Friday, June 20, 2014

पिता


हँसो तुम !
लौट आएगा चाँदनी का नूर,
महक उठेगी रात की रानी
सर्द रात में जल उठेंगी
जज़्बातों की अंगीठी
हँसो तुम !!
चहकने लगेंगे पखेरू
सुबह खिल उठेगी गुड़हल सी
सूरज मुँह नहीं छुपायेगा बादलों में
बिखेरेगा गुनगुनी धुप
हँसो तुम !!!
तुम हँसो
कि तुम्हारी हँसी में
सिमटी है मेरी कायनात
कि तुम्हारा एक अश्क
चीरता है कलेजा
पिता हूँ ना,अच्छी नहीं लगती
रोती हुई औलाद !!!!
सुबोध- १९ जून ,२०१४

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