काम (जिसे ज्यादातर लोग एक बोझ समझते
है) की शक्ल में आने वाली उपलब्धियां जब गुजर जाती है और जो काम को इज्जत
देता है उसे जब उपलब्धियां इज्जत देती है तब लोगों को समझ में आता है कि
हमने गलती कहाँ की !
दरअसल उनकी असफलता की वजह उनकी मानसिकता होती है जो काम को बोझ समझते है .
दरअसल उनकी असफलता की वजह उनकी मानसिकता होती है जो काम को बोझ समझते है .
मानसिकता एक अदृश्य स्थिति है दिमाग के स्तर पर जबकि उपलब्धि एक भौतिक
स्तर है , दिमाग के स्तर से भौतिक स्तर पर आने के लिए जिस पुल की जरूरत
होती है उसी पुल का नाम काम है , लिहाजा सिर्फ और सिर्फ कर्म ही
महत्त्वपूर्ण है, ज्ञान की बातें कोई महत्व नहीं रखती अगर उन पर काम नहीं
किया गया हो - गौर करें ज्ञान भी दिमाग का एक स्तर है .
विद्वान की विद्वता ज्ञान हासिल करने में है उनका लक्ष्य ज्ञान को हासिल करना है उस ज्ञान का उपयोग वे नहीं करते , सिर्फ और सिर्फ ज्ञान का संग्रह करते रहते है अंततः वे समाज में एक बड़े और प्रसिद्ध विद्वान के रूप में स्थापित हो जाते है लेकिन ज्ञान हासिल करने के इतर कर्म न करने की वजह से भौतिक स्तर पर उन्हें ढंग से दो वक्त की रोटी भी नहीं मिलती .
इसे एक उदाहरण से समझे - गुलज़ार साहब फिल्म इंडस्ट्री के नामी गीतकार है वे बड़े ज्ञानी भी है- एक विद्वान शख्सियत है , अगर उन्होंने सिर्फ ज्ञान हासिल किया होता उस ज्ञान की मार्केटिंग का कर्म न किया होता तो ? जाहिर सी बात है हज़ारों गुमनाम शख्सियतों की तरह वे भी गुमनाम ही रहते , उन्होंने इस बात को समझा, और फिल्म इंडस्ट्रीज के बेहतरीन स्ट्रगलर बने , आज वे जिस मुकाम पर है बहुत से प्रतिभाशाली लोगों के लिए वो स्वप्न है .
आपकी जानकारी आपका ज्ञान कोई महत्व नहीं रखता अगर उसके साथ कर्म नहीं जुड़ा है. जैसे ढेरों लोग कहते है कि आज अमुक शेयर ऊपर जायेगा वो अपने तरीके से इसकी गणना करते है मार्किट को समझते है यह उनका ज्ञान है तब वे ऐसी बात करते है लेकिन उनको तब तक कोई फायदा नहीं होता जब तक वे उस तथाकथित शेयर का लेन- देन नहीं करते .
लिहाजा इस बात को समझ लेवे ज्ञान से भी अधिक महत्त्वपूर्ण कर्म है .काम को बोझ मत समझिए बल्कि एक उपलब्धि का द्वार समझिए !
क्या पता कौन सा कर्म एक अवसर की तरह आपके सामने आ जाये ;अवसर हमेशा काम की शक्ल में ही आता है अगर आपने काम किया है तो अवसर आपका है नहीं तो अवसर आकर चला भी जायेगा और आपको पता भी नहीं चलेगा आप सिर्फ उसका इंतज़ार करते रहेंगे !!!!
सुबोध- फरबरी ६, २०१५
विद्वान की विद्वता ज्ञान हासिल करने में है उनका लक्ष्य ज्ञान को हासिल करना है उस ज्ञान का उपयोग वे नहीं करते , सिर्फ और सिर्फ ज्ञान का संग्रह करते रहते है अंततः वे समाज में एक बड़े और प्रसिद्ध विद्वान के रूप में स्थापित हो जाते है लेकिन ज्ञान हासिल करने के इतर कर्म न करने की वजह से भौतिक स्तर पर उन्हें ढंग से दो वक्त की रोटी भी नहीं मिलती .
इसे एक उदाहरण से समझे - गुलज़ार साहब फिल्म इंडस्ट्री के नामी गीतकार है वे बड़े ज्ञानी भी है- एक विद्वान शख्सियत है , अगर उन्होंने सिर्फ ज्ञान हासिल किया होता उस ज्ञान की मार्केटिंग का कर्म न किया होता तो ? जाहिर सी बात है हज़ारों गुमनाम शख्सियतों की तरह वे भी गुमनाम ही रहते , उन्होंने इस बात को समझा, और फिल्म इंडस्ट्रीज के बेहतरीन स्ट्रगलर बने , आज वे जिस मुकाम पर है बहुत से प्रतिभाशाली लोगों के लिए वो स्वप्न है .
आपकी जानकारी आपका ज्ञान कोई महत्व नहीं रखता अगर उसके साथ कर्म नहीं जुड़ा है. जैसे ढेरों लोग कहते है कि आज अमुक शेयर ऊपर जायेगा वो अपने तरीके से इसकी गणना करते है मार्किट को समझते है यह उनका ज्ञान है तब वे ऐसी बात करते है लेकिन उनको तब तक कोई फायदा नहीं होता जब तक वे उस तथाकथित शेयर का लेन- देन नहीं करते .
लिहाजा इस बात को समझ लेवे ज्ञान से भी अधिक महत्त्वपूर्ण कर्म है .काम को बोझ मत समझिए बल्कि एक उपलब्धि का द्वार समझिए !
क्या पता कौन सा कर्म एक अवसर की तरह आपके सामने आ जाये ;अवसर हमेशा काम की शक्ल में ही आता है अगर आपने काम किया है तो अवसर आपका है नहीं तो अवसर आकर चला भी जायेगा और आपको पता भी नहीं चलेगा आप सिर्फ उसका इंतज़ार करते रहेंगे !!!!
सुबोध- फरबरी ६, २०१५
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