Sunday, August 31, 2014

111 . सही या गलत -निर्णय आपका !

मेरी पोस्ट  105 पर कुछ सवाल आये थे ,उसका जवाब--
मनीषजी , अंकुरजी 
1) मेरी पोस्ट 86 , 88 और 105 देखें ,समझे .
2) कोई भी काम सोचने और शुरू करने से पहले अपनी टीम से राय करें ,उससे डिस्कस करें .
 3) क्षेत्र के विशेषज्ञ से राय करें उसकी कंसल्टेंसी चार्ज उसे देवे , आपके पसंदीदा क्षेत्र पर वो एक विस्तृत सर्वे करकर आपको जो प्रोजेक्ट रिपोर्ट देगा आप उसे बराबर समझे उसके साथ एक प्रॉपर डिस्कस करें एक-एक पॉइंट पर स्पष्टीकरण  ले तभी काम शुरू करें , मैं इसे बेवकूफी के अलावा कुछ नहीं मानता कि आप कोई भी ऐसा फील्ड चुन  लेवे जिसमे आपका कोई दोस्त ,आपका कोई रिश्तेदार पैसा बनाने में सफल हो गया . ये ध्यान रखें हर व्यक्ति की अपनी-अपनी अलग विशेषता होती है ,हो सकता है उनमे जो क्वालिटी है वो आपमें नहीं हो.हर क्षेत्र में सफलता के लिए अलग-अलग क्वालिटी की ज़रुरत होती है .
4) विशेषज्ञ से रिपोर्ट आने के बाद और उससे डिस्कस  करने के बाद आप अपने लिए एक टू डू लिस्ट  बनाये ,जिसमे आप अपने जिम्मे क्या रखेंगे और अपनी टीम के जिम्मे क्या ,इसकी विस्तृत रिपोर्ट तैयार करें , जब ये रिपोर्ट बन जाए तब आप देखे क़ि आपके जिम्मे आये हुए काम आप सफलता पूर्वक कर पाएंगे और कर पाएंगे तो कितने प्रतिशत सफलता मिल पायेगी-- इस पॉइंट को बराबर समझे और पूरी ईमानदारी से इसका जवाब देवे , इस मोड़ पर आकर आपका अवचेतन मन आपको इशारा कर देगा कि ये प्रोजेक्ट आपको करना चाहिए या नहीं- अवचेतन मन की आवाज़ को बराबर समझे जो बेहतरीन तर्क आपके पास अपने प्रोजेक्ट को लेकर हो उन्हें सोचे समझे और तब निर्णय करें ,अगर निर्णय हाँ में हो तो अपनी टीम के साथ बैठे और डिटेल में उस से भी चर्चा करें , अगर निर्णय ना में हो तो अपनी जिम्मेदारियां भी उनके साथ डिस्कस करें हो सकता है आपकी टीम में वे जिम्मेदारियां कोई  उठाने को तैयार हो जाएँ - यानी पूरी तरह तसल्ली होने के बाद ही प्रोजेक्ट पर काम शुरू करें . ये ध्यान रखे पैसा बड़ी मुश्किल से इकठ्ठा होता है , और ज़िन्दगी आपको खुद को साबित करने का मौका दे रही है उसे हल्के में ना लेवे ,वैसे कहा ये भी जाता है कि ज़िन्दगी में  रिटेक नहीं होते . सो पैसे की कदर करते हुए ही कोई निर्णय लेवे .
5) आज परिवर्तन इतने ज्यादा हो रहे है उन्हें निगाह में रखे और तभी कोई लाइन चुने मेरी 71 नंबर की पोस्ट देखे , सोचे और समझे कि  कल के स्टार प्रोडक्ट्स आज अपनी अहमियत खो चुके है, क़ल तक सिंगल प्रोडक्ट सिंगल यूज़  का ज़माना था आज मल्टी टास्किंग प्रोडक्ट्स का ज़माना है , कल तक आम आदमी के हाथ में पहने जाने वाली घड़ी और हर टूरिस्ट के हाथ में जरूरी समझा जाने वाला कैमरा मोबाइल में सिमट गया है.
 6) सबसे पहले ये देखें कि आपकी मानसिकता एम्प्लोयी वाली है या बिजनेसमैन वाली , दोनों की अलग अलग विशेषता होती है और दोनों ही एक-दूसरे की सोच को आसानी से नहीं अपना सकते . मालिक की एक दिन की छुट्टी पर झल्लाहट   और एम्प्लोयी की खुशियों के उदाहरण आपके आस-पास बिखरे हुए है उन्हें गौर करें और समझे . एक मज़दूर से बात करें और एक मालिक से दोनों से बात करने के बाद आप सोचे क़ि आप खुद को सोच-समझ के मामले में किस के नज़दीक पाते है अगर आप को लगता है कि मज़दूर सही है तो बिज़नेस करने से पहले अपनी मानसिकता सुधारने की कोशिश करें .
ये पोस्ट एक जवाब के तौर पर लिखी गई है इसलिए प्रोपरली  मैंने एडिट नहीं की है ,अगर कहीं अस्पष्ट हो रहा हूँ तो जानकारी देवे.  शुभकामनाये .
- सुबोध
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