो लाइक करो
और तुम हो कि खामोश बैठे हो .....
उफ़ ये फेसबुक ...
पागल कर दिया है .............

फेसबुक न हुई जान का बवाल हो गई
बीवी कहती है फेसबुक मेरी नई सौत हो गई
छेड़ते है बच्चे
पापा किसे पटा रहे हो .
इरादा कहाँ है मिलने का ?
सबसे हाय-हेल्लो यही होती है
इसी पर केक काटा जाता है
शोक सन्देश छापा जाता है 
उफ़ ये फेसबुक....
पागल कर दिया है

सुबह उठकर ख़ुदा से पहले
नाम इसी का जुबान पर आता है
नावाकिफ हूँ अड़ोस-पड़ोस से
इस पर  फ्रेंड्स की  लम्बी सी लिस्ट  है
भूल जाता हूँ  ज़रूरी से ज़रूरी काम भी
पर याद रहती है फेसबुक
उफ़ ये फेसबुक....
पागल कर दिया है.....

सुबोध-   जुन ८,२०१४


1 comment:

LUDO BETTING, LUDO SATTA, LUDO GAMBLING said...

बहुत ही खूबसूरत !!!!!
हकीकत बयां कर दी आपने.