Tuesday, August 12, 2014

97. सही या गलत -निर्णय आपका !

अगर आपने पैसा  बनाने में बहुत ज्यादा मेहनत की है तो आप पैसे  की कदर भी बहुत ज्यादा करेंगे और अगर आपको पैसे  आसानी से मिले  है तो आप उसकी कदर नहीं करेंगे ."
 मेरा मानना है कि ये कहावत सही नहीं है और इसके लिए मेरा तर्क ये है कि पैसा कमाने के लिए जो काबिलियत इस्तेमाल होती है वो उस काबिलियत से बिलकुल अलग है जो पैसा खर्च करने या रोककर रखने के लिए चाहिए . इसे थोड़ा गहराई में जाकर समझते है -

 पैसे के मामले में तीन  तरह की मानसिकता होती है
पहली - जिन्हे तत्काल संतुष्टि चाहिए होती है - ऐसी मानसिकता के लोग किसी चीज़ की इच्छा होने पर खुद को कंट्रोल नहीं कर पाते उन्हें ये इच्छा तुरंत पूरी करनी होती है चाहे इसके लिए किसी से इन्हे उधार भी लेना पड़े तो ये ले लेते है - ये कमज़ोर व्यक्तित्व के लोग होते है ऐसी मानसिकता के लोगों की कमाई चाहे जितनी हो ये हमेशा कर्ज़े में ही डूबे रहते है क्योंकि इनका अपनी इच्छाओं पर वश नहीं होता .
दूसरी- इस मानसिकता के लोग सिर्फ जरूरत भर ही खर्च करते है बाकि पैसे इकट्ठे करकर कुछ बड़ा पाना चाहते है उन्हें विलम्ब से संतुष्टि मंज़ूर है , लेकिन किसी से क़र्ज़ लेना नहीं. ये गंभीर मानसिकता के लोग होते है जिन्हे पैसे की कीमत और कदर पता होती है -ये इतने ज्यादा संभल कर खर्च करते है और इतने ज्यादा नार्मल तरीके से रहते है कि कभी-कभी तो इनके गरीब होने का भरम होता है .. लेकिन आर्थिक रूप से ये मज़बूत श्रेणी के लोग होते है .
तीसरी- इस मानसिकता के लोग अमीर श्रेणी के होते है इनकी पैसे की आमद  इतनी ज्यादा होती है कि  दिल खोलकर खर्च  करने के बाद भी कुछ न कुछ बच जाता है , इन लोगों ने पहले जमकर मेहनत की होती है ,अपनी इच्छाओं पर कंट्रोल किया होता है ,पैसा जोड़ा होता है पैसे से मेहनत करवाकर रेजिडुअल इनकम  के श्रोत बनाये होते है और अब उन्ही आमदनी के श्रोत से आई हुई रकम  को ये दिल खोलकर खर्च  करते है - ध्यान रहे इनकम के श्रोत को खर्च नहीं करते . 
        पैसा कमाना  अलग मामला है जबकि खर्च आदमी  अपनी मानसिकता के अनुसार करता है -इसका मेहनत से कमाया या आराम से कमाया जैसी किसी बात से कोई ताल्लुक नहीं होता .
- सुबोध
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