मेरे दोस्त !!
मेरे शुभचिंतक !!
मैं शुक्रगुजार हूँ तुम्हारा
तुम्हारी मेहरबानियों का .
मुझे इस्तेमाल करके
ये बताने का कि
“मुझ से बेहतर और कोई दोस्त
नहीं मिल सकता तुम्हे !!”
और जब मेरा बुरा वक्त आया
मैं अकेला था .
कहते है अँधेरे में तो
साया भी साथ छोड़ देता है
तुम
मेरे बेहतरीन दोस्त
तुम्हे शायद भरोसा था
मेरी काबिलियत पर
कि हर मुसीबत से
निकल सकता हूँ मैं
और मैं निकल आया ...
आ गया पहलेवाली
शानो-शौकत में .
शुक्रगुजार हूँ मैं तुम्हारा
कि तुमने मुझे नए सिरे से
परखने दी अपनी काबिलियत ....
आओ दोस्त !!
आओ, पास बैठो
पहले की तरह ठहाके लगाएं
पुराने किस्से सुनाये
और वक्त जरूरत
एक -दूसरे के काम आएं !!!
सुबोध - २ अगस्त, २०१४
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