" अ " लाख रूपये महीने कमाने वाला बंदा जिसका खर्च 98 हज़ार रूपया महीना है ,और" ब " जो 30 हज़ार रूपया महीने का कमाता है उसका खर्च 27 हज़ार है तो अमीर "अ" नहीं" ब" होता है अगर 5 साल यानि 60 महीने बाद की इनकी स्थिति समझी जाए तो "अ" 1 लाख 20 हज़ार का और "ब" 1लाख 80 हज़ार का मालिक होता है और ये तो सीधी सी गणित है .
"अ" खर्चे में, लिविंग स्टैण्डर्ड में आपको अमीर लग सकता है और "ब" गरीब लेकिन" अ" और" ब" की 5 साल बाद की बैलेंस शीट जो कहती है वो कुछ अलग ही कहानी है .छोटी सी लगनेवाली 1 हज़ार की एक्स्ट्रा बचत लम्बे समय में कितना बड़ा फर्क बनती है ये इस उदाहरण से स्पष्ट है .
ये बात अच्छे से समझ लेवें कौन कितना कमाता है, उसका लिविंग स्टैंडर्ट कैसा है अमीरी के खेल में इस से कोई फर्क नहीं पड़ता , अंत में कौन कितना जोड़ पाता है , बैलेंस शीट किसकी मजबूत है -फर्क इस से पड़ता है.
अमूनन अमीर लगने वाले डॉक्टर ,वकील, चार्टेड अकाउंटेंट जैसे लोगों की स्थिति अंदर से कुछ और हो सकती है .
- सुबोध
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