Friday, September 19, 2014

गद्य

धन्यवाद, उन दोस्तों का जिन्होंने मुझे अपनी गलतियों से रूबरू करवाया ,बिना इस बात से डरे कि वो मेरी दोस्ती खो सकते है !!
पक्के दोस्त अच्छे हो ,सच्चे हो ये ज़रूरी नहीं !!
पक्के दोस्त आपकी हर बात का समर्थन करेंगे लेकिन अच्छे और सच्चे दोस्त आपका
सिर्फ वही समर्थन करेंगे जहाँ उन्हें आपकी भलाई नज़र आएगी.
दोस्ती जब चुनने की बारी आये तो पक्के नहीं अच्छे और सच्चे दोस्त चुनिए !
और हाँ, ध्यान रखियेगा आपके अच्छे और सच्चे दोस्त आपकी दोस्ती की परवाह नहीं करेंगे बल्कि उन्हें आपकी अच्छाई की, आपकी भलाई की परवाह होगी , इस दोस्ती के मूल में " दोस्ती जाए लेकिन दोस्त रहे " वाली भावना होती है क्योंकि उन्हें भरोसा होता है कि जिस दिन आप अपना अच्छा और बुरा समझने लगेंगे उस दिन दूरियां ख़त्म करकर वापिस लौट आएंगे !!!

सुबोध - १९ सितम्बर,२०१४

No comments: