Thursday, August 28, 2014

109 . सही या गलत -निर्णय आपका !

              पैसे के प्रबंधन के बारे में जब गरीबों से बात की जाती है तो उनका जो जवाब होता है वो ये होता है कि " जब मेरे पास बहुत सारा पैसा होगा तब मैं पैसे का प्रबंध करना शुरू  करूँगा ."
                         अगर आप गहराई में जाए तो आप समझ पाएंगे कि उनके लिए पैसे का प्रबंधन एक समस्या के अलावा कुछ भी नहीं है , अमूनन ये तत्काल संतुष्टि वाली श्रेणी के लोग है  ( पोस्ट ९७ देखें) और ये लोग पैसे का प्रबंध करने की बजाय   उसे खर्च करने वाले होते है , ये प्रबंध  नामक समस्या को  एक गलत नंबर के चश्मे से देखते है .
                     पहली बात  आप के पास पैसा तब होगा जब आप उसका प्रबंध करना शुरू करोगे  ये तो कहना ही गलत है कि मेरे पास पैसा ज्यादा होगा तो मैं इसका प्रबध करूँगा , ये कहना तो बिलकुल ऐसा ही है कि  एक कमजोर आदमी  ये कहे   कि मेरे मस्सल्स मजबूत हो जायेंगे तो मैं जिम ज्वाइन करूँगा  , जबकि हकीकत ये है कि जिम ज्वाइन करने से उसके  मस्सल्स मजबूत होंगे. परिणाम हमेशा मेहनत करने के बाद मिलते है ,मेहनत करने से पहले परिणाम  चाहना  एक अच्छे चुटकुले के अलावा क्या है ?
                  दूसरी बात - प्रकृति का एक साधारण सा नियम है  " दिया उसे जाता है जिसकी सम्हालने की क्षमता होती है " अगर आप 100 - 200  रुपये भी नहीं सम्हाल पा रहे हो तो चिंता न करें प्रकृति के इस साधारण से नियम की अवहेलना नहीं होगी और आपको हज़ारों - लाखों रुपये नहीं दिए जायेंगे क्योंकि प्रकृति जानती है कि ये कमजोर प्राणी है इसकी क्षमता छोटी चीज़ों को सम्हालने की नहीं है तो ये बड़ी कैसे सम्हालेगा .धन्यवाद प्रकृति, तुम बड़ी दयालु हो .
               तीसरी बात - एक प्रोसेस होता है उस से गुजर कर ही आप किसी काबिल बनते है ,बिना उस प्रोसेस से गुजरे किसी भी तरह की सफलता पाना और उस सफलता को बरकरार रख पाना संभव नहीं होता और वो प्रोसेस है  " बनाना-बिगाड़ना-फिर से बनाना " (पोस्ट 42  देखें ) जिंदगी में सीढ़ियां नहीं होती जो सीधी ऊपर जाती है ,यहाँ तो पर्वतों के साथ मैदान और खाइयां  होती है और हर पथिक को ,हाँ हर पथिक को इन्ही टेढ़े -मेढ़े अनगढ़  रास्तों से गुजरना होता है तब वो बांछित  को हासिल कर पाता है  .
               अगर आप ये समझते है कि पैसा आएगा और आता रहेगा और ढेर सारा हो जायेगा तो मैं इसका प्रबंध करना शुरू करूँगा तो मेरी शुभकामनाएं आपके साथ है कि  "भगवान करें  ऐसा ही हो ",लेकिन मैं भी जानता हूँ और मेरा भगवान भी कि ये एक शुभकामना के अलावा कुछ नहीं है .
- सुबोध

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