तुमने जब थामा मेरा हाथ
आंसुओं की हंसी फ़िज़ा में तैर गई
मन के किनारों पर
भावनाओं के हुजूम में
एक-एक किस्सा
एक-एक लम्हा
सर पर हाथ रखने लगा
आशीष की तरह
डूबता सूरज
नारंगी बिंदी बन
चस्पा हो गया
मेरे माथे पर
मैं खिल गई
महक गई
पूनम की रात में
रात रानी सी
लिखने लगी जब
प्यार का किस्सा
मेरी कलम
तुम्हारे नाम पे अटक गई !!!
सुबोध - २७ अगस्त, २०१४
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