Monday, September 1, 2014

कुछ टुकड़ों में



अब वो एहसास न रहे
जो पहली मुलाकात में थे !
कुसूरबार मैं अकेला तो नहीं !!!
सुबोध- १ सितम्बर ,२०१४ 




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मैं तो कल भी गैर न था ,आज भी तेरा हूँ
तुझे खुद पे ऐतबार नहीं तो खता मेरी क्या है ?
सुबोध- १ सितम्बर ,२०१४

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