Wednesday, September 17, 2014

गद्य

मैं गिर रहा हूँ बार-बार
उस मासूम बच्चे की मानिंद जो चलना सीखने के वक्त गिरता है ,उठता है,कदम बढ़ाता है ,गिरता है, उठता है , कदम बढ़ाता है और अंततः चलना सीख जाता है ,तब उस बच्चे को कोई नहीं कहता कि ये गिर रहा है बल्कि कहते है कि ये चलना सीख रहा है !!!
आज जब मैं गिर रहा हूँ बार-बार
लोग मुझे हारा हुआ ,चुका हुआ ,पराजित क्यों मान रहे है ?

  सुबोध- १६ सितम्बर ,२०१४



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महंगाई का असर जिंसों पर होता है ,वस्तुओं पर होता है ,चीज़ों पर होता है ; भावनाओं पर नहीं,जज्बातों पर नहीं -अगर उन पर भी महंगाई का असर होता तो क्या-क्या होता सोचकर रूह काँपने लगती है !!! या रब तू बड़ा रहम दिल है इंसान की मजबूरियां भी समझता है और नादानियां भी !!!
सुबोध- १५ सितम्बर, २०१४

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