ज़िन्दगी
हमेशा वादा करती है कि मैं कभी भी आसान नहीं रहूंगी .मैं तुम्हारे सुख
में चुनौती बनकर उभरूंगी कि आओ मुझे बरकरार रखो ,और तुम्हारे दुःख में तो
संघर्षपूर्ण रहूंगी ही .
अब ये तुम पर है कि तुम आलोचना,हताशा ,निराशा ,पराजय को अपनी ताकत बनाकर उभरते हो -एक ज्वालमुखी की तरह या इन नकारात्मक भावों के नीचे दबकर अपने आप को बर्बाद कर लेते हो !!!
चाकू से सब्ज़ी भी काटी जाती है और आत्महत्या करने के लिए हाथ की नसें भी !
फर्क इस्तेमाल करने वाले की सोच और ताकत में होता है !!!!
सुबोध- १८ सितम्बर, २०१४
अब ये तुम पर है कि तुम आलोचना,हताशा ,निराशा ,पराजय को अपनी ताकत बनाकर उभरते हो -एक ज्वालमुखी की तरह या इन नकारात्मक भावों के नीचे दबकर अपने आप को बर्बाद कर लेते हो !!!
चाकू से सब्ज़ी भी काटी जाती है और आत्महत्या करने के लिए हाथ की नसें भी !
फर्क इस्तेमाल करने वाले की सोच और ताकत में होता है !!!!
सुबोध- १८ सितम्बर, २०१४
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